फ़िल्म :- थामा
कलाकार :- आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना, परेश रावल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी
निर्देशक :- आदित्य सरपोतदार
रेटिंग :- 4/5

शॉर्ट में थामा का प्लॉट :-
थामा एक ख़ूनी प्रेम कहानी है। आलोक गोयल (आयुष्मान खुराना), एक टीवी रिपोर्टर, अपने माता-पिता (परेश रावल और गीता अग्रवाल) के साथ रहता है। दोस्तों के साथ पहाड़ों में ट्रेकिंग के दौरान उस पर अचानक भालू हमला कर देता है। तभी उसकी मुलाकात ताड़का (रश्मिका मंदाना) जो एक रहस्यमयी युवती है और उसे बचाती है, से होती है । वो उसका इलाज करती है। धीरे-धीरे उनके बीच आकर्षण पनपता है, लेकिन जल्द ही आलोक एक अजीब जनजाति के कब्जे में आ जाता है, जिसका नेतृत्व यक्षासन (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) करता है। ताड़का आलोक को बचाने के लिए अपने ही कबीले के खिलाफ चली जाती है, और यही विद्रोह ऐसी घटनाओं की श्रृंखला शुरू कर देता है जो उसके और आलोक दोनों की दुनिया को खतरे में डाल देती है। आगे क्या होता है, यही फिल्म की कहानी है।
थामा मूवी रिव्यू :
निरन भट्ट, सुरेश मैथ्यू और अरुण फुलारा की कहानी भारतीय लोककथाओं से प्रेरित है और काफी फ्रेश लगती है। तीनों लेखकों की पटकथा (स्क्रीनप्ले) सहजता से बहती है, जो पूरे समय रोमांच और जिज्ञासा बनाए रखती है। हालांकि, लेखन में कुछ जगहों पर कमजोरी भी महसूस होती है। निरन भट्ट, सुरेश मैथ्यू और अरुण फुलारा के डायलॉग्स चुटीले और तीखे हैं ख़ासकर नवाज़ुद्दीन के डायलॉग्स बेहद मज़ेदार हैं।
डायरेक्टर आदित्य सरपोतदार ने मुंज्या (2024) के बाद एक बार फिर निशाने पर तीर मारा है। जॉनर-मिक्सिंग पर उनका कमांड शानदार है । वे अलौकिक तनाव को सच्ची भावनाओं और हास्य के साथ बखूबी मिलाते हैं। उन्होंने कहानी को बेहद सरल रखा है और यह सुनिश्चित किया है कि फिल्म का ट्रीटमेंट मेनस्ट्रीम दर्शकों को भी अपील करे। कुछ दृश्य विशेष रूप से याद रह जाते हैं- जैसे ताड़का का एंट्री सीन, आलोक के माता-पिता के साथ ताड़का का डिनर, और गुंडों से आलोक को बचाने वाला सीक्वेंस। इंटरमिशन पॉइंट नाटकीय है, जबकि क्लाइमैक्स काफी रोमांचक है। प्री-क्लाइमैक्स में दिखाया गया फाइट सीक्वेंस विजुअली शानदार है।
वहीं कमियों की बात करें तो, किरदारों का परिचय बहुत जल्दी करवा दिया जाता है। फिल्ममेकर्स ने आलोक के प्रोफेशनल लाइफ पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। दरअसल, उसे रिपोर्टर दिखाने की जरूरत ही महसूस नहीं होती क्योंकि इस पहलू का कहानी पर कोई असर नहीं पड़ता। आलोक को ‘लूज़र’ के रूप में दिखाने की कोशिश की गई है, लेकिन यह बात स्क्रीन पर सही से नहीं उतरती। वह थोड़ा मस्तीभरा जरूर लगता है, लेकिन उतना बेढंगा नहीं जितना लिखा गया है। सेकेंड हाफ में फिल्म की गति थोड़ी धीमी हो जाती है। और अंत में, क्लाइमैक्स फाइट के कुछ पल दमदार हैं, लेकिन यह सीरीज की पिछली फिल्मों के मुकाबले थोड़ा फीका महसूस होता है।
परफॉर्मेंस :-
आयुष्मान खुराना इस फिल्म में अपने करियर के बेहतरीन फॉर्म में हैं। उनका अभिनय भावनाओं, हास्य और तीव्रता के बीच बखूबी संतुलन साधता है। उन्होंने पूरी फिल्म को अपने कंधों पर शानदार ढंग से संभाला है। रश्मिका मंदाना ने एक बार फिर साबित किया कि वे क्यों दर्शकों की पसंदीदा हैं । उनका आकर्षण, दृढ़ता और रहस्यमयी आभा हर फ्रेम में झलकती है। परेश रावल अपने भरोसेमंद अंदाज़ में नजर आते हैं; उनकी कॉमिक टाइमिंग और पिता जैसी गर्मजोशी फिल्म में भावनात्मक गहराई लाती है। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का अभिनय किक (2014) की झलक जरूर देता है, लेकिन यहां भी उनका अंदाज़ खूब काम करता है और दर्शकों को हँसाता है। फैसल मलिक (पी.के. यादव, पुलिस अधिकारी) प्रभाव छोड़ते हैं, जबकि गीता अग्रवाल शर्मा ने भी अपने किरदार में मजबूती दिखाई है। वरुण धवन (भेड़िया) के कैमियो ने तो वाकई सरप्राइज़ दिया है छोटा रोल, लेकिन असरदार।
थामा का संगीत और तकनीकी पक्ष :-
सचिन–जिगर का संगीत एनर्जेटिक और पॉप-टोन में है, लेकिन यूनिवर्स की पिछली फिल्मों की तुलना में थोड़ा फीका महसूस होता है। एंड क्रेडिट्स में बजता ‘तुम मेरे ना हुए’ शानदार है। ‘रहें ना रहें हम’ रहस्यमयी और दिल छू लेने वाला है, जबकि ‘दिलबर की आँखों का’ और ‘पॉइज़न बेबी’ डांसफ्लोर पर थिरकने लायक हैं। सचिन–जिगर का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की ताकत है । यह तनाव, रोमांस और रहस्य, तीनों को और प्रभावशाली बना देता है।
सौरभ गोस्वामी की सिनेमैटोग्राफी मनमोहक है। DNEG का वीएफएक्स टॉप-क्लास है, खासकर क्रीचर और रहस्यमयी दृश्यों में । ग्रांट हुली और परवेज़ शेख के एक्शन सीक्वेंस स्टाइलिश और ऊर्जावान हैं । सुब्रत चक्रवर्ती और अमित रे का प्रोडक्शन डिजाइन शानदार है, और शीतल इक़बाल शर्मा के कॉस्ट्यूम्स कहानी की टोन के साथ पूरी तरह मेल खाते हैं । हेमंती सरकार की एडिटिंग तेज़ है, हालांकि सेकेंड हाफ में फिल्म थोड़ी खिंचती हुई महसूस होती है।
क्यों देंखे थामा ?
कुल मिलाकर, थामा एक शानदार पैकेज्ड एंटरटेनर है, जो एक बार फिर यह साबित करती है कि मैडॉक हॉरर कॉमेडी यूनिवर्स क्यों लगातार देखने लायक फ्रेंचाइज़ी बनी हुई है। बॉक्स ऑफिस पर, इसके जॉनर की अपील, ब्रांड वैल्यू और बढ़े हुए दिवाली वीकेंड का फायदा निश्चित रूप से मजबूत कलेक्शन के रूप में नजर आएगा।
















