3.5 Very Good

लड़के को प्यार और प्यार से जुड़ी सारी चीजों से नफरत है। दूसरी ओर एक लड़की है जिसकी नजरों में प्यार से खूबसूरत कुछ नहीं है। दोनों की मुलाकात होती है और विचारों में बदलाव आने लगते है। पुनीत मल्होत्रा ने एक बेहतरीन थीम चुनी, लेकिन स्क्रिप्ट में थोड़ी कसावट आ जाती तो ‘आई हेट लव स्टोरीज़’ बेहतरीन फिल्म बन जाती। कुछ कमियों के बावजूद यह फिल्म बाँधकर रखने में सफल है।

वीर (समीर सोनी) एक ऐसा निर्देशक है जो हमेशा लव स्टोरीज़ पर आधारित सफल फिल्म बनाता है। उसकी सारी फिल्में एक जैसी रहती हैं जिनमें भरपूर ड्रामा होता है। उसका ‍असिस्टेंट जे (इमरान खान) को इन प्रेम कहानियों से नफरत है। उसका मानना है कि प्यार जैसा कुछ नहीं होता और ये बेकार की बातें हैं।

PRवीर अपनी नई फिल्म से सिमरन (सोनम कपूर) नाम की प्रोडक्शन डिजाइनर को जोड़ता है जो दिन-रात प्यार के खयालों में खोई रहती है। टेडी बियर, पिंक कलर, कैंडल लाइट डिनर, फ्लॉवर्स, केक, रोमांटिक फिल्में ही उसकी दुनिया है। वह राज (समीर दत्तानी) को बेहद चाहती है।

दो अलग विचार धारा वाले लोग मिलते हैं तो उनमें टकराव होना स्वाभाविक है। यहाँ तक फिल्म बेहतरीन है। सिमरन के बॉयफ्रेंड का मजाक बनाना, फॉर्मूलों वाली ‍लव स्टोरीज पर बनी फिल्मी की हँसी उड़ाना, सिमरन और जे की नोक-झोक अच्छी लगती है। लेकिन इसके बाद फिल्म उसी फॉर्मूले पर चलने लगती है, जिसका पहले मजाक बनाया गया।

सिमरन कन्फ्यूज हो जाती है। मिस्टर राइट (राज) की बजाय उसे मिस्टर राँग (जे) अच्छा लगने लगता है। वह राज को छोड़ जे को चाहने लगती है। उसे दिल की बात बताती है, लेकिन जे प्यार में नहीं पड़ना चाहता। जे जब उसका प्यार ठुकरा देता है तो वह वापस राज की बाँहों में लौट जाती है।

सिमरन की कमी जे को महसूस होती है और उसे समझ में आता है कि यही प्यार है। वह सिमरन को ‘आई लव यू’ कहता है’ और अब उसे सिमरन ठुकराती है। अंत में अड़चनें दूर होती हैं। प्रेमियों का मिलन होता है और जे मान लेता है कि प्यार नाम का जादू होता है।

फिल्म का दूसरा हिस्सा इसलिए कमजोर लगता है क्योंकि उसमें नयापन बिलकुल नहीं है। वे तमाम किस्से, घटनाएँ इसमें दोहराए गए हैं जो हम ढेर सारी फिल्मों में देख चुके हैं। साथ ही इसे लंबा खींचा गया है। इस हिस्से में वो मस्ती और ताजगी नजर नहीं आती, जो फिल्म के पहले हाफ में है। हालाँकि कि कुछ बेहतर सीन इस हिस्से में देखने को मिलते हैं।

लेखक के रूप में पुनीत कुछ नया सोचते तो यह एक उम्दा फिल्म होती, जहाँ ‍तक निर्देशन का सवाल है तो लगता ही नहीं कि यह पुनीत की पहली फिल्म है। उन्होंने ‍कहानी को ऐसा फिल्माया है कि दर्शक की रूचि बनी रहती है।

फिल्म में रूचि बने रहने का एक और सशक्त कारण इमरान खान और सोनम कपूर की कैमिस्ट्री और एक्टिंग है। दोनों एक-दूसरे के पूरक लगते हैं और भविष्य में यह कामयाब जोड़ी बन सकती है।

‘लक’ और ‘किडनैप’ में अपने अभिनय से निराश करने वाले इमरान आशा जगाते हैं कि अच्छा निर्देशक उन्हें मिले तो वे अभिनय कर सकते हैं। इस फिल्म के बाद सोनम कपूर की माँग बढ़ने वाली है। खूबसूरत लगने के साथ-साथ उन्होंने एक्टिंग भी अच्छी की है।

फिल्म में कई फिल्मकारों और उनकी फिल्मों का मजाक बनाया गया है, जिसमें इस फिल्म के निर्माता करण जौहर भी शामिल हैं। करण को उनके साहस के लिए बधाई दी जानी चाहिए क्योंकि न केवल उनकी फिल्मों, करवा चौथ और नाटकीय दृश्यों का बल्कि एक कैरेक्टर वीर (समीर सोनी) के रूप में उनका भी मजाक बनाया गया है। समीर सोनी ने इसे बेहतरीन तरीके से निभाया है।। समीर दत्तानी ने एक बोरिंग लवर का काम अच्छे से किया।

विशाल शेखर का संगीत फिल्म के मूड के अनुरूप है। ‘आई हेट लव स्टोरीज़’ और ‘बिन तेरे’ तो पहली बार सुनकर ही अच्छा लगने लगता है। अयानांका बोस की सिनेमाटोग्राफी आँखों को अच्छी लगती है।

‘आई हेट लव स्टोरीज़’ का शानदार पहला हाफ है। इमरान-सोनम की उम्दा कैमेस्ट्री है। अच्छा संगीत है। इस कारण यह एक अच्छा ‘टाइम पास’ है।