कोरोना संकटकाल में निस्वार्थ भाव से अनगिनत जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे सोनू सूद लोगों की मदद करने के लिए 24x7 काम कर रहे हैं । कोरोनाकाल असल में हर किसी के लिए एक सबक बनकर भी सामने आया है । इसी मुद्दे पर सोनू सूद भी अपनी राय रखते हैं । सोनू ने कहा, “हर मानव जीवन मायने रखता है । और अगर मेरे बस में होता तो मैं किसी को भी उनके अपनों को खोने नहीं देता और न ही किसी को किसी भी तरह की कोई परेशानी आने देता । जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि फ़िल्म जगत मेरे लिए बहुत मायने रखता है इसलिए जब मैं फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े दिहाड़ी मजदूरों को आर्थिक परेशानियों से जूझते हुए देखता हूं तो बहुत दुख होता है । हम उनके लिए, जो भी बन पड़ रहा है, कर रहे हैं । कोरोना महामारी ने अनेकों लोगों की रोजी-रोटी छीन ली और हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं रही ।”

सोनू सूद ने फ़िल्म इंडस्ट्री के आर्थिक रूप से संपन्न लोगों से की खास अपील, ‘कोरोना से सबक लें और किसी भी संकट से निपटने के लिए नियमित रूप से योगदान दें’

सोनू सूद ने फ़िल्म इंडस्ट्री को दी सलाह

सोनू इस बात से खुश हैं कि राज्य अनलॉक फ़ेज में पहुंच गए हैं और धीरे-धीरे लॉकडाउन खुल रहा है । “शूटिंग फ़िर से शुरू हो रही ये जानकर मैं बहुत खुश हूं । लेकिन इसे लेकर नियत्रंण में रहे । जो भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं उनका पालन करें । सेट पर लोगों की संख्या कोविड गाइडलाइन से अधिक नहीं होनी चाहिए और मुझे लगता है कि हमें कम से कम अभी के लिए इंटीमेट सीन्स से बचना चाहिए ।”

इसके अलावा सोनू की उन सभी फिल्म फ़ेडरेशन और असोसिएशंस से भी एक खास अपील है जो फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े हजारों मजदूरों के हित में काम करते हैं । सोनू ने कहा, “सभी मजदूरों और खासकर वो मजदूर जो समय से पहले या किसी वजह से रिटायर हो गए, उन सभी के लिए भी मेडिकल इमरजेंसी की सुविधा होनी चाहिए । किसने सोचा था कि कोरोना महामारी जैसी आपदा आएगी और इतना नुकसान पहुंचाएगी । अब हमें इस अनुभव से सबक लेना चाहिए । ऐसी आपात स्थितियों के लिए हमेशा कुछ धन अलग रखा जाना चाहिए ।”

वेलफ़ेयर फ़ंड में नियमित रूप से योगदान दे

सोनू का फ़िल्म जगत को एक सलाह है जो उन्होंने हमारे साथ शेयर की । सोनू ने कहा, “वे सभी अभिनेता, निर्माता और निर्देशक जो फिल्म उद्योग में संपूर्ण रूप से सक्षम हैं, वे फिल्म इंडस्ट्री में दैनिक वेतन भोगियों के लिए वेलफ़ेयर फ़ंड में नियमित रूप से योगदान क्यों नहीं देते ? यही एकमात्र रास्ता है संकट से निपटने का । भले ही थोड़ी देर हो गई हो, लेकिन फ़िल्म जगत के आर्थिक रूप से सक्षम लोग हमारी इंडस्ट्री के उन लोगों की मदद क्यों नहीं कर सकते जो अचानक वित्तीय संकट की चपेट में आ गए हैं ?”