स्कैम 1992 में हर्षद मेहता का किरदार निभाकर लोकप्रिय हुए प्रतीक गांधी हाल ही में रिलीज फ़िल्म अग्नि में एक फ़ायरफ़ाइटर के किरदार में नजर आए । इस फ़िल्म में प्रतीक गांधी के साथ सैयामी खेर और दिव्येंदु भी अहम रोल में नजर आए हैं । डायरेक्ट प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई अग्नि को काफ़ी पसंद किया जा रहा है खासकर प्रतीक गांधी के काम को, जिसमे उन्होंने एक निडर फ़ायरफाइटर का किरदार निभाया है । फ़ायरफ़ाइटर्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जो अभी तक अनछुआ था और शायद ही कभी इस विषय पर कुछ देखने को मिला लेकिन प्रतीक गांधी ने इसे करके, इसमें मानो जान ही डाल दी हो । ख़ुद प्रतीक गांधी को भी अग्नि की स्क्रिप्ट सुनकर बहुत दुख हुआ की क्यों अभी तक इस विषय पर स्क्रीन के लिए कुछ नहीं बनाया गया । बॉलीवुड हंगामा हिंदी के साथ हुए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में प्रतीक गांधी ने अग्नि को एक आई ओपनर फ़िल्म बताया, उन फ़ायर फ़ाइटर्स के लिए जो लोगों की जान बचाने के लिए खुद की जान की बाजी लगा देते हैं ।

EXCLUSIVE: अग्नि को एक ‘आई ओपनर’ फ़िल्म मानते हैं प्रतीक गांधी ; “फ़ायरफाइटर्स को कभी उस एंगल से देखा ही नहीं गया” ; दिव्येंदु के साथ फिर से काम करने की जताई इच्छा

अग्नि, एक आई ओपनर फ़िल्म साबित हो सकती है, उन फ़ायर फ़ाइटर्स के लिए जो लोगों की जान बचाने के लिए खुद की जान की बाजी लगा देते हैं ?

ये फील मुझे आया था । सबसे बड़ी बात जब मैंने ये इस फ़िल्म के बारें में सुना, इसकी स्क्रिप्ट पढ़ी तो मुझे ख़ुद पर शर्म आई की मैंने फ़ायरफाइटर्स को उस एंगल से कभी देखा ही नहीं । हमने कभी उनकी लाइफ़ पर ध्यान ही नहीं दिया की वो कैसे जीते होंगे । हमने बचपन से सिर्फ़ इतना ही सुना था की, जब कहीं आग लगती है, भूकंप आता है, बाढ़ आती या कोई भी आपदा आती है, तो सबसे पहले मदद के लिए यही लोग पहुंचते हैं और लोगों को बचाते हैं । तो मैंने कभी यह नहीं सोचा की उनकी दुनिया कैसी होगी । लेकिन मैं भी उसी ऑडियंस में से ही एक हूँ और जब मुझे ये फील हुआ तो, बाक़ी लोगों को भी यही फील होगा, इसलिए मुझे लगता है की अग्नि एक आई ओपनर फ़िल्म बन सकती है, पूरी सोसायटी के लिए । मेरी जिससे भी बात हुई उसने यही कहा कि फ़ायरफ़ाइटर वाली फ़िल्म या कोई शो हमने अभी तक हिंदी में देखा ही नहीं है ।

फ़ायरफ़ाइटर्स जैसे अनछुए सब्जेक्ट को लेकर बॉलीवुड में शायद ही कभी कुछ देखने को मिला है  । आपके लिए ये कितना चैलंजिंग रहा  ?

बहुत चैलेंजिंग था लेकिन मजेदार भी बहुत था । ख़ासकर टेक्निकल ट्रेनिंग लेना हमारे लिए बहुत जरूरी था । ताकि हम जितने भी फ़ायरफ़ाइटर्स स्क्रीन पर दिखा रहे थे, वो रियल लगे। फ़ायफ़ाइटर्स का अपना एक स्वैग है । उस स्वैग को हम हीरोइज़्म के तौर पर नहीं दिखाना चाहते थे । ये स्वैग इंटरनल है न की ऐसा की, उसमें अपनी बॉडी दिखाओ, सिक्स पैक एब्स दिखाओ । फ़ायरफ़ाइटर्स में हिम्मत का स्वैग है जो उनकी आँखों में दिखता है । उनकी बॉडी लैंग्वेज ही ऐसी है की उन्हें देखकर लगेगा कि ये आदमी कुछ भी कर सकता है । उनकी लाइफ़ जानने के लिए हमने कई रियललाइफ़ फ़ायरफ़ाइटर्स के साथ बातें की उनकी फ़ैमिली से बातें की । वो क्या सोचते हैं ये जानना मेरे लिए बहुत जरूरी था । बेशक फिजिकल ट्रेनिंग और टेक्निकल ट्रेनिंग जरूरी है । क्योंकि जितने उपकरण वो यूज करते हैं, जिस हिसाब से वो चीजें उठाते हैं । उसे रियल दिखाने के लिए हमें ट्रेनिंग तो करनी ही थी । लेकिन सबसे ज्यादा जो मेरे लिए जरूरी था वो उनकी मानसिकता को जानना था की वो कैसे सोचते हैं, ये मुझे जानना था ।

ओटीटी पर काम करने पर अपने टैलेंट को एक्सप्लोर करने का ज्यादा मौका मिल जाता है ?

जी हाँ, ये सही है । क्योंकि OTT पर परफॉर्म करने का स्टाइल ही पूरा अलग है । उसे देखने वाली ऑडियंस बहुत बड़ी है । और किसी किरदार को 8-10 घंटे के एपिसोड की सीरिज में करना, चार फ़िल्मों के बराबर हो जाता है । तो मुझे लगता है की ये एक एक्टर के लिए बहुत चैलेंजिंग होता है । और OTT आपको वो एक अलग व्यूइंग एक्सपीरियंस देता है । एक्टर के तौर पर OTT पर काम करना बहुत संतुष्टिपूर्ण हैं ।

दिव्येंदु और आप, इंडस्ट्री के नए ‘जय-वीरू’ बन गए हैं । अब लोग, आप दोनों को साथ में, स्क्रीन्स पर और ज्यादा देखना चाहते हैं- तो फ्यूचर में आपको एक साथ देखने के कितने चांस है ?

हम दोनों को बहुत मजा आएगा यदि ऐसा कुछ आएगा तो । हम दोनों तो तैयार है । देखते हैं कहाँ से ऐसी कोई स्क्रिप्ट आती है जिसमें हम दोनों साथ में हो ।