कोरोना संकटकाल का सामना पूरा देश एक्जुट होकर कर रहा है । कोरोना का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों और गरीब वर्ग को पड़ा है । ऐसे में अब इनकी मदद के लिए बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी और उनकी पत्नी शबाना रजा बाजपेयी आगे आईं हैं । मनोज बाजपेयी और उनकी पत्नी शबाना रजा बाजपेयी ने बड़े शहरों से पलायन कर चुके प्रवासी मजदूरों को फ़िर से रोजगार दिलाने का जिम्मा लिया है । इसके लिए दोनों ने ‘श्रमिक सम्मान’ नामक एक पहल को अपना समर्थन दिया है ।

मनोज बाजपेयी और उनकी पत्नी शबाना रजा बाजपेयी ने प्रवासी मजदूरों को फ़िर से रोजगार दिलाने का जिम्मा लिया

मनोज बाजपेयी और शबाना रजा बाजपेयी नेक पहल से जुड़े

मनोज और उनकी पत्नी का उद्देश्य उन प्रवासी मजदूर के लिए रोजगार पैदा करना है जो लॉकडाउन के दौरान अपने घर वापस आ गए थे । मनोज और शबाना बेरोजगारों को काम दिलाने के लिए हैल्पिंग हैंड चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ जुड़े हैं । इस ट्रस्ट के साथ मिलकर उन्होंने एक नए अभियान ‘श्रमिक सम्मान’ की शुरुआत की है । इसके जरिए वह देश के सभी हिस्सों में कुछ लघु उद्योगों को शुरू करेंगे और बेरोजगारों को रोजगार देंगे ।

‘श्रमिक सम्मान’ पहल से जुड़े

‘श्रमिक सम्मान’ पहल का उद्देश्य भारतीय राज्यों के स्थानीय गांवों और कस्बों के भीतर अल्प वयस्क और छोटे पैमाने पर कारोबार उत्पन्न करना । पब्लिक फिगर होने के नाते आजीविका जेनरेट करने वाले इस कल्याणकारी कार्य को अभिनेता मनोज और शबाना लीड करेंगे । ये पहल एक स्थानीय, पारंपरिक और स्थायी जीवनशैली को बढ़ावा देती है ताकि एक हराभरा राष्ट्र और बेहतर दुनिया बनाई जा सके । एचएचसीटी का लक्ष्य है कि 74वें स्वतंत्रता दिवस पर वे प्रभावित राज्यों में 74 परियोजनाओं के माध्यम से स्थानीय एकजुटता को मजबूत करे ।

इस पहल से जुड़कर मनोज बाजपेयी ने कहा कि, “मैं श्रमिक सम्मान का समर्थन करता हूं, प्रवासी मजदूरों की आजीविका कल्याण के लिए एचएचसीटी(HHCT) ने जो काम किया है वह बहुत सराहनीय है । इसलिए उनके साथ जुड़कर मैं बेहद खुश हूं । यह पहल समय की जरूरत है और मैं लोगो से निवेदन करता हूं कि वे आगे बढ़कर इस पहल का समर्थन करें और डोनेशन करें ।”

शबाना रजा बाजपेयी का मानना है कि “श्रमिक सम्मान को लॉन्च कर हेल्पिंग हैंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने बहुत ही काबिले तारीफ काम किया है । दुर्भाग्य से, हमारे प्रवासी मजदूर भाइयों और बहनों की समस्याएं घर लौटने से समाप्त नहीं हुई हैं । यह जानकर एक बड़ी राहत मिलती है कि इस पहल का उद्देश्य जमीनी स्तर पर इन मुद्दों को हल करना है । मैं इस तरह की पहल का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रही हूं ।”