वेब सीरिज़ आर्या से अपना OTT डेब्यू करने वाली सुष्मिता सेन हालिया रिलीज वेब सीरिज ताली में ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट श्रीगौरी सावंत के किरदार में नज़र आ रही हैं । ताली सीरिज असल में ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट गौरी सावंत की असल जिंदगी की कहानी पर बेस्ड है । 15 अगस्त को जियोसिनेमा पर स्ट्रीम हुई ताली को लोग काफ़ी पसंद रहे हैं साथ ही सुष्मिता सेन के ट्रांसजेंडर अवतार की भी लोग तारीफ़ कर रहे हैं । हाल ही में ताली के क्रिएटर्स अर्जुन सिंह बरन और कार्तिक दि निशानदार ने बॉलीवुड हंगामा के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की जिसमें उन्होंने ताली को लेकर कई बातें की साथ ही बताया की, उन्होंने अपनी सीरिज़ में 2200 ट्रांसजेंडर की कास्टिंग की है । साथ ही उन्होंने बताया की, यदि ताली ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के सपोर्ट के लिए एक आई ओपनर साबित हो जाती है तो इसे बनाने का उनका मक़सद सफल हो जाएगा ।  

EXCLUSIVE: सुष्मिता सेन स्टारर ताली में 2200 रियल ट्रांसजेंडर ने की एक्टिंग ; प्रोड्यूसर अर्जुन सिंह बरन और कार्तिक डी निशानदार ने कहा, “यदि ताली के बाद इन्हें 40 प्रतिशत भी काम मिलना शुरू हो जाए तो हमें लगेगा कि हमारा मक़सद सफल हो गया”

बॉलीवुड में हमेशा ट्रांसजेंडर का किरदार मेल एक्टर ने ही प्ले किया है । यह पहली बार होगा, जब कोई फीमेल एक्ट्रेस ट्रांसजेंडर के किरदार में नज़र आ रही हैं, इसके पीछे की खास वजह ?

पिछले 20-25 सालों में ट्रांसजेंडर के जो भी रोल प्ले हुए हैं, सदाशिव से लेकर लक्ष्मी बम में अक्षय कुमार तक जो भी ट्रांसजेंडर का किरदार प्ले हुआ है वो काफ़ी कैरिकेचर वे में हुआ है । लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते थे । जब हमने इस किरदार पर रिसर्च किया तो पता लगा कि गौरी न केवल एक स्ट्रॉंग ट्रांसजेंडर हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जाकर मेल-फ़ीमेल याचिका फ़ाइल की बल्कि वो एक माँ भी हैं । वो इंडिया की पहली ऐसी ट्रांसजेंडर हैं जिन्होंने एक बच्चे को गोद लिया है । ऐसे ही सुष्मिता सेन की भी जर्नी है जिन्होंने दो बेटियों को गोद लिया है । तो हम एक कॉमन मैन की स्टोरी बताना चाहते थे न कि एक ट्रांसजेंडर की, जिसने कितनी कठिनाइयों को पार करके अपनी मंजिल हासिल की । और इसलिए हम चाहते थे कि ये रोल सिर्फ़ और सिर्फ़ सुष्मिता प्ले करे क्योंकि वह एक माँ की भी भूमिका निभाती हैं । और इस किरदार को कहीं से भी कैरिकेचर नहीं बनाना चाहते थे ।

आपको लगता है कि ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के सपोर्ट के लिए ताली एक आई ओपनर साबित हो सकती है ?

जी बिल्कुल । 2014 से पहले ट्रांसजेंडर को डेथ सर्टिफिकेट का भी अधिकार नहीं था । यहाँ तक कि उन्हें अपनी कोई पहचान पत्र बनाने का भी कोई अधिकार नहीं था । 2014 के बाद उन्हें ये अधिकार तो मिलना शुरू हुए लेकिन उन्हें काम मिलने में अभी भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था । उनके लिए अभी भी समान अधिकार वाली कोई चीज नहीं थी । यदि हमारी वेब सीरिज़ ताली की रिलीज़ के बाद यदि इन्हें 40 प्रतिशत भी काम मिलना शुरू हो जाए तो हमें लगेगा कि हमारा जो मक़सद था वो सफल हो गया । क्योंकि हमने ख़ुद अपनी वेब सीरिज़ में 2200 ट्रांसजेंडर की कास्टिंग की है । हम नहीं चाहते थे कि नार्मल एक्टर इस रोल को निभाए । हम यदि एक ऐसे संवेदनशील विषय की कहानी दर्शकों को बता रहे हैं तो हमें भी इस पर विश्वास करना होगा और उन्हें काम कराने का मौक़ा देना होगा ।

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गौरी सावंत ने इस सीरिज़ को डेवलप करने में किस तरह मदद की ? और इसे बनाने में क्या-क्या चैलेंजेस आए ?

गौरी सावंत पहले से ही इस सीरिज़ की राइटिंग में हमारे साथ रही हैं । हमने इस किरदार पर काफ़ी डीटेल में जाकर रिसर्च किया था । इनकी बॉडी लैंग्वेज, इनका रहन सहन, इनका सेलिब्रेशन और यहाँ तक की मौत, क्योंकि जब एक ट्रांसजेंडर की मौत होती है तो उसके क्या प्रथाए होती है । ये कौनसे भगवान को पूजते हैं तो इन सभी सवालों के जवाब हमने अपने शो के माध्यम से बताए हैं । तो ये सब रिसर्च हम बिना गौरी के नहीं कर सकते थे । गौरी और उनकी टीम के सहयोग से हमारी टीम ने बहुत ही स्ट्रॉंग रिसर्च के माध्यम से इस सीरिज़ को बनाया है । और जहां तक चुनौती की बात है तो हर कहानी को बताने में चुनौती तो आती ही है । लेकिन ओवरऑल हमारी जर्नी काफ़ी स्मूद रही ।

आपको भी ऐसा लगता है कि, कोविड के बाद दर्शकों की च्वाइस बदल गई सिनेमा को लेकर, जिसके चलते, कम लोग सिनेमा देखने जा रहे हैं ? या ओटीटी ने सिनेमा को पूरा टेक ओवर कर लिया है ?

असल में भारतीय दर्शकों का कंटेंट को देखने का नज़रिया बदल गया है । एक है कोविड से पहले का कंटेंट और दूसरा कोविड के बाद का कंटेंट । कोविड के दौरान भारतीय दर्शकों ने न केवल भारतीय बल्कि इंटरनेंशल कंटेंट को भी देखा और पसंद किया । लोगों को अब वास्तविकता देखनी है । लोगों को ख़ुद में उस किरदार को देखना है । जैसा कि हमने रफूचक्कर में दिखाया था जो की एक कॉमन मैन की कहानी थी ।

ताली के बाद आपके अपकामिंग प्रोजेक्ट्स ?

हम एक फ़िल्म तो फिर से रफूचक्कर के डायरेक्टर के साथ कर रहे हैं । इसके अलावा हम एक बहुत बड़ी बायोपिक वेब सीरिज़ भी कर रहे हैं जिसके लिए हमने राइट्स भी ले लिए हैं । और इसका अनाउंसमेंट जल्द ही कर दिया जाएगा ।

अंत में अर्जुन और कार्तिक ने बताया की, ताली असल में एक फ़िल्म के रूप में लिखी गई थी लेकिन किसी की भी दस साल की जर्नी को भी आप सिर्फ़ दो घंटे में नहीं बता सकते । इसी तरह से जो हम बायोपिक कर रहे है उसमें हम 40 साल की जर्नी बता रहे हैं ।