साल 2015 में रिलीज हुई बजरंगी भाईजान सलमान खान के फ़िल्मी करियर की सबसे बेहतरीन फिल्‍मों में से एक है। कबीर खान के डायरेक्‍शन में बनी इस फिल्‍म की कहानी एसएस राजामौली के पिता वी. विजयेंद्र प्रसाद ने लिखी है । इस फ़िल्म में सलमान खान के साथ करीना कपूर, हर्षाली मल्‍होत्रा और नवाजुद्दीन सिद्दीकी प्रमुख भूमिकाओं में थे । मुन्‍नी और उसके बजरंगी भाईजान की दिल को छू लेने वाली इस कहानी के क्‍लाइमेक्‍स ने हर आंख को नम किया । लेकिन फिल्‍म की रिलीज के 8 साल बाद सलमान ने खुलासा किया है कि वह इसके क्लाइमेक्स को बदलना चाहते थे । क्योंकि सलमान को लगता है कि यदि उनके अनुसार क्लाइमेक्स बनता तो लोग थिएटर से आंसू लेकर बाहर आते ।

बजरंगी भाईजान के क्लाइमेक्स को इस तरह बदलावना चाहते थे सलमान खान ; 8 साल बाद बताया अपना वर्जन

बजरंगी भाईजान के क्लाइमेक्स को बदलावना चाहते थे सलमान खान

हाल ही में इंडिया टीवी के चर्चित टॉक शो, आप की अदालत में शामिल हुए सलमान ने बताया कि, वह बजरंगी भाईजान का क्‍लाइमेक्‍स बदलना चाहते थे । यहां तक कि एसएस राजामौली ने भी जब उनका आइडिया सुना तो वह भी इससे सहमत थे कि फिल्‍म का क्‍लाइमेक्‍स बदला जाना चाहिए। राजामौली ने इसके लिए अपने पिता विजयेंद्र प्रसाद से बात भी की थी। लेकिन फिर फिल्‍म वैसे ही शूट की गई, जैसे पहले लिखी गई थी । सलमान बताते हैं कि फिल्‍म में यह दिखाया गया है कि पवन छोटी सी मुन्नी को उसके माता-पिता से मिलवाने पाकिस्‍तान ले तो जाता है, लेकिन पुलिस की घेराबंदी के कारण वह खुद मुन्‍नी को उसकी मां के हाथों नहीं सौंप पाता । इसके लिए वह चांद नवाब को जिम्‍मा सौंपता है । इस बीच पवन को गोली लग जाती है । लेकिन सलमान चाहते थे कि, पवन खुद मुन्‍नी को उसकी मां को सौंपे और फिर उसे पुलिस की गोली लगे । वो कहते हैं, “मैंने बस बजरंगी भाईजान के क्‍लाइमेक्‍स को लेकर यह सोचा था और यहां तक कि एसएस राजामौली ने भी अपने पिता वी. विजयेंद्र प्रसाद से यह कहा था कि उस सीन में चांद नवाब की जगह पवन को होना चाहिए । वह मुन्‍नी को घर पहुंचाने के लिए तमाम जोख‍िम उठाता है, ऐसे में जब वो खुद मुन्नी को उसकी मां को सौंपता तो वहां जो इमोशन होते वह अलग लेवल के होते, क्‍योंकि पवन का किरदार पूरी फिल्म में यही कहता रहता है कि मुन्‍नी को मैं छोड़ कर आऊंगा । मैं छोड़कर आऊंगा ।”

बजरंगी भाईजान की कहानी के केंद्र में एक छोटी बच्‍ची मुन्‍नी (हर्षाली मल्‍होत्रा) है, जो बोल नहीं सक ती। वह पाकिस्‍तान से है और ट्रेन में अपनी मां से बिछड़कर भारत आ जाती है । यहां उसकी मुलाकात हनुमान भक्‍त पवन (सलमान) से होती है, जो एक पाकिस्‍तनी रिपोर्टर चांद नवाब (नवाजुद्दीन) की मदद से मुन्‍नी को वापस उसके घर छोड़ने पाकिस्‍तान जाता है । वो भी बिना वीजा, बिना पासपोर्ट, सरहद पर तारों के नीचे से होकर ।

हालांकि, सलमान यह भी मानते हैं कि फिल्‍म की कहानी और स्‍क्रीनप्‍ले में जो लिखा गया, दर्शकों को वह बहुत पसंद आया । बॉक्‍स ऑफिस पर फिल्‍म ने जबरदस्‍त बिजनस किया । लेकिन वह आज भी यह मानते हैं कि अगर इस सीन को बदला जाता तो सिनेमाघरों में भावनाएं कुछ और ही होतीं । सलमान कहते हैं, “यह सीन इस तरह होना चाहिए था कि पवन खुद मुन्‍नी को उसकी मां तक पहुंचाता है । वह मुन्‍नी को अपनी मां की तरफ दौड़ते हुए, उसे ख‍िलख‍िलाते हुए देख रहा और तभी उसे गोली मार दी जाती है। यह अब तक का सबसे जबरदस्‍त सीन होता ।”