गुरु पूर्णिमा के दिन पूरा देश शिक्षकों का सम्मानित करता है और इस विशेष दिवस पर, ऋतिक रोशन ने सुपर 30 के शिक्षक आनंद कुमार के शहर का दौरा किया एवं वहाँ शिक्षकों से खास मुलाकात भी की । इस ट्रिप की शुरुआत करते हुए, आनंद कुमार विशेष रूप से हवाई अड्डे पर ऋतिक रोशन को लेने पहुंचे थे । स्टेज पर, ऋतिक रोशन ने आनंद कुमार को गर्मजोशी के साथ गले लगाया और उनका सम्मान किया । ऋतिक ने वहाँ उपस्थित सभी शिक्षकों का सम्मान करने के बाद, आनंद को सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक बताया ।ऋतिक रोशन ने गुरु पूर्णिमा के मौके पर पटना पहुंचकर आनंद कुमार सहित सभी टीचर्स को किया 'नमन'

ऋतिक रोशन पहुंचे पटना

शहर के विभिन्न स्कूलों के शिक्षक इस सभा की शोभा बढ़ाते हुए नज़र आये जहाँ सुपरस्टार ने शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए शिक्षकों को सम्मानित किया और इस खास मौके पर, एक बार फ़िर अपनी बात दोहराते हुए बताया कि अध्यापक कैसे राष्ट्र निर्माता होते हैं ।

ऋतिक रोशन ने गुरु पूर्णिमा के मौके पर पटना पहुंचकर आनंद कुमार सहित सभी टीचर्स को किया 'नमन'

आनंद कुमार को सिखाया अपना 'कहो न प्यार है' स्टेप

इतना ही नहीं, प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ऋतिक ने शिक्षक को सम्मान देते हुए आनंद कुमार के पैर भी छुए । दिन की एक ओर हाईलाइट यह थी कि ऋतिक ने आनंद कुमार को "कहो ना प्यार है" से अपना प्रसिद्ध हुक-स्टेप भी सिखाया, रील और रियल आनंद कुमार को एक साथ डांस करता देख कर, वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने इसे खूब एन्जॉय किया । इसके अलावा ॠतिक ने अपने ट्विटर हैंडल से भी गुरू पूर्णिमा के अवसर पर आनंद कुमार सहित सभी टीचर्स को नमन किया ।

आनंद कुमार के शिक्षक बाल गंगाधर भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे जिन्होंने सुपर 30 के शिक्षक और ऋतिक के लिए इस दोपहर को अधिक खास बना दिया क्योंकि दोनों ही उनकी उपस्थिति से अभिभूत महसूस कर रहे थे । अभिनेता ने स्नेह के साथ उनके प्रति विशेष आभार व्यक्त किया ।

ऋतिक रोशन ने गुरु पूर्णिमा के मौके पर पटना पहुंचकर आनंद कुमार सहित सभी टीचर्स को किया 'नमन'

मुलाक़ात का यह सिलसिला यहीं नहीं थमा, फ़िल्म सुपर 30 में अपनी शानदार परफॉर्मेंस के साथ करोड़ो लोगों का दिल जीतने वाले अभिनेता ने अपने बिहार फैन क्लब के सदस्यों से भी मुलाक़ात की और अपने सबसे कम उम्र के बिहारी प्रशंसक से भी मिले ।

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गुरु पूर्णिमा को चिह्नित करने के लिए ऋतिक का यह पटना दौरा, निश्चित रूप से देश के राष्ट्र निर्माताओं को ट्रिब्यूट देने का एक और तरीका था, जहां आनंद कुमार की रूह बसती है ।