श्रीदेवी महज 54 साल की उम्र में इस दुनिया को छोड़कर चली गईं । वह न केवल बेहतरीन अदाकारा थी बल्कि एक बेहतरीन अभिनेत्री भी थी । पिछले साल आई उनकी फ़िल्म मॉम में उन्होंने अपनी बेहतरीन अदायगी से सभी का दिल जीत लिया । और उन्होंने एक बार फ़िर साबित कर दिया कि उनके लिए उम्र महज एक नंबर है । श्रीदेवी अपनी दिवा इमेज को आगे आने वाले समय में बहुत आगे ले जाना चाहती थी । उनके साथ हुई मेरी आखिरी बातचीत में, जब मैंने वर्जित 'एफ' शब्द (पचास) पर जोर दिया तो उन्होंने दृढ़ता से इसका विरोध किया और कहा, ''नहीं, नही, इसके बारे में बात मत करो । मैं अपनी उम्र के बारे में नहीं सोचती, न ही आपको सोचना चाहिए ।" इतना ही नहीं उन्होंने इंटरव्यू के आखिर में मुझसे खासतौर पर अनुरोध किया कि वह इस इंटरव्यू में मेरी उम्र का उल्लेख न करें ।

बॉलीवुड पर राज करने वाली ये खूबसूरत आभिनेत्रियां आखिर इतनी जल्दी क्यों चली गईं  ?

श्रीदेवी की प्रतिभा का कोई मुकाबला नहीं

लेकिन कोई उनके वर्षों की गिनती कर रहा था । बॉलीवुड पर राज करने वाली खूबसूरत अभिनेत्रियों की समय से पहले इस दुनिया को छोड़कर चले जाने की बेरहम आदत है । दिग्गज अभिनेत्री नूतन, जिन्हें कैंसर था महज 55 साल की उम्र में इस दुनिया को छोड़ कर चली गई । दुर्भाग्य से उनकी मौत भी फ़रवरी में ही हुई, श्रीदेवी की तरह । नूतन, श्रीदेवी या अन्य स्क्रीन लीजेंड की तरह अपने पीछे एक लैगेसी को छोड़ कर चली गई ।

दुख की बात है, कि हिंदी फ़िल्मों में श्रीदेवी की प्रतिभा का कोई मुकाबला नहीं है । जुदाई और चांदनी जिसमें उन्होंने असाधारण कौशल दिखाया, निर्दोष रूप से औसत दर्जे की फिल्में हैं । 1980 के दशक के दौरान श्रीदेवी ने दक्षिण की कुछ फ़िल्मों में भी अभिनय किया ।

मैंने एक बार जब उनसे पूछा कि वह ऐसी विस्मयकारी फ़िल्में इतने बेहतरीन तरीके से कैसे मैनेज कर लेती है । तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ''मैं कभी अपने किरदार के साथ भेदभाव नहीं करती । मेरे लिर हर फ़िल्म कीमती थी और मैंने अपने हर निर्देशक को समान सम्मान दिया ।''

मुझे आश्चर्य है कि दिग्गज अभिनेत्री मीना कुमारी भी ऐसा ही महसूस करती होंगी । क्या उन्होंने कमाल अमरोही और गुरु दत्त, जिसने उन्हें पाकिज़ा और साहिब बीवी और गुलाम में पुनर्जीवित किया, के लिए रामन्ना (जवाब) और सावन कुमार (गोमती के किनारे) के समान सम्मान करती हैं । मीना कुमारी को हमने महज 39 साल की उम्र में ही खो दिया, ठीक पाकीज़ा के रिलीज के एक हफ़्ते पहले । यह देखकर काफ़ी आश्चर्य होता है कि उनकी प्रसिद्दी और प्रतिष्ठा उनकी कुछ क्लासिक्स पर निर्भर करती है । उन्होंने जो काम किया था, उनमें से ज्यादातर निस्संदेह औसत दर्जे के थे । उनकी मैं भी लड़की हूं और चंदन का पालना जैसी फ़िल्में देखने की कोशिश कीजिए ।

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मधुबाला ने महज 36 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था । उनका मुगल-ए-आज़म में गाया गीत आज भी मदहोश कर देता है । श्रीदेवी एक सौभाग्यशाली बेहतरीन अभिनेत्री हैं जिनका स्टारडम उनकी फ़िल्मों- मिस्टर इंडिया, चालबाज, सदमा, जुदाई, चांदनी, लम्हे और इंग्लिश विंग्लिश में हमेशा याद किया जाएगा ।