राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक, सोनचिड़िया, द स्काई इज पिंक, रश्मि रॉकेट और ए थर्सडे जैसी राष्ट्रीय और मानव हित की कहानियों को पर्दे पर लाने के बाद, आरएसवीपी मूवीज एक और रियल लाइफ ड्रामा दिखाने के लिए इंतजार कर रहा है। ये प्रमुख ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट, जसवंत सिंह खालरा की बायोपिक है जिसे रॉनी स्क्रूवाला, अभिषेक चौबे और हनी त्रेहान द्वारा निर्मित किया गया हैं । वहीं फिल्म का निर्देशन त्रेहान ने किया हैं और एक्टर-सिंगर दिलजीत दोसांझ मुख्य भूमिका में हैं । जबकि अब तक इस फिल्म का टाइटल फाइनल नही हुआ है, रिलीज के लिए रेडी इस फिल्म के सामने एक बड़ी मुश्किल आ खड़ी हुई है।

दिलजीत दोसांझ स्टारर जसवंत सिंह खालरा बायोपिक के मेकर्स ने किया हाईकोर्ट का रुख ; 6 महीने से सेंसर की मंजूरी के इंतजार में ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट की सच्ची कहानी

दिलजीत दोसांझ की फ़िल्म रिलीज के इंतज़ार में

इंडस्ट्री के एक सूत्र ने बताया कि मेकर्स पिछले 6 महीनों से फिल्म की रिलीज के लिए सेंसर की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं । उसके मुताबिक, “आरएसवीपी ने दिसंबर 2022 में सेंसर सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई किया था, और इसे रिव्यू कमीटी के पास भेजा गया था। टीम ने अनुरोध किए गए सभी जरूरी पेपर वर्क को साझा किया और पूरी लगन के साथ प्रक्रिया के बारे में जाना, लेकिन सीबीएफसी से कोई समाधान नहीं मिलने पर, उन्होंने आखिरकार बुधवार (14 जून) को बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया ।

जसवंत सिंह खालरा पंजाब में उग्रवाद काल के दौरान अमृतसर में एक बैंक के डायरेक्टर थे, जिन्होंने पुलिस द्वारा हजारों अज्ञात शवों के अपहरण, एलिमिनेशन और क्रिमेशन के सबूत पाए थे। उन्होंने कथित तौर पर अपने खुद के 2000 अधिकारियों को भी मार डाला, जिन्होंने इन अतिरिक्त न्यायिक कार्यों में सहयोग करने से इनकार कर दिया था। जसवंत सिंह खालरा की जांच से दुनिया भर में विरोध शुरू हो गया और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने निष्कर्ष निकाला कि पंजाब पुलिस ने अकेले पंजाब के तरनतारन जिले में 2097 लोगों का अवैध रूप से अंतिम संस्कार किया था ।

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया और नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन ने उसके डेटा की वैधता को प्रमाणित किया है ।

6 सितंबर 1995 को जसवंत सिंह खालरा खुद गायब हो गए थे। उनकी पत्नी परमजीत कौर की शिकायत में हत्या, अपहरण और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया था। तरनतारन और अमृतसर जिलों में न्यायेतर हत्याओं को रोशनी में लाने में सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा को "खत्म" करने में चार पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए "जघन्य अपराध" का कड़ा संज्ञान लेते हुए, पंजाब और हरियाणा की अदालत ने  16 अक्टूबर, 2007 को चारों आरोपियों, पूर्व हेड कांस्टेबल पृथ्वीपाल सिंह और पूर्व उप-निरीक्षक सतनाम सिंह, सुरिंदर पाल सिंह और जसबीर सिंह की सजा को सात साल से बढ़ाकर आजीवन कारावास कर दिया।

सूत्र ने आगे बताया, “जसवंत सिंह खालरा केस अब वापस अदालत में है लेकिन इस बार सेंसर सर्टिफिकेट के लिए । इस पर 4 जुलाई को सुनवाई होगी और अमित नाइक, वो खालरा बायोपिक लीगल टीम को भी लीड कर रहे हैं ।

संयोग से, 2016 की क्राइम ड्रामा अभिषेक चौबे द्वारा लिखित और निर्देशित थी । सेंसर बोर्ड की रिवाइजिंग कमेटी ने 89 कट की डिमांड की थी और पंजाब के सभी रेफरेंस हटा दिए थे । बाद में इसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने केवल एक सीन को एडिट करके और '' सर्टिफिकेट के साथ मंजूरी दे दी थी ।