फ़िल्मी महकमे में ये सुगबुगाहट है कि, फ़िल्ममेकर संजय लीला भंसाली अपनी वैकल्पिक आलिया भट्ट की फ़िल्म गंगूबाई काठियावाड़ी में अपनी बंद हुई फ़िल्म इंशाअल्लाह के गाने यूज करेंगे । लेकिन हम आपको बता दें कि यह महज अफ़वाह है ऐसा कुछ नहीं है । इन दिनों निर्माता-संगीतकार संजय लीला भंसाली आलिया भट्ट अभिनीत गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए पूरी तरह से नया साउंडट्रैक तैयार करने में व्यस्त हैं ।

आलिया भट्ट की गंगूबाई काठियावाड़ी के गानों का इंशाअल्लाह के गानों से कोई कनेक्शन नहीं होगा, नया साउंडट्रैक बनाने में बिजी हुए भंसाली

आलिया भट्ट की गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए संजय लीला भंसाली तैयारी में जुटे

भंसाली के बेहद करीबी सूत्र ने बताया कि, "आलिया को छोड़कर इंशअल्लाह और गंगूबाई काठियावाड़ी के बीच कुछ भी कॉमन नहीं है । इंशाअल्लाह के लिए भंसाली का संगीत और गीत सॉफ़्ट और रोमांटिक थे, जबकि गंगूबाई इसके विपरीत फ़िल्म है । गंगूबाई के गाने काफ़ी फ़ॉक, रॉ और जमीन से जुड़े हुए रहेंगे । पहली बार भंसाली इस फ़िल्म के लिए फ़ॉक सॉग स्टाइल में गाने कंपोज करेंगे ।''

लता मंगेशकर से इंस्पायर हैं भंसाली

क्या हम उस दौर में वापस लौट रहे हैं जिसमें निर्देशक के अपने खुद के म्यूजिक कंपोजर होते थे । बीते दौर की बात करें तो सत्यजीत रे इसका सशक्त उदाहरण है । इस पर भंसाली कहते हैं कि, “कई फिल्म निर्माताओं में असल में एक वास्तविक संगीतकार हुपा हुआ होता है । राज साब (राज कपूर) के दिमाग में भी उनकी कई सारी संग़ीत रचनाएं थी । जिसे वह शंकर-जयकिशन के साथ शेयरकरते थे और फ़िर उस पर काम किया जाता था ।

एक संगीतकार के रूप में भंसाली ने अपनी सबसे बड़ी प्रेरणा लता मंगेशकर को माना है । “एक संगीतकार के रूप में मुझे मेरे संगीत के लिए सबसे बड़ी प्रशंसा मेरी आदर्श लता जी से मिली । लता जी ने मुझे मेरी सभी फ़िल्म के लिए इंस्पायर किया । उसने मुझे बताया कि मेरे ’पिंगा’ गीत का 'लटपट लटपाट' उनके गीत वी शांताराम की अमर भूपाली में था । लताजी ने कहा कि उन्हें मेरे गाने पसंद हैं और जिस तरह से मैंने उन्हें फिल्माया है । फिर उन्होंने प्यार से मुझे कहा कि, 'आपने मेरा लटपट लटपट उठा लिया ।' इस पर मैंने विनम्रतापूर्वक कहा कि यह सच है ।''

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भंसाली ने आगे कहा कि, "मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि दीवानी मस्तानी पूरी तरह से लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की रचना शैली से प्रेरित है । बाजीराव मस्तानी, दरअसल लताजी की आवाज, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत और के आसिफ और वी शांताराम के सिनेमा के लिए एक श्रद्धांजलि है । मुझे इन सभी शैलियों को अपनी फ़िल्म में समाने पर बहुत गर्व है ।”