अजय देवगन, रकुल प्रीत सिंह और तब्बू अभिनीत फ़िल्म दे दे प्यार दे का गाना 'वड़ी शराबन' पहले ही हिट हो चुका है । इस गाने में रकुल प्रीत सिंह शराब पीकर मस्ती में डांस करते हुए नजर आ रही है । इस गाने में जिस तरह रकुल अपनी पतली कमर पर शराब की बड़ी सी बोतल लहराती हैं उसे काफ़ी पसंद किया जा रहा है । तो यदि आप इसी सीन की खातिर फ़िल्म देखने के लिए थिएटर तक जाने वाले हो तो यहां आपके लिए एक बुरी खबर है । सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने दे दे प्यार दे के निर्माताओं को शराब की बोतल वाले सीन को हटाने के लिए कहा है । और हैरानी की बात है कि इस गाने में अब रकुल प्रीत सिंह के हाथों में शराब की बोतल की जगह फ़ूलों का गुलदस्ता दिखाई देगा ।

De De Pyaar De: फ़िर 'संस्कारी' हुआ CBFC, रकुल प्रीत सिंह के हाथों में शराब की बोतल की जगह थमाया फ़ूलों का गुलदस्ता ?

दे दे प्यार दे में रकुल प्रीत सिंह के सीन में बदलाव करने के लिए कहा गया

दे दे प्यार दे की कट लिस्ट पर एक नज़र डालें तो पता चलता है कि फिल्म को 7 मई को सेंसर सर्टिफिकेट मिला और यह 2 मिनट 14 मिनट लंबी है । फिल्म में तीन संशोधन हुए हैं । उनमें से दो डायलॉग डबल एंटेंडर थे । और ये डायलॉग्स थे- 'परफ़ोरमेंस बेटर होती है' और 'मंजू जी के आलू ओ हो हो…वही अच्छे हैं" । आपको बता दें कि, चूंकि यह एक यू/ए फिल्म है, इसलिए ऐसे वन-लाइनर्स को हटाने के लिए कहा गया था ।

मेकर्स को तीन संशोधन करने के लिए कहा गया

लेकिन सीबीएफ़सी ने जो तीसरा संशोधन कराया है वह तो वाकई बहुत मनोरंजक है । दे दे प्यार दे की कट लिस्ट के अनुसार फ़िल्म के एक सीन में बदलाव करने के लिए कहा गया है । और वो सीन है रकुल प्रीत सिंह का जिसमेम वह हाथ में शराब की बोतल पकड़े हुए है और अब मेकर्स उसे फ़ूलों के गुलदस्ते में बदलने जा रहे है । सूची में यह भी उल्लेख किया गया है कि ये संशोधन फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) के आदेश के अनुसार किए गए हैं ।

De De Pyaar De: फ़िर 'संस्कारी' हुआ CBFC, रकुल प्रीत सिंह के हाथों में शराब की बोतल की जगह थमाया फ़ूलों का गुलदस्ता ?

अब नहीं होगी शराब की बोतल

आपको बता दें कि, प्रमाणन के लिए प्रस्तुत किसी भी फिल्म को शुरू में सीबीएफसी की एक परीक्षा समिति (ईसी) द्वारा देखा जाता है। यदि फिल्म निर्माता को लगता है कि ईसी द्वारा पूछे गए कट अनुचित हैं, तो वह रिवाइजिंग कमेटी (आरसी) से संपर्क कर सकता है । यदि अभी भी असंतुष्ट है, तो वह FCAT से अपील कर सकता है । एफसीएटी को आम तौर पर उदार और समझदार ईकाई के रूप में देखा जाता है क्योंकि इस ईकाई ने मामूली सी कटौती के साथ रमन राघव 2.0, मोहल्ला अस्सी, कालकांडी आदि जैसी फिल्में पास की हैं । यहां तक कि हाल ही में जारी नो फादर इन कश्मीर भी एफसीएटी की बदौलत बच गई । इसलिए, यह चौंकाने वाला है कि एक ही ट्रिब्यूनल एक महिला को शराब पीने और मीरा बनाने की दृष्टि से असहज हो गया ।

पद्मावत ने भी माना था सीबीएफ़सी का आदेश

आपको याद हो तो ऐसी ही दिक्कत सीबीएफ़सी को बीते साल रिलीज हुई फ़िल्म पद्मावत से थी । सीबीएफ़सी ने फ़िल्म के गाने 'घूमर' में दीपिका की कमर को कवर करने के लिए कहा था । दर असल, दीपिका फ़िल्म में कई लोगों द्वारा देवी के रूप में पूजनीय किरदार निभा रही थीं । और इस फ़िल्म को लेकर पहले ही बड़ा विवाद खड़ा हो चुका था । इसलिए सीबीएफसी बहुत सतर्क हो गया और उसने मेकर्स से यह मांग की । मेकर्स ने सीबीएफ़सी के आदेश का पालन करते हुए दीपिका की कमर को सीजीआई की बदौलत कवर किया गया । लेकिन जब दे दे प्यार दे की बात आती है, तो इसमें कोई भी असल जिंदगी का किरदार नहीं निभा रहा है यह पूरी तरह से एक काल्पनिक फिल्म है ।

इंडस्ट्री से जुड़े सूत्र ने बताया कि, ''फ़िल्म की रिलीज तक इंतजार करते है । किसी भी निष्कर्ष पर जाने से पहले हमें उस सीन के संदर्भ को जानना होगा । इसके अलावा, जिस हिस्से में शराब की जगह फूल डाला गया है, उक्त गीत का हिस्सा नहीं हो सकता है - यह पूरी तरह से एक अलग अनुक्रम हो सकता है । फिर भी, यह बहुत अजीब है कि ऐसा आदेश सीबीएफसी द्वारा पारित किया गया था । हमारी फिल्मों में हीरोइनों को 55-60 सालों से शराब पीते दिखाया गया है या उससे भी ज्यादा । तब यह वर्जित था और अब यह पूरी तरह स्वीकार्य है । और 'वड़ी शराबन' गाने में इस सीन को बहुत ही अच्छी तरह से दर्शाया गया है । यह किसी भी तरह से अपमानजनक नहीं लगता । फिर उन्होंने इस तरह के संशोधन के लिए मुखे क्यों कहा !"

यह भी पढ़ें : दे दे प्यार दे : अजय देवगन, तब्बू और रकुल प्रीत सिंह की रोमांटिक-कॉमेडी ड्रामा की रिलीज में हुआ फ़ेरबदल

जब हमने इस बाबत फ़िल्म के निर्माता लव रंजन से संपर्क किया तो वह मौजूद नहीं थे । बता दें कि 4 साल पहले उनकी निर्देशित फ़िल्म प्यार का पंचनामा 2 के साथ भी सीबीएफ़सी में अनुचित व्यवहार हुआ । सीबीएफ़सी ने फ़िल्म के सभी गाली सीन को काट दिया और उसके बाद भी फ़िल्म को एडल्ट सर्टिफ़िकेट दिया गया ।