संजय लीला भंसाली की पद्मावत की रिलीज के 6 साल पूरा होने का जश्न मनाते हुए, उनके इस मैग्नम ओपस में कला की जादूगरी है, उससे खुद को प्रभावित होने से रोकना  बिल्कुल भी नामुमकिन नहीं है । यह एक ऐसे युग है जहां कहानी सुनाना अक्सर सीमाओं के परे होता है, ऐसे में एसएलबी असल में भारतीय कहानियों के बेजोड़ ध्वजवाहक के रूप में खड़े हैं, जिनकी कहानियां भव्यता, भावना और सांस्कृतिक प्रामाणिकता का सहज मिश्रण है।

6 Years of Padmaavat: दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर की शानदार परफ़ॉर्मेंस के अलावा फ़िल्म के ग्रैंड सेट्स, स्क्रीनप्ले, वीएफ़एक्स, डायलॉग्स और चार्टबस्टार म्यूजिक ने संजय लीला भंसाली की पद्मावत को बनाया आइकॉनिक फ़िल्म

संजय लीला भंसाली की पद्मावत ने पूरे किए 6 साल

भंसाली का नाम सौंदर्य संबंधी शानदारता से गूंजता है, और पद्मावत उनकी शानदार सोच और विजन की पुष्टि के रूप में काम करता है। ऐसे में छह साल पहले रिलीज हुई यह फिल्म आज भी लोगों को बहादुरी, सच्चे प्यार, क्रूरता पर विजय पाने वाले आदर्शों की अमर कहानी से बेहद प्रभावित करता है। ट्रेंड के साथ चलने वाली इंडस्ट्री में, एसएलबी की काबिलियत उनके द्वारा बनाई जाने वाली असामान्य सिमेटिक अनुभव देने वाली फिल्में साबित करती हैं।

फिल्म में मौजूद खास बात यह भी थी कि इसने रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की खूबसूरत केमिस्ट्री को एक अलग मोड़ दिया था। दोनो स्टार्स को ऐसे किरदारों में कास्ट किया गया था जो उनकी वर्सेटिलेपन को पेश कर रहा था। भंसाली की कहानी सुनाने की क्षमता में जो पक्का विश्वास था, उसने न सिर्फ इन दोनो स्टार्स को एक साथ लाया बल्कि, दर्शकों को अलग -अलग किरदारों के रंग में डूबी दिया, जिससे यह सभी के लिए एक यादगार अनुभव बन गया।

पद्मावत हर फिल्म मेकिंग के पहलू को मास्टरपीस बनाता है। कास्टिंग, सेट्स, स्क्रीनप्ले, वीएफएक्स, डायलॉग्स और म्यूजिक, हर एलिमेंट ने फिल्म को शानदार बनाने में अहम भूमिका निभाई है। रणवीर सिंह, शाहिद कपूर ने अपने करियर के खास और शानदार परफॉर्मेंस दी है, जिसमें रणवीर का गुस्सैल पक्ष को पेश किया गया है और शाहिद ने एक शांत राजा के रूप में अपने किरदार से बेहद इंप्रेस किया है। जबकि, दीपिका पादुकोण ने रानी पद्मावत के रूप में, सुंदरता और शक्ति की मिसाल पेश को है।

संगीत हमेशा भंसाली की फिल्मों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, और पद्मावत इसमें कोई अलग नहीं है । साउंडट्रैक, जिसमें सुलझी हुई मेलोडीज़ और ऊर्जावान बीट्स का शानदार मिश्रण है, कहानी को सहजता से समृद्धि प्रदान करती है। 'एक दिल एक जान,' 'होली,' 'बिंते दिल,' 'घूमर,' और 'खली बली' जैसे ट्रैक्स, न सिर्फ सिनेमा का अनुभव बढ़ाते हैं बल्कि दर्शकों के दिलों में भी बस चुके हैं।

भंसाली की खास सिनेमाई भाषा गहरे रूप से भारतीय संस्कृति में बसी हुई है।  उनकी कहानियाँ महाकाव्य, कल्पना और फ्रेमिंग को समेटे हुए हैं, जो लोकल और ग्लोबल दोनो को दर्शकों के साथ मेल-जोल करती हैं।  एसएलबी ने खुद को एक ऐसे फिल्म निर्माता के रूप में स्थापित किया है जो खास तौर से भारतीय कहानियों के वैश्विक मंच के लिए बनाते हैं।  इस तरह, उन्होंने अपने आप को हिंदी सिनेमा के एक मशाल वाहक के रूप में भी स्थापित किया है।

पद्मावत की रिलीज के इन 6 सालों पर अगर हम नजर डालें तो संजय लीला भंसाली का भारतीय सिनेमा में योगदान बेमिसाल है। उनकी शानदार कहानियाँ हैं, जिनके हमारे संस्कृति से गहरे आधार होते हैं, और यही वह चीज है जो उन्हें अलग बनाती है। वो मैस्ट्रो हैं जो देश की सिनेमैटिक लैंडस्केप को आगे बढ़ाना जारी रखे हुए हैं।