सुशांत सिंह राजपूत एक बेहतरीन अभिनेता थे । वैसे तो उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर में कई बेहतरीन फ़िल्में दी थी लेकिन उनकी सभी फ़िल्मों में से सुशांत का सबसे शानदार प्रदर्शन सोनचिड़िया में देखा गया । इस फ़िल्म में सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी प्रतिभा के एक नए स्तर को छू लिया था । लेकिन अफ़सोस, इस फ़िल्म को उस नजर से नहीं सराहा गया जिसकी ये हकदार थी । हिंदी सिनेमा के इतिहास में कोई भी फ़िल्म या उसके किरदारों की परफ़ोर्मेंस इससे ज्यादा कम नहीं आंका गया । इसलिए अब एक बार फ़िर सोनचिड़िया के माध्यम से सुशांत को ट्रिब्यूट देने की तैयारी की जा रही है । वैसे तो यह फ़िल्म फ़रवरी 2019 में थिएटर में रिलीज हुई थी, लेकिन अब इसे एक बार फ़िर से ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर और सिनेमाघरों में (जब भी खुलेंगे) रिलीज किया जाएगा ।

सुशांत सिंह राजपूत की सबसे पसंदीदा फ़िल्म सोनचिड़िया फ़िर से सिनेमाघरों में होगी रिलीज ?

सुशांत सिंह राजपूत की पसंदीदा फ़िल्म है सोनचिड़िया

मुझे याद है कि सुशांत को अपनी इस फिल्म पर कितना गर्व था । जब मैंने उनसे कहा था कि, इस फ़िल्म में उनका अभी तक का सबसे बेहतरीन परफ़ोर्मेंस देखने को मिला, और यह फ़िल्म उनकी सबसे उत्कृष्ट फ़िल्म है , तो वह भी मेरी बात से सहमत हुए । “मैं आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत हूं । हालांकि मैंने अपनी बाकी की फ़िल्मों में भी बहुत मेहनत की है, लेकिन सोनचिड़िया के लिए मैंने विशेष रूप से कड़ी मेहनत की है । मुझे लगता है कि सोनचिड़िया को हमारे निर्देशक अभिषेक चौबे की कड़ी मेहनत के लिए सराहा जाना चाहिए । वास्तव में हम सभी कलाकारों और तकनीशियनों ने चंबल की तपती गर्मी में बेहद कड़ी मेहनत की ।”

फ़िल्म को मिली बुरी समीक्षाओं और बॉक्सऑफ़िस असफ़लता ने भी सुशांत के जोश को कम नहीं किया था । इस बारें में बात करते हुए सुशांत ने कहा कि, “अच्छा लगता है, जब कोई किसी के प्रयासों को सराहता है । मैं कभी फ़ेम और भाग्य के पीछे नहीं भागता । न ही कभी 100 करोड़ क्लब में मेरी कोई दिलचस्पी है ।”

सुशांत ने अपनी बातों में क्लीयर कर दिया था कि बॉक्सऑफ़िस की सफ़लता उनके लिए कोई मायने नहीं रखती है । “मैं जो भी काम करता हूं वो सिर्फ़ मैं अपनी संतुष्टी के लिए करता हूं । पैसा ही कमाना है तो मैं ये किसी भी प्रोफ़ेशन से कमा सकता था । मैं यहां सिर्फ़ अपने लिए कुछ अलग करने यहां हूं । मैं जब भी अपने काम को देखूं तो मुझे प्राउड फ़ील होना चाहिए । फ़िर चाहे वो काई पो चे, व्योमकेश बख्शी, धोनी, केदारनाथ हो या सोनचिड़िया । मैं खुश हूं कि मैं इन सभी फ़िल्मों का हिस्सा बना ।”

सुशांत ने बताया कि उन्हें अपने किरदार में पूरी तरह से डूब जाना पसंद है । “मैंने जिस किसी भी किरदार को अपने लिए चुना है, और यदि मैं उसके लिए अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पाऊं तो मैं ठीक से सो भी नहीं पाउंगा । अगर मैं अपने किरदार को ठीक से पहचान न पाऊं< उसकी अंतर आत्मा को छू न लू तो ये तो बईमानी होगी । या तो मैं कोई फ़िल्म साइन नहीं करता और यदि करता हूं तो फ़िर मैं उसमें अपना सर्वस्व लगा देता हूं ।”

सोनचिड़िया में अपने डाकू किरदार के साथ न्याय करने के लिए सुशांत ने खुद को कई दिनों तक बिना साफ़ किए और अपने ऊपर ध्यान दिए बिना रखा । इस बारे में सुशांत ने बताया था कि, “सोनचिड़िया में मेरा किरदार खुद को समर्पण करने जैसा था । मैंने इस किरदार के लिए खुद को एकदम न्यौछावर कर दिया था । केदारनाथ और सोनचिड़िया मे मैं अपने किरदारों के बीच जो एक कॉमन चीज देखता हूं वो है मानवतावाद का मूल । मुझे वो पकड़ना था । बाकी सफ़लता और असफ़लता मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती है ।”

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तो क्या हम ये समझे कि सुशांत को बॉक्सऑफ़िस असफ़लता से कोई फ़र्क नहीं पड़ता ? इस पर सुशांत ने कहा, “जैसा कि मैंने कहा, मुझे लगता है कि मेरी फ़िल्मों में की गई कड़ी मेहनत की सराहना की जानी चाहिए । हो सकता है मेरे मामले में यह बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों में न दिखे । लेकिन मुझे ऐसी फ़िल्में करना पसंद है और जब तक होगा मैं ऐसी फ़िल्में करुंगा ।”