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धोनी की बायोपिक के बाद अब सुशांत सिंह राजपूत दूसरी बायोपिक करने की तैयारी कर रहे हैं । काम को लेकर समर्पित अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत, जिसने शेखर कपूर के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'पानी' की तैयारी में कीमती समय खो दिया और वो फ़िल्म कभी अस्तित्व में भी नहीं आई, कई सारी फ़िल्मों के साथ वापस आ गए हैं, इस समय उनकी झोली में कई सारी फ़िल्में हैं । सुशांत कहते हैं कि, मैंने पानी फ़िल्म की तैयारी के लिए ढेर सारा समय दिया । लेकिन कोई पछतावा नहीं है । उस दौरान, मैं कोई नई फ़िल्म साइन नहीं कर सका । लेकिन अब मैं चार नई फ़िल्में कर रहा हूं वो हैं- फ़िल्ममेकर दिनेश विजयन की राब्ता, होमी अदजानिया की तकदुम और भारत की पहली अंतरिक्ष पर आधारित फ़िल्म चंदा मामा दूर के ।

क्रिकेटर एम एस धोनी बनने के बाद अब सुशांत एक और वास्तविक किरदार को निभाने की तैयारी कर रहे हैं । खबर है कि सुशांत जल्द ही भारत के पैरालिम्पिक्स चैंपियन मुरलीकांत पेटकर की बायोपिक में उनका किरदार अदा करेंगे । 84 वर्षीय पेटकर सेना के जवान थे जो 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में बुरी तरह घायल हो गए थे और उसके बाद स्पोर्ट्सपर्सन बने और 1972 में जर्मनी में हुए खेलों में पैरालंपिक खिलाड़ी मुरलीकांत पेटकर ने भारत के लिए पहला पदक जीता । आपको बता दें कि पेटकर ने स्विमिंग में गोल्ड जीता और उनसे पहले किसी भी खिलाड़ी ने सामान्य ओलंपिक खेलों में भी भारत के लिए गोल्ड नहीं जीता था । उन्होंने न सिर्फ़ भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता बल्कि उन्होंने सबसे कम समय में 50 मीटर की तैराकी प्रतियोगिता जीतने का विश्व रिकार्ड (पैरालंपिक) भी बनाया ।

सुशांत कहते हैं कि जैसे ही उन्हें पता चला कि उन्हे मुरलीकांत पेटकर का किरदार निभाना है वैसे ही उन्होंने इसके लिए हां कह दी । जब मैंने इस बायोपिक की कहानी सुनी और बगैर समय गवांए इसके लिए हां कह दी । उनकी कहानी बहुत प्रेरक है । धोनी का किरदार निभाने के बाद, मैं पेटकर, जिसने अपनी शारीरिक कमजोरी को अपने सपनों के आड़े कभी नहीं आने दिया, का

किरदार निभाने के लिए उत्सुक हूं । मैं उस किरदार को निभाना पसंद करता हूं जिसका सपना बड़ा हो ।

अपने करियर में आए इस अचानक उछाल के बारें में सुशांत कहते हैं कि, 9 महीने से मैंने कोई फ़िल्म साइन नहीं की क्योंकि मैं शेखर कपूर की आगामी फ़िल्म पानी के लिए तैयारी कर रहा था । और तो क्या हुआ कि फ़िल्म नहीं बनी ? 9 महीने तक शेखर कपूर के साथ फ़िल्म को लेकर किया गया विचार-विमर्श और बातचीत बेकार गई । मैंने हर वो पहल को संजोया जो मैंने उनके साथ गुज़ारा । आखिरकार मैंने वो फ़िल्म नहीं की । लेकिन मैं यह कहूंगा कि मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे उनके साथ समय बिताने को मिला । हर एक मिनिट मेरे लिए एक सीखने का अनुभव था ।