साल 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था । हैरानी की बात ये थी कि इसमें एक बलात्कारी नाबालिग था । घिनौने अपराध करने वाले नाबालिगों को सजा से दूर रहने के मुद्दे पर पूरे देश में बहस छिड़ गई । और हाल ही में हुए हैदराबाद के गैंगरेप-मर्डर केस ने पूरे देश को झकझोर दिया । और अब इस हफ़्ते रिलीज हुई यशराज फ़िल्म्स की फ़िल्म मर्दानी 2 भी ऐसे ही मुद्दे को दर्शाती है । तो क्या रानी मुखर्जी की मर्दानी 2 दर्शकों को रोमांचित करने में कामयाब होगी ? या यह अपने प्रयास में विफ़ल हो जाएगी ।Mardaani 2 Movie Review: दिलेर 'मर्दानी' बनकर रानी मुखर्जी ने किया इंप्रेस

मर्दानी 2, एक ऐसे मनोरोगी बलात्कारी की कहानी है जो पुलिस को चुनौती देने की कोशिश करता है । शिवानी शिवाजी रॉय (रानी मुखर्जी) अब कोटा, राजस्थान की एसपी हैं । इस शहर में, लतिका (तेजस्वी सिंह अहलावत) नाम की एक लड़की एक मेले में जाती है जहाँ वह अपने प्रेमी मोंटी (प्रतीक राजभट्ट) के साथ लड़ती है । एक रहस्यमय व्यक्ति, सनी (विशाल जेठवा), दोनों के इस झगड़े का गवाह बनता है । उसे ऐसे सभी महिलाओं से एक खास समस्या है जो अपनी बात खुलकर रखती है इसलिए वह लतिका का अपहरण कर लेता है । वह उसे एक ऐसी सूनसान जगह ले जाता है जहां वह उसे बुरी तरह से प्रताड़ित करता और बर्बरतापूर्वक बलात्कार कर उसे मार देता है । जब शिवानी को इसका पता चलता है तो वह हैरान रह जाती है और फ़ौरन इसकी जांच करने के लिए कहती है । प्रेस कॉंफ़्रेंस में वह उस कातिल को 'डेढ़ श्याना' कहता है । ये सुनकर सनी को बुरा लगता है और वह शिवानी को सबक सिखाने का फ़ैसला करता है । वह उसे फ़ूलों का गुलदस्ता भेजकर उसे एक धमकी देता है । वह एक पत्रकार कमल परिहार (अनुराग शर्मा) को फंसाने के लिए उसकी साड़ी पहनता है और एक स्थानीय राजनेता पंडितजी (प्रसन्न केतकर) द्वारा उसे दिए गए कॉंट्रेक्ट के हिस्से के रूप में उसे मार कर देता है । इसके बाद सनी चालाकी से पुलिस स्टेशन के बाहर चाय की स्टॉल में काम करने लगता है और चाय देने के बहाने थाने के अंदर घुसता है और इस केस पर चल रही चर्चाओं को सुनता है । जब एक बच्चा सनी को पहचान लेता है तो वह उसका अपरहरण कर उसे भी मार डालता है । शिवानी ये जानकर परेशान हो जाती है कि आखिर उससे चूक कहां हो रही है । वहीं उसका तबादला दूसरी जगह हो जाता है । क्योंकि हर कोई दिवाली समारोहों में व्यस्त है,इसलिए शिवानी के रिप्लेसमेंट से 2 दिन बाद चार्ज लेने की उम्मीद की जाती है । और अब शिवानी के पास इस केस को सुलझाने और सनी को पकड़ने के लिए सिर्फ़ 48 घंटे का समय है । आगे क्या होता है यह बाकी की फिल्म देखने के बाद पता चलता है ।

गोपी पुथरान की कहानी शानदार है और पहले भाग के सीक्वल के लिए अच्छा काम करती है । इसके अलावा यह स्त्री - द्वेष पर एक अच्छी टिप्पणी भी करती है । गोपी पुथरान की पटकथा अत्यधिक प्रभावी है और मनोरंजक भी है । जिस तरह से उन्होंने खलनायक के तेज दिमाग को दिखाने के लिए एक नया तरीका अपनाया है, विश्वास करने योग्य है । हालांकि उन्हें सेकेंड हाफ़ में कुछ सिनेमाई स्वतंत्रताओं को नजर अंदाज कर देना चाहिए था । गोपी पुथरान के डायलॉग ज्वलनशील है और अच्छे से काम करते है । रानी मुखर्जी अपने टीवी इंटरव्यू के दौरान एक लंबा चौड़ा भाषण देती है, वह तालियों के योग्य है ।

यह देखते हुए कि मर्दानी 2 उनकी पहली फिल्म है, गोपी पुथरान का निर्देशन बहुत अच्छा है । वह दर्शकों को बांधे रखने के लिए आवश्यक रोमांच और मनोरंजन जोड़ते है । इसके अलावा फ़िल्म में अन्य पुलिस कर्मियों की कई और कहानियां भी है, जो महिला साथी पुलिस अधिकारी हैं के नीचे काम करने के लिए तैयार नहीं है । यह सब कुछ अच्छी तरह से गूंथा गया है । वहीं दूसरी ओर, फिल्म सेकेंड हाफ़ में सरल हो जाती है । विलेन खुलेआम शहर में घूमता है जबकि उसकी तस्वीर शहर में हर जगह सामने आ चुकी है । इसके अलावा फ़िल्म में कई सारे परेशान कर देने वाला कंटेंट है । वह सीन जहां फोरेंसिक डॉक्टर (दीपिका अमीन) लतिका की चोटों के बारे में बता रही है, दर्शकों को अत्यधिक असहज कर देगी ।

मर्दानी 2, महज 105 मिनट लंबी है और जरा भी समय नहीं गंवाती है । फ़िल्म का विलेन की पहचान शुरूआत से ही करा दी जाती है और जिस चालाकी से वह लतिका को फंसाता है वह हैरान कर देने वाला है । आश्चर्य लगातार जारी रहता है, सनी, कमल परिहार को मारकर उसे आत्महत्या करार कर देता है । जिस सीन में वह बच्चे का अपहरण करता है जिससे भी रोमांच बना रहता है । इंटरवल के बाद, लगता है कि यहां से फ़िल्म खींचेंगी लेकिन हैरानी होती है कि यहां शिवानी सेकेंड हाफ़ शुरू होने के बाद सनी को ढूंढती है । हालांकि इस सीन के बाद फ़िल्म बिखर सि जाती है । कुत्ता-बिल्ली जैसी दौड़-भाग दोहराई हुई सी लगती है । एक समय बाद ये हैरानी होती है कि आखिर सनी हमेशा ही शिवानी को मात देने में कैसे सक्षम है और कैसे उससे दस कदम आगे सोचता है । हालांकि क्लाइमेक्स काफी शानदार है और दर्शक निश्चित रूप से ये देखकर तालियां बजाएंगे ।

मर्दनी 2 पूरी तरह से रानी मुखर्जी और विशाल जेठवा की फ़िल्म है । रानी एक बार फ़िर शिवानी शिवाजी रॉय के रूप में शानदार परफ़ोरमेंस देती है । ये देखना वाकई दिलचस्प है कि वह अपने किरदार को बखूबी अपने अंदर समा लेती है । वह वैसे काफ़ी सख्त हैं लेकिन उनका एक संवेदनशील साइड भी है । वह एक्शन सीन में भी छा जाती है । विशाल जेठवा पूरी फ़िल्म में ।छा जाते है । वह पहले सीन से ही प्रभावित करते है । आश्चर्यजनक रूप से, उन्हें फ़र्स्ट हाफ़ में रानी की तुलना में ज्यादा स्क्रीन टाइम मिलता है । पूरी फ़िल्म के दौरान वह काफ़ी डरावने लगते है । तेजस्वी सिंह अहलावत सभ्य हैं जबकि दीपिका अमीन एक स्पेशल अपीरियंस में ठीक हैं । अन्य कलाकार जो अच्छा काम करते हैं, वे हैं- प्रतीक राजभट्ट, प्रसन्ना केतकर, श्रुति बापना (भारती), सुमित निझावन (बृज शेखावत), सनी हिंदुजा (विप्लव बेनीवाल) और ऋचा मीना (सुनंदा) । राजेश शर्मा (अमित शर्मा) रिपोर्टर के रूप में काफी अच्छे हैं और रानी के साथ उनका दृश्य फिल्म के उच्च बिंदुओं में से एक है ।

मर्दानी 2 बिना गानों वाली फ़िल्म है । जॉन स्टीवर्ट एडूरी का बैक ग्राउंड संगीत तेज है लेकिन प्राणपोषक है । जिष्णु भट्टाचार्जी की सिनेमैटोग्राफी काफी साफ-सुथरी है और एक हद तक छोटे शहर का एहसास कराती है । सुकांत पाणिग्रही का प्रोडक्शन डिजाइन ठीक है । लेपाक्षी एलावादी की वेशभूषा यथार्थवादी है । विक्रम दहिया के एक्शन यथार्थवादी है । शानू शर्मा की कास्टिंग ऑन स्पॉट है । मोनिशा आर बलदावा का संपादन सरल है ।

कुल मिलाकर, मर्दानी 2, रानी मुखर्जी और विशाल जेठवा के शानदार अभिनय से सजी एक रोमांचक पटकथा वाली मनोरंजक थ्रिलर फ़िल्म है । हालांकि बॉक्सऑफ़िस पर अपनी पकड़ बनाने के लिए इस फ़िल्म को दमदार पॉजिटिव रिएक्शन की जरूरत होगी ।