कम समय में अधिक पैसा कमाना हो तो बेईमानी का सहारा लेना पड़ता है। तेज दिमाग का दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— कर लोगों को बेवकूफ बनाना पड़ता है। इस तरह की बातों पर ‘बदमाश कंपनी’ के अलावा à¤à¥€ कई फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मनोरंजन की इसमें à¤à¤°à¤ªà¥‚र गà¥à¤‚जाइश रहती है।
‘बदमाश कंपनी’ की सबसे बड़ी पà¥à¤°à¥‰à¤¬à¥à¤²à¤® इसकी सà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤Ÿ है। परमीत सेठी ने इसे अपनी सहूलियत के हिसाब से लिखा है। मन मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• कहानी को टà¥â€à¤µà¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ दिठहैं, à¤à¤²à¥‡ ही वो विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ और सही नहीं हो। इससे दरà¥à¤¶à¤• सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ पर दिखाठजा रहे घटनाकà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¡à¤¼ नहीं पाते। मनोरंजन की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥€ देखा जाठतो फिलà¥à¤® में बोरियत à¤à¤°à¥‡ कà¥à¤·à¤£ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हैं।
कहानी 1990 के आसपास की है जब इमà¥à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿà¥‡à¤¡ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का बड़ा कà¥à¤°à¥‡à¤œ था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये आसानी से उपलबà¥à¤§ नहीं थी। बॉमà¥à¤¬à¥‡ के चार यà¥à¤µà¤¾ करण (शाहिद कपूर), बà¥à¤²à¤¬à¥à¤² (अनà¥à¤·à¥à¤•à¤¾ शरà¥à¤®à¤¾), चंदू (वीर दास) और जिंग (मियांग चैंग) मिलकर à¤à¤• बिजनेस शà¥à¤°à¥‚ करते हैं। वे इमà¥à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿà¥‡à¤¡ वसà¥à¤¤à¥à¤à¤ बैंकॉक से लाकर à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बेचते हैं।
करण अपना दिमाग इस तरह लड़ाता है कि कम समय में वे अमीर हो जाते हैं। सरकारी नीतियों के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपना वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ बंद करना पड़ता है। करण अपने साथियों के साथ अपने मामा के यहाठयूà¤à¤¸ जा पहà¥à¤à¤šà¤¤à¤¾ है और वहाठवे ठगी करने लगते हैं।
आखिरकार à¤à¤• दिन वे पà¥à¤²à¤¿à¤¸ की गिरफà¥à¤¤à¤° में आ ही जाते हैं और उनकी दोसà¥à¤¤à¥€ में दरार à¤à¥€ आ जाती है। इधर करण के मामा को वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ में जबरदसà¥à¤¤ नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ होता है। करण इस बार सही रासà¥à¤¤à¥‡ पर चलते हà¥à¤ अपने तेज दिमाग और साथियों की मदद से उनकी कंपनी को हà¥à¤ नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ को फायदे में बदल देता है और वे सही रासà¥à¤¤à¥‡ पर चलने में ही अपनी à¤à¤²à¤¾à¤ˆ समà¤à¤¤à¥‡ हैं।
फिलà¥à¤® शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में तो ठीक है, जब फिलà¥à¤® का हीरो करण कानून की खामियों के जरिये खूब पैसा कमाता है। लेकिन उसके अमेरिका पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही फिलà¥à¤® में बोरियत हावी हो जाती है। कई दृशà¥à¤¯ बेहद लंबे हैं और उनमें दोहराव à¤à¥€ है। यहाठसे à¤à¤¸à¥€ घटनाà¤à¤ घटती हैं जो विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ नहीं है।
करण के लिठसारी चीजें बड़ी आसान हैं। यूà¤à¤¸ के लोगों को वह à¤à¤¸à¥‡ बेवकूफ बनाता है, जैसे वे कà¥à¤› जानते ही नहीं हो। à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ नाम की चीज वहाठपर है ही नहीं। जब लेखक को लगता है कि करण को पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के हवाले किया जाना चाहिठतब वह पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के हतà¥à¤¥à¥‡ चढ़ता है।
चारों दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में विवाद को ठीक से जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¾à¤ˆ नहीं किया गया है। बस उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लड़ते हà¥à¤ दिखाना था, इसलिठवे लड़ पड़ते हैं। कà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤®à¥ˆà¤•à¥à¤¸ में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• होना था, इसलिठवे साथ हो जाते हैं। उनके अलग होने या साथ होने पर किसी किसà¥à¤® का दà¥:ख या खà¥à¤¶à¥€ नहीं होती। दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की कहानी में जो मौज-मसà¥à¤¤à¥€ होना चाहिठवो फिलà¥à¤® से नदारद है।
निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• के रूप में परमीत सेठी ने कà¥à¤› अचà¥à¤›à¥‡ दृशà¥à¤¯ फिलà¥à¤®à¤¾à¤ हैं, लेकिन अपनी ही लिखी सà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤Ÿ की खामियों को वे छिपा नहीं पाà¤à¥¤ शाहिद और अनà¥à¤·à¥à¤•à¤¾ जैसी जोड़ी उनके पास होने के बावजूद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रोमांस को पूरी तरह इगà¥à¤¨à¥‹à¤° कर दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहानी को इस तरह सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ पर पेश किया है कि दरà¥à¤¶à¤• इनà¥à¤µà¤¾à¤²à¥à¤µ नहीं हो पाता है।
शाहिद कपूर का अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ ठीक है, लेकिन वे इतने बड़े सà¥à¤Ÿà¤¾à¤° नहीं बने हैं कि इस तरह की कमरà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤² फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤° अकेले खींच सके। अनà¥à¤·à¥à¤•à¤¾ शरà¥à¤®à¤¾ को à¤à¤²à¥‡ ही कम अवसर मिले, लेकिन वे अपनी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ दरà¥à¤œ कराने में कामयाब रहीं। वीर दास और मियांग चैंग ने शाहिद का साथ बखूबी निà¤à¤¾à¤¯à¤¾ है।
पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संगीतबदà¥à¤§ ‘चसà¥à¤•à¤¾-चसà¥à¤•à¤¾â€™ और ‘जिंगल-जिंगल’ सà¥à¤¨à¥‡ जा सकते हैं। फिलà¥à¤® का बैकगà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड मà¥à¤¯à¥‚जिक उमà¥à¤¦à¤¾ है और 90 के दशक की याद दिलाता है।
कà¥à¤² मिलाकर इस ‘बदमाश कंपनी’ के पà¥à¤°à¥‰à¤«à¤¿à¤Ÿ à¤à¤‚ड लॉस अकाउंट में लॉस जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है।