अगर आप सोच रहे हैं कि ‘लाहौर’ à¤à¥€ ‘चक दे इंडिया’ की तरह किसी खेल पर आधारित फिलà¥à¤® है तो आप गलतफहमी में हैं। यह फिलà¥à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤-पाक पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि पर बननेवाली ढेरों फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ में से à¤à¥€ नहीं है। ‘लाहौर’ में न तो पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के खिलाफ नारे हैं और न ही कोई दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¥¤ फिलà¥à¤® में कà¥à¤¯à¤¾ है यह जानने के लिठफिलà¥à¤® देखना ही जरूरी है। इसका पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ लाजवाब है और यही इस फिलà¥à¤® को बाकी से अलग कर देता है।
‘लाहौर’ सिरà¥à¤« किक-बॉकà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग की कहानी नहीं है। यह कहानी है दो à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच के पà¥à¤¯à¤¾à¤° और खेल से जà¥à¥œà¥‡ उनके जà¥à¤¨à¥‚न की। यह कहानी है खेलों में घà¥à¤¸ आई राजनीति की और शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ खिलाड़ियों के चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के बजाय सिफारिश से चà¥à¤¨à¥‡ जाने की साजिशों की। लेकिन à¤à¤• ईमानदार कोच राव (फारूख शेख) की कोशिशों से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता के आधार पर धीरेंदà¥à¤° सिंह (सà¥à¤¶à¤¾à¤‚त सिंह) को चà¥à¤¨ लिया जाता है और उसका मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के नूर मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ (मà¥à¤•à¥‡à¤¶ ऋषि) से कà¥à¤†à¤²à¤¾ लमà¥à¤ªà¥‹à¤° में होता है। लेकिन तà¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› हो जाता है, जिसकी अपेकà¥à¤·à¤¾ नहीं थी...
उसके बाद दोनों देशों के बीच लाहौर में मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ होता है, लेकिन इस बार नूर मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¥à¤µà¤‚दà¥à¤µà¥€ है धीरेंदà¥à¤° का à¤à¤¾à¤ˆ वीरेंदà¥à¤° (अनाहद)। इस मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ में वीरेंदà¥à¤° को सिरà¥à¤« जीतना ही नहीं है, बलà¥à¤•à¤¿ देश के खोठसमà¥à¤®à¤¾à¤¨ को लौटाना à¤à¥€ है।
फिलà¥à¤® में किक-बॉकà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग के शानदार दृशà¥à¤¯ हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इंसानी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के साथ बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥‡ ढंग से बà¥à¤¨à¤¾ गया है। अनाहद और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ दास के बीच पà¥à¤¯à¤¾à¤° की कहानी को à¤à¥€ उचित सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मिला है। हां, इतना जरूर है कि यह पता नहीं चलता कि à¤à¤• कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿà¤° वीरेंदà¥à¤° किस तरह से किक-बॉकà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग के लिठचà¥à¤¨à¤¾ जाता है। शायद फिलà¥à¤®à¥€ आजादी के कारण à¤à¤¸à¤¾ हà¥à¤† हो, खैर।
निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• इस फिलà¥à¤® के लिठपूरे अंक हासिल करने का हकदार है। संजय पूरनसिंह चौहान ने इस फिलà¥à¤® में अपना मन और अपनी आतà¥à¤®à¤¾ दोनों à¤à¥‹à¤‚क दिठहैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤•-à¤à¤• दृशà¥à¤¯ को बड़े ही जतन और शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ कौशल के साथ फिलà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ है। हालांकि मधà¥à¤¯à¤¾à¤‚तर के पहले ही पता चल जाता है कि मामला कà¥à¤¯à¤¾ है और फिलà¥à¤® कहां जा रही है, लेकिन आपका मन फिलà¥à¤® से इस कदर जà¥à¥œ जाता है कि आपको उससे कोई फरà¥à¤• ही नहीं पड़ता। शायद इसीलिठफिलà¥à¤® ने कई अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ फिलà¥à¤® समारोहों में पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा पाई है।
फिलà¥à¤® का संपादन काफी चà¥à¤¸à¥à¤¤ है। छायांकन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बॉकà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग की à¤à¤•-à¤à¤• हलचल को बहà¥à¤¤ ही बारीकी से फिलà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ गया है, जो गजब का है।
फारूख शेख अपनी लाजवाब संवाद अदायगी और बेहतरीन अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ कौशल के बल à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कोच की à¤à¥‚मिका में असाधारण हैं। सौरठशà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ ने à¤à¥€ उनका खूब साथ दिया है। सबà¥à¤¯à¤¸à¤¾à¤šà¥€ चकà¥à¤°à¤¬à¤°à¥à¤¤à¥€ ने पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ कोच के रूप में खलनायक की à¤à¥‚मिका के साथ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ किया है, लेकिन उनके उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ कà¥à¤› कमजोर पड़ गठहैं।
सà¥à¤¶à¤¾à¤‚त सिंह ने अपनी à¤à¥‚मिका को काफी अचà¥à¤›à¥‡ ढंग से जिया है। à¤à¤• बॉकà¥à¤¸à¤° के रूप में उनकी फà¥à¤°à¥à¤¤à¥€ और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ देखते ही बनता है। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ निगम ने उनकी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤•à¤¾ की à¤à¥‚मिका पूरे मन से निà¤à¤¾à¤ˆ है। नफीसा अली सà¥à¤‚शात की मां की à¤à¥‚मिका में खूब जंची हैं। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ दास पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ लड़की के किरदार में जमी हैं। मà¥à¤•à¥‡à¤¶ ऋषि ने नूर मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ के किरदार को साकार करते हà¥à¤ दिखा दिया है कि वे à¤à¤• विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ हैं। आशीष विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ने पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ नेता की à¤à¥‚मिका बखूबी निà¤à¤¾à¤ˆ है और केली दोरजी ने à¤à¥€ चरमोतà¥à¤•à¤°à¥à¤· में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया है।
दिवंगत निरà¥à¤®à¤² पांडे को इस फिलà¥à¤® में करने के लिठकà¥à¤› खास नहीं था और अनाहद ने अपनी à¤à¥‚मिका को पूरे उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से निà¤à¤¾à¤¯à¤¾ है।
‘लाहौर’ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ फिलà¥à¤® है, जिसका हर पहलू आपको हैरत में डाल देगा।