हिंदी सिनेमा में 20 साल से भी ज्‍यादा का समय गुजार चुके अभिनेता राजपाल याद की कॉमेडी ने हमेशा ही दर्शकों को खूब हंसाया है । और अब राजपाल यादव जल्द ही वरुण धवन और सारा अली खान की फ़िल्म कुली नंबर 1 में लोगों को अपनी शानदार कॉमेडी हंसाते हुए नजर आएंगे । कुली नंबर 1 के प्रमोशन के दौरान राजपाल यादव ने बॉलीवुड हंगामा के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की जिसमें उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर बात की । साथ ही अपने स्ट्रगल के बारें में भी कहा कि उनका स्ट्रगल अभी तक खत्म नहीं हुआ है ।

EXCLUSIVE: बॉलीवुड में अपने स्ट्रगल पर बोले राजपाल यादव, “मेरा स्ट्रगल खत्म नहीं हुआ है, मैं अभी भी दिन-रात स्ट्रगल कर रहा हूं”

राजपाल यादव के लिए काम ही उनका मित्र है

जब आप मुंबई आए तो आपके पीछे कोई नहीं था फ़िल्म इंडस्ट्री में लेकिन फ़िर भी आपने एक अच्छा मुकाम हासिल किया । आपका स्ट्रगल का समय भी औरों के मुकाबले इतना ज्यादा नहीं रहा । जैसे ही आपको काम मिला आपने चौके-छक्के मारने शुरू कर दिए । तो क्या ये आपका पॉजिटिव एटीट्यूड यानी सकारात्मक रवैया था जिसने आपको बॉलीवुड में काम मिलने में आपकी मदद की ।

इसके जवाब में राजपाल ने कहा, “स्ट्रगल जिसको बोलते हैं उसके लिए मेरे पास दो शब्द हैं बिगनर और लर्नर । और जिस स्ट्रगल की बात आप कर रहे हैं तो 1984 से आज 2020 तक भी मैं दिन रात स्ट्रगल कर रहा हूं । लोगों को लगता है कि राजपाल को बहुत अच्छा काम मिल रहा है । मेरा स्ट्रगल खत्म नहीं हुआ है पर अच्छी बात ये है कि मेरे पास काम बहुत है । बचपन से मैं बहुत सौभाग्यशाली रहा हूं कि मेरा एक ही मित्र रहा है और वो है काम । संडे को भी मुझे अपने घर में काम मिल जाता है बिजी होने के लिए ।

कितनी भी कठिनता हो उसकी सरलता चाहिए

“मेरा गांव है जहां 6 महीने बहुत दिक्कतों का सामना करना होता है । इसलिए 2005 में मैंने अपने गांव को गोद लिया था । तो कर्म करना सिर्फ़ अभिनय करना ही नहीं है । अभिनय तो मेरा पैशन है और ये वो अखाड़ा है कि मैं जब तक जीवित हूं तब तक उसमें फ़ाइट करुंगा, अच्छा काम पाने के लिए । लेकिन उसके साथ एक और सेवा ये भी है कि मेरा गांव अच्छा और सुविधायुक्त हो ।

मेरे गांव में जब भी कोई जाता है मुझे माला पहनाने के लिए तो मैं उनसे निवेदन करता हूं कि आप मेरे गांव में सीमेंट रोड़ करवा दो । तो इस तरह आज 20 साल हो गए हैं और इन 20 सालों में मेरा गांव पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हो गया है । तो कैमरा पर जीने के बाद ऑफ़ कैमरा भी जीना होता है और वो होता है कर्म । कितनी भी कठिनता हो उसकी सरलता चाहिए ।”