स्वर कोकिला और भारत रत्न लता मंगेशकर के दुखद निधन से पूरा देश गमगीन है । 6 फरवरी को हुए लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेता-राजनेता, बॉलीवुड सेलेब्स, पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर संग अन्य लोग भी पहुंचे थे । भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री में 7 दशक से ज्यादा समय तक जुड़ी रहने वालीं लता दीदी अपने पीछे एक बड़ी विरासत छोड़ गई हैं । भले ही लता मंगेशकर अब इस दुनिया को अलविदा कह गई हों लेकिन उनके मधुर आवाज हर किसी के दिल में एक याद बनकर हमेशा जीवित रहेगी । आज यहां हम आपको बता रहे हैं लता मंगेशकर से जुड़ी 6 अनसुनी बातें-

स्वर कोकिला लता मंगेशकर के बारें में 6 अनसुनी बातें- बिना किसी को बताए करती थीं जरूरतमंद लोगों की मदद

लता मंगेशकर की 6 अनसुनी बातें

1. लता मंगेशकर लोगों से मिलने में बहुत शर्माती थी । लेकिन हर कोई उनकी सिर्फ़ एक झलक देखना चाहता था । मुझे भी उनसे मिलने का सौभाग्य मिला । जब मैं उनके पैडर रोड़ वाले एक क्लीन अपार्टमेंट में उनसे मुलाकात करके आता था तो लता दीदी के फ़ैंस मुझसे पूछते थे, ‘कैसी हैं वो, उनके बाल क्या सचमुच जमीन को टच करते हैं...?’ तो ये सुनकर कुछ मिनट के लिए मुझे ऐसा लगता था कि मैं भगवान का दूत हूं और उनसे मिलकर आ रहा हूं । मैंने दुनिया के किसी कौने में किसी कलाकार की ऐसी ऐसी श्रद्धा के बारे में कभी नहीं सुना न देखा ।

2. मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि मैं शायद एकमात्र ऐसा बाहरी व्यक्ति रहा हूं जिसने उस निजी कमरे को देखा है जिसमें वह जब रिकॉर्डिंग नहीं करती थी तो उस समय वहां रहती थी । यह मेरे जीवन का सबसे क़ीमती पल था । मैं उनके साथ उनके घर प्रभु कुंज के ग्राउंड फ़्लोर पर कम्यूनिटी हॉल में बैठा था । जब लंच ब्रेक हुआ था तब दीदी ने अपनी सॉन्ग बुक से नजरें हटा कर ऊपर देखा और प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा, “आप मेरा कमरा देखना चाहते हैं ना ?” मुझे जो सम्मान दिया जा रहा था, उसके बारें में बोलने में मैंने डरते हुए सिर हिलाया । दीदी और मैं, सीढ़ियों से ऊपर उनके कमरे में गए । यह बेदाग और शांत था । कांच के कैबिनेट में भगवान गणेशजी की एक सुंदर चंदन की मूर्ति थी । इसके अलावा वहां ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे यह पता चले कि इस सदी की सबसे कुशल कलाकार इसमें रहती थी ।

मुझे गिफ़्ट्स बहुत पसंद है

3. मैं अभी तक जितने भी लोगों से मिला उनमें लता दीदी जैसा कोई नहीं था, वह एक पवित्र आत्मा थी ।

उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के कई कलाकारों को तोहफे भेजे । जया बच्चन और हेमा मालिनी को उनसे चुनी गई खूबसूरत साड़ियां मिली हैं । संजय भंसाली को भी उनकी तरफ से कई तोहफे मिले हैं । गिफ़्ट भेजने के बारें में लता दीदी ने कहा था कि यह उनका स्वभाव है । इस बारें में उन्होंने कहा, “मैं ऐसा खुद को खुश करने के लिए करती हूं । ऐसा करना मुझे बहुत पसंद है । मुझे गिफ़्ट्स बहुत पसंद है ।” वह बिना किसी शोर-शराबे के जरूरतमंद लोगों की मदद करती थी । एक बार नागपुर के एक बुजुर्ग ने उनसे अपने मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने के लिए पैसे मांगे; बुजुर्ग ने बताया था कि उनके बेटे और बहू उन्हें ऑपरेशन के लिए आवश्यक धन नहीं दे रहे थे । लताजी ने पत्र पर छपा नंबर डायल किया । इस बारें में लता दीदी ने मुझे हंसते हुए बताया था कि, “मुझे यह जानना था कि क्या उसकी ज़रूरत वास्तविक थी... जब मैंने उस आदमी को फ़ोन किया तो उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वास्तव में मैं उन्हें बुला रही हूं ।”

4. लताजी को हंसना बहुत पसंद था । वह हल्के फ़ुल्के गाने गाना उतना ही पसंद करती थी जितना कि गंभीर गाना गाना । इस बारें में उन्होंने मुझे बताया कि, “मुझे नहीं पता कि क्यों बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि गंभीर गीत गाना हल्के-फ़ुल्के गाना गाने की तुलना में अधिक गंभीर प्रयास है । वास्तव में लोगों को रुलाना उन्हें मुस्कुराने की तुलना में बहुत आसान है ।” उन्होंने इश्क पर ज़ोर नहीं के लिए एसडी बर्मन द्वारा रचित दो गाने 'तुम मुझसे दूर चले जाना ना' और हीर रांझा के लिए मदन मोहन द्वारा रचित 'हीर' को याद किया, जहां रिकॉर्डिंग के दौरान माहौल बेहद उदास हो गया था। क्या लताजी इन्हें गाते हुए रोई थीं ? इस बारें में उन्होंने कहा कि, “मैं रोई नहीं । लेकिन रिकॉर्डिंग में मौजूद सभी लोगों की आंखे नम थी ।” उन्होंने हंसते हुए बताया ।

कभी अपने गाने नहीं सुने

5. लताजी ने कभी अपने गाने नहीं सुने । कभी नहीं । इस बारें में एक बार उन्होंने मुझे बताया था कि, “जब मेरे गाने टेलीविजन पर आते हैं तो मैं जल्दी से चैनल बदल देती हूं । अगर मैं अपने घर में गाने की आवाज सुनती हूं तो मैं जल्दी से रसोई में जाती हूं और बर्तन और बर्तन पीटना शुरू कर देती हूं ।” चूंकि मेरे जीवन में एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब मैं कम से कम एक घंटे तक उनकी बात नहीं सुनी हो, मुझे लगा कि वह मजाक कर रही है। लेकिन ऐसा नहीं था । अपने गाने न सुनने के पीछे उन्होंने मुझे तर्क दिया कि “अगर मैं अपने गाने सुनती हूं तो मुझे मेरे गायन में ऐसी खामियां मिलेंगी जिन्हें आप कभी नहीं पहचान पाएंगे ।”

6. समय-समय पर मैं उनेके दुर्लभ गीत व्हाट्सएप पर भेजा करता था और उनसे पूछता था कि क्या वह उन्हें याद करती है । इस पर वह कहती, “आपको यह कहां मिला ?” फ़िर वह हंसती । उन्होंने मुझे अपने गाने भी भेजे । जब वह बीमार थी तो उनका लास्ट मैसेज मुझे जो आया था वह एक वॉयस नोट था जिसमें मैंने उनसे पूछा था कि आप मेरे कॉल्स का जवाब क्यों नहीं दे रही हैं । मैंने उनसे पूछा था कि, “क्या आप हमसे नाराज हैं ?” इसके जवाब में उन्होंने वॉयस नोट पर मुझसे कहा था कि, “मैं क्यों आपसे नाराज होंगी । आपने मेरा क्या बिगाड़ा है ?”