फुले फिल्म को लेकर अनुराग कश्यप के ब्राह्मण समाज पर जातिगत टिप्पणी से खूब विवाद गहराया । यहाँ तक कि अनुराग कश्यप के ख़िलाफ़ FIR भी दर्ज हुई वहीं लिरिसिस्ट मनोज मुंतशिर शुक्ला ने फिल्ममेकर अनुराग कश्यप को एक विशेष वर्ग के बारे में उनकी विवादास्पद और असंवेदनशील टिप्पणी के बाद खुली चुनौती दे दी ।  मनोज मुंतशिर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए एक वर्ग पर की गई टिप्पणी के लिए अनुराग कश्यप की खिंचाई की । लेकिन अब रोजलिन खान ने इस मुद्दे को एक नया मोड़ दिया है और अनुराग कश्यप की फुले फिल्म विवाद को जातिवाद की ओर मोड़ने के लिए मनोज मुंतशिर की आलोचना की, इस बात पर प्रकाश डाला कि विषय हमेशा पहले महिला सशक्तिकरण के बारे में था ।

Exclusive: फुले फिल्म विवाद को रोजलिन खान ने दिया एक नया एंगल ; “ये मुद्दा जातिगत से ज़्यादा महिला सशक्तिकरण के बारे में था, लेकिन मनोज मुंतशिर ने इसे अलग घुमा दिया”

मनोज मुंतशिर ने फुले फिल्म विवाद को अलग घुमा दिया

रोजलिन खान ने कहा,  “अनुराग कश्यप ने जो कहा है, उससे मैं बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं, लेकिन जिस तरह से मनोज मुंतशिर इस मुद्दे को उठा रहे हैं, उससे मुझे गंभीर समस्या है । यह मुद्दा मूल रूप से कभी भी जातिवाद या किसी भी चीज़ के बारे में नहीं था । यह हमेशा महिला सशक्तिकरण के बारे में था । अगर ये महिलाएं वहां नहीं होतीं, तो आज भी महिलाएं फंसी हुई होतीं और स्वतंत्रता के लिए तरस रही होतीं । पूरा मुद्दा महिला सशक्तिकरण के बारे में है और कैसे महिलाओं के अधिकारों को कम किया गया और कैसे इन मजबूत महिलाओं ने आने वाली पीढ़ी की महिलाओं के भाग्य को बदलने में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला । मनोज मुंतशिर जानबूझकर बातचीत की दिशा बदल रहे हैं और इसे जातिवाद की बात बना रहे हैं । जबकि वह ब्राह्मणों पर अनुराग कश्यप की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देने के लिए स्वतंत्र हैं, वे एक साथ महिलाओं के बारे में क्यों नहीं कह रहे हैं और यही कारण है कि सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले को क्यों सराहा गया था । इस मामले को जातिवाद की बात में नहीं मोड़ना चाहिए । यह महिलाओं, उनके जीने और अस्तित्व की स्वतंत्रता के बारे में है । केंद्रीय ध्यान उसी के आसपास होना चाहिए । मनोज मुंतशिर को यह समझने की जरूरत है ।

दरअसल प्रतीक गांधी और पत्रलेखा स्टारर फिल्म फुले 11 अप्रैल को रिलीज की जाने वाली थी। यह फिल्म समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले की जिंदगी पर आधारित है । ट्रेलर रिलीज के बाद से ही फिल्म पर जातिवाद के आरोप लग रहे थे, जिसके बाद सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म में कई बदलाव करने के सुझाव दिए थे । सीधेतौर पर अनुराग कश्यप का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं था, हालांकि सेंसर बोर्ड का रवैया देखकर उन्होंने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर अपनी राय रखना शुरू कर दी । उन्होंने 5 दिन पहले फिल्म फुले और जातिवाद के मुद्दे पर एक पोस्ट शेयर की । अनुराग कश्यप की इस पोस्ट पर एक शख्स ने कमेंट किया, ‘ब्राह्मण तुम्हारे बाप हैं । जितना तुम्हारी उनसे सुलगेगी, उतनी तुम्हारी सुलगाएंगे ।’ इस कमेंट पर अनुराग कश्यप ने भी रिप्लाई किया । अनुराग के रिप्लाई की भाषा ऐसी थी, जिसे लिखना अमर्यादित होगा ।

अनुराग कश्यप के कमेंट का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और ब्राह्मण समाज ने उनकी आलोचना करना शुरू कर दी । कई शहरों में उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज हुईं और उनके विरोध में पुतले तक जलाए गए । अनुराग यहां भी नहीं थमे। उन्होंने अपने कमेंट का स्क्रीनशॉट शेयर कर ऐसे-ऐसे बयान दिए, जिन्होंने आग में घी का काम किया ।

लेकिन अब अनुराग कश्यप ने अपने बयान पर माफ़ी माँग ली है । अनुराग कश्यप ने आज मंगलवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा है, “मैं गुस्से में मर्यादा भूल गया था । लेकिन अब ऐसा नहीं होगा ।”

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