बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता-निर्माता मनोज कुमार का निधन हो गया है । मनोज कुमार ने 87 साल की उम्र में मुंबई के कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल में सुबह करीबन 3.30 बजे अंतिम सांस ली । मनोज कुमार लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे ।

मनोज कुमार का निधन
शनिवार (5 अप्रैल) दोपहर 12 बजे मुंबई के विले पार्ले में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा । मनोज कुमार के कुछ फैमिली मेंबर विदेश में रहते हैं इसलिए परिवार ने अंतिम संस्कार शनिवार को करने का फैसला किया है । जानकारी मिली है कि मनोज कुमार की पत्नी की भी तबीयत ठीक नहीं है ।
अपने फ़िल्मी करियर में कई सारी देशभक्ति पूर्ण फ़िल्में करने वाले अभिनेता मनोज कुमार को फैंस प्यार से ‘भारत कुमार’ भी कहते थे । मनोज कुमार ने हिंदी सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन उन्होंने अपने समकालीनों की तुलना में बहुत कम फिल्में की हैं । वह नेशनल अवॉर्ड, पद्म श्री और दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित थे।
13 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद (अब पाकिस्तान में) में हरिकिशन गिरि गोस्वामी के घर में जन्मे मनोज कुमार बंटवारे के बाद अपने परिवार सहित दिल्ली आ गए थे । इसके बाद उन्हें फ़िल्मों से लगाव हो गया । कहा जाता है कि, 1949 की फिल्म शबनम में दिलीप कुमार के किरदार से प्रेरित होकर उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखते ही अपना नाम मनोज कुमार रख लिया ।
मनोज कुमार ने अपने फिल्मी करियर में एक अभिनेता, निर्देशक और पटकथा लेखक के रूप में काम किया । अभिनय के अलावा उन्होंने अपनी कुछ सबसे फेमस फिल्मों का निर्देशन भी किया । मनोज कुमार की जिन फिल्मों ने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक महान कलाकार बनाया उनमें शामिल है- हरियाली और रास्ता (1962), वो कौन थी? (1964), हिमालय की गोद में (1965), शहीद (1965), उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970), रोटी कपड़ा और मकान (1974) और क्रांति (1981) ।
मनोज कुमार को कई पुरस्कार मिले हैं । 1992 में उनके भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया । उन्होंने कई फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते, जिनमें उपकार और रोटी कपड़ा और मकान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार शामिल है । उनके काम की भावना, सामाजिक संदेशों और राष्ट्रीय गौरव के मिश्रण के लिए नियमित रूप से प्रशंसा की गई ।
















