पिछले दिनों फिलà¥à¤® ‘राजनीति’ के रूप में ‘महाà¤à¤¾à¤°à¤¤â€™ ने दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ को काफी लà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ और इस सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ बारी है ‘रामायण’ की ‘रावण’ के रूप और जब फिलà¥à¤® मणि रतà¥à¤¨à¤® की हो तो अपेकà¥à¤·à¤¾à¤à¤‚ और बॠजाती हैं।
लेकिन अफसोस, इस बार यह दिगà¥à¤—ज फिलà¥à¤®à¤•à¤¾à¤° कहानी कहने की अपनी कौशल से दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करने में कामयाब नहीं हो सका है।
‘रावण’ में अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ और बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ के कई दौर हैं, जैसे फिलà¥à¤® का पहला à¤à¤• घंटा बहà¥à¤¤ ही उबाऊ और फीका है, जबकि मधà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— कà¥à¤›-कà¥à¤› दिल को छूता है, लेकिन अंत आते-आते और कà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤®à¥ˆà¤•à¥à¤¸ पर तो फिलà¥à¤® धराशायी हो जाती है।
पà¥à¤²à¤¿à¤¸ अधिकारी देव (विकà¥à¤°à¤®) को à¤à¤• खूबसूरत, सीधी-सादी नृतà¥à¤¯à¤¾à¤‚गना रागिनी (à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ राय) से पà¥à¤¯à¤¾à¤° हो जाता है और फिर दोनों की शादी à¤à¥€ हो जाती है। उसके बाद देव की नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लाल माटी नामक इलाके में होती है, जहां कानून पà¥à¤²à¤¿à¤¸ का नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ बीरा (अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• बचà¥à¤šà¤¨) का चलता है।
लेकिन देव अपनी यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से बीरा की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में दखल देता और उसमें हलचल मच जाती है। बीरा का काफी नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ होता है और फिर शà¥à¤°à¥‚ होती है बदले की कहानी। यह कहानी बीरा के साथ-साथ रागिनी और देव को à¤à¥€ जंगल में ले आती है और फिर शà¥à¤°à¥‚ हो जाता है अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ और बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ के बीच संघरà¥à¤·, देव और बीरा के बीच संघरà¥à¤· यानी राम और रावण के बीच संघरà¥à¤·à¥¤
अब आà¤à¤‚ इस बात पर कि आखिर वे कौन-से मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ हैं, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ‘रावण’ को कमजोर बना दिया है – सबसे पहले तो यह कि शीरà¥à¤·à¤• से ही दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ को यह अपेकà¥à¤·à¤¾ होती है कि फिलà¥à¤® रावण की तरह ही शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ होगी, लेकिन बीरा रावण के उस रूप को साकार नहीं कर पाता, बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤• मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• रूप से कमजोर और बीमार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के रूप में ही उà¤à¤°à¤•à¤° सामने आता है, जो इस चरितà¥à¤° को à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• बनाने के बजाय उस चरितà¥à¤° का उपहास करता हà¥à¤† दिखाई देता है।
फिलà¥à¤® के अंत से à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ को संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ नहीं होती, लगता है कि फिलà¥à¤® खतà¥à¤® होने के बाद à¤à¥€ जबरदसà¥à¤¤à¥€ चल रही है। दूसरी ओर रागिनी के मन में बीरा के लिठकोमल à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ जनà¥à¤® लेने लगती हैं। इसे लेखन का दोष ही माना जाà¤à¤—ा कि à¤à¤¸à¥‡ हालात बनाठगठकि उसमें बीरा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤¸à¥€ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ पैदा होती हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? यह नहीं पता।
‘रावण’ का उजला पकà¥à¤· वह दृशà¥à¤¯ है जिसमें निखिल का अपहरण होता है और फिर फà¥à¤²à¥ˆà¤¶à¤¬à¥ˆà¤• दिखाया जाता है। बीरा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ देव की जिंदगी में तूफान लाने के कारण सचमà¥à¤š दमदार है।
à¤à¤• पà¥à¤² पर अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• और देव के बीच होनेवाली लड़ाई का दृशà¥à¤¯ लाजवाब है, इतना कि à¤à¤¸à¤¾ दृशà¥à¤¯ हिंदी फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ के दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ ने कà¤à¥€ देखा नहीं होगा। शà¥à¤¯à¤¾à¤® कौशल ने वैसे अपने हर à¤à¤•à¥à¤¶à¤¨ दृशà¥à¤¯ में जान डाल दी है और ‘रावण’ के कई दृशà¥à¤¯ दिल को à¤à¤•à¤œà¥‹à¤° कर रख देते हैं। मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² लोकेशनों पर शानदार और मनमोहक दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के फिलà¥à¤®à¤¾à¤‚कन का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ संतोष सिवन और वी. मणिकानंद को जाता है।
à¤. आर. रहमान का संगीत उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ है और फिलà¥à¤® के अचà¥à¤›à¥‡ पकà¥à¤· में योगदान देता है। विजय कृषà¥à¤£à¤¾ आचारà¥à¤¯ के संवाद बहà¥à¤¤ ही पà¥à¤°à¤–र हैं और फिलà¥à¤® की पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि के हिसाब से बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ हैं।
अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• ने ‘यà¥à¤µà¤¾â€™ और ‘गà¥à¤°à¥â€™ में बेहतरीन काम किया था, लेकिन न जाने कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ वे इस फिलà¥à¤® में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नहीं कर पाठहैं। उनकी संवाद अदायगी à¤à¥€ कहीं-कहीं अनà¥à¤•à¥‚ल साबित नहीं होती।
à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ राय अपनी à¤à¥‚मिका में अदà¥à¤à¥à¤¤ हैं। उनकी नैसरà¥à¤—िक खूबसूरती उà¤à¤°à¤•à¤° सामने आई है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी à¤à¥‚मिका दृॠविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के साथ निà¤à¤¾à¤ˆ है।
विकà¥à¤°à¤® का अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ आला दरजे का है, लेकिन उनकी à¤à¥‚मिका परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ रूप से संतोषजनक नहीं है। गोविंदा किसी à¤à¥€ तरह से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करने में नाकामयाब रहे हैं। निखिल दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€ का अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ है। रवि किशन और पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤®à¤£à¤¿ ने à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया है।
कà¥à¤² मिलाकर यह कहा जा सकता है कि मणि रतà¥à¤¨à¤® के नाम से जà¥à¥œà¥€ विशाल अपेकà¥à¤·à¤¾à¤à¤‚ ‘रावण’ से थीं, जो दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ के मन पर खरी नहीं उतर सकीं यानी दरà¥à¤¶à¤• फिलà¥à¤® की विषय वसà¥à¤¤à¥ से बà¥à¤°à¥€ तरह निराश हो जाते हैं। वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से फिलà¥à¤® की शà¥à¤°à¥‚आत अचà¥à¤›à¥€ हो सकती है, लेकिन à¤à¤• तरफ कमजोर पटकथा और दूसरी तरफ ऊंची अपेकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के बीच ‘रावण’ की à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• आवाज कहीं दबकर रह गई है। यह ‘रावण’ गरज नहीं सका है।