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पिछले कुछ दशकों से एक्शन कॉमेडी फ़िल्मों का काफ़ी बोलबाला रहा है । रोहिट शेट्टी ने इस शैली में कई बेहतरीन फ़िल्में दी है । इसके अलावा बॉक्सऑफ़िस सिंह इज किंग, रेडी, खिलाडी, ढिशूम इत्यादी फ़िल्मों का भी गवाह बना जो एक्शन कॉमेडी पर बेस्ड रही । इस हफ़्ते इसी शैली की एक और फ़िल्म लेकर आए हैं सनी देओल, जो अपने गंभीर एक्शन के लिए खासे जाने जाते हैं, जिसका नाम है भैय्याजी सुपरहिट । नीरज पाठक द्दारा निर्देशित भैय्याजी सुपरहिट सात साल पहले शुरू हुई थी लेकिन किन्हीं मुश्किलों की वजह से यह फ़िल्म रिलीज नहीं हो पाई । लेकिन अब फ़ाइनली ये फ़िल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई है । तो क्या भैय्याजी सुपरहिट दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब होगी और सनी देओल इस फ़िल्म के साथ एक बार फ़िर अपने दर्शकों के दिलों में जगह बना पाएंगे, या यह एक नाकाम प्रयास साबित होगी, आइए समीक्षा करते है ।

फ़िल्म समीक्षा : भैय्याजी सुपरहिट

भैय्याजी सुपरहिट एक ऐसे गैंगस्टर की कहानी जो फ़िल्मों में अपना भाग्य आजमाता है । देवी दयाल दुबे उर्फ भैय्याजी (सनी देओल) उत्तर प्रदेश के वाराणसी के नजदीक एक शहर मिर्जापुर में रहते हैं जो पेशे से एक गुंडे है लेकिन दिल के बहुत अच्छे है । वह सपना दुबे (प्रीति जिंटा) से शादी रचाते है । सपना एक दिन भैय्याजी को छोड़कर चली जाती है जब उसे पता चलता है कि उसके पति भैय्याजी का एक गैंगस्टर की विधवा से अफ़ेयर है । इस बात को 8, महीने गुजर जाते हैं और डिप्रेशन में वो अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पाते है । ये देखकर उनकी टीम परेशान हो जाती है और भैय्याजी को एक मनोचिकित्सक डॉ ज्ञान बुद्धिसगर (संजय मिश्रा) के पास ले जाती है । वो भैय्याजी को सलाह देता है कि वह ऐसा कुछ करे जिससे वह लोकप्रिय हो जाए पूरे देश में, और तब भैय्याजी फ़िल्मों में आने का प्रयास करते है । इसी बीच पेशे से फ़िल्म निर्देशक गोल्डी कपूर (अरशद वारसी) को भैय्याजी का आदमी किडनैप कर ले्ता है और उसे भैय्याजी के लिए एक फ़िल्म बनाने के लिए मजबूर करता है । वह भैय्याजी की जिंदगी पर एक फ़िल्म बनाने का फ़ैसला करता है । इसके लिए गोल्डी फिल्म राइटर तरुण पोर्नो घोष (श्रेयस तलपडे) अभिनेत्री मल्लिका (अमीषा पटेल) को लेकर आता है । जब भैय्याजी फ़िल्म बनाने में जुटे हुए होते है तभी उनका एक दुश्मन हेलीकॉप्टर मिश्रा (जयदीप अहलावत) उनकी जगह हथियाने की कोशिश करता है । इसके बाद क्या होता है, यह आगे की फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है ।

नीरज पाठक की कहानी खराब है हालांकि बुनियादी प्लॉट भरोसा दिलाता है । इस फ़िल्म की कहानी इससे पहले अनीस बज्मी की कॉमेडी फ़िल्म वेलकम [2007] में दिखाया जा चुका है जिसमें नाना पाटेकर का किरदार, जो कि एक गैंगस्टर होता है और फ़िल्मों में अपना भाग्य आजमाने की कोशिश करता है । यह ट्रेक आज भी याद किया जाता है और आज भी यह काफ़ी फ़नी है । इस फ़िल्म में भी ऐसा ही कुछ दिखाया जाता है । लेकिन यदि यह आइडिया अच्छे से हैंडल किया जाता तो काम कर सकता था । इसके अलावा, सपना दुबे, गोल्डी कपूर, तरुण पोर्न घोष और डॉ ज्ञान प्रकाश बुशिसगर जैसे पात्र काफी अच्छा कर सकते थे क्योंकि इनमें वो सक्षमता है । लेकिन अफ़सोस इन्हें गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया । नीरज पाठक की पटकथा इस फ़िल्म की सबसे बड़ी दुश्मन साबित होती है क्योंकि सीन खतरनाक तरीके से लिखे गए है जिसमें कोई फ़्लो नहीं है । फ़िल्म में कुछ हास्य भी नहीं है जो इसे और भी नीचे गिराता है । नीरज पाठक, आकाश पांडे, राज शांडिलिया, शिरीष शर्मा और सुमित निजवान के डायलॉग काफी ठीक हैं और गोल्डी और तरुण पोर्न घोष के कुछ ही दृश्य हंसाते है ।

नीरज पाठक का निर्देशन असंगत और बिखरा हुआ है । बहुत सारे किरदार और छोटी-छोटी कहानियां, और जिस तरह से उन्होंने इन सभी को एक दूसरे से गूंथा है, वह वाकई बहुत खराब है । इतना ही नहीं, फ़िल्म का खराब निष्पादन और खराब स्क्रिप्ट इस फ़िल्म के प्रभाव को एकदम खराब कर देती है ।

भैय्याजी सुपरहिट की शुरुआत काफ़ी भयंकर तरीके से होती है और फ़िल्म का टाइटल ट्रेक शुरूआती क्रेडिट के दौरान प्ले किया जाता है और यह अनजाने में कई मजाकिया एक्शन सीन से भरा हुआ है । इस सीन को देखकर कोई भी आसानी से कह सकता है कि जो शुरूआती सीन दिखाया गया वह फ़िल्म का हिस्सा नहीं था उसे जबरदस्ती जोड़ा गया था । अब क्योंकि यह फ़िल्म कई साल पुरानी है इसलिए कई जगहों पर यह पुरानी दिखाई भी देती है । शुक्र है, मेकर्स बिना समय गंवाए फ़िल्म की असली कहानी पर आ जाते है लेकिन कई सारी स्थितियां वाकई फ़िल्म में कोई फ़न नहीं जोड़ती है । कुछ ही सीन जोरदार हंसी लेकर आते है , बस । इंटरवल के बाद, मेकर्स भैय्याजी जैसा दिखने वाला एक किरदार लेकर आते हैं फ़िल्म में कुछ ट्विस्ट लाने के लिए जिसका नाम है फ़नी सिंह (सनी देओल) लेकिन यह किरदार भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाता है । फ़िल्म में विलेन भी इतने खतरनाक नहीं है और मूर्खतापूर्ण ज्यादा लगते है और फ़ाइनल सीन के दौरान एक्शन सीन में कुछ भी तर्कपूर्ण नहीं लगता है ।

सनी देओल अपनी टॉप फ़ॉर्म में नहीं लगते है । हालांकि वह फ़िल्म के माध्यम से चलते हैं । उनकी कॉमिंग टाइमिंग बहुत अच्छी है और जब एक्शन फ़ॉर्म में आते हैं तो छा जाते हैं, हमेशा की तरह । कॉमेडी और एक्शन में सनी लाजवाब हैं लेकिन कुल मिलाकर इस साल उन्हें बुरे तरीके से लिखी गई फ़िल्मों, जिनमें शामिल हैं यमला पगला दीवाना फ़िर से, मोहल्ला अस्सी और अब भैय्याजी सुपरहिट, में देखना अफ़सोसपूर्ण रहा । अपनी कमबैक फ़िल्म में प्रीति जिंटा एक 'दबंग' किरदार अदा करती है और वो अपने किरदार के साथ न्याय करती है । उनका कॉमिक साइड देखना अच्छा है और दर्शकों द्दारा उनके इस साइड को पसंद किया जाएगा । अरशद वारसी की वजह से यह फ़िल्म थोड़ी-बहुत फ़नी लगती है । वह अपने किरदार में बखूबी जंचते हैं और एक रद्दी स्क्रिप्ट से ऊपर उठकर काम करते है । श्रेयस तलपड़े भी अच्छा काम करते हैं लेकिन उनका स्क्रीन टाइम काफ़ी कम है । अमिषा पटेल काफ़ी सिजलिंग दिखती है लेकिन अभिनय के मामले में वह औसत लगती है । संजय मिश्रा इस फ़िल्म के एक और फ़नी किरदार है लेकिन उनसे कुछ बेहद खराब डायलॉग बुलवाकर उनका गलत इस्तेमाल किया गया । पंकज त्रिपाठी (बिल्डर गुप्ता) शायद ही नजर आते हैं और कुछ खास भी नहीं है । जयदीप अहलावत अपना ईमानदार प्रयास करते है लेकिन अंत में एक हास्यपात्र बनते है । हेमंत पांडे (चर्सी भाई) सख्ती से ठीक है और उनका किरदार दर्शकों को भ्रमित करता है । फ़िल्म के बाकी के किरदार अपने-अपने रोल में जंचते है ।

संगीत कुछ खास नहीं है । 'स्लीपी स्लीपी अंखियां' एकमात्र ऐसा गीत है जो अच्छा है और अच्छी तरह से प्रस्तुत किया गया है । 'दो नैना' इसके बाद अच्छा गीत है । 'ओम नमः शिव' डरावना है और सनी देओल का नृत्य अनायास ही हंसी लेकर आता है । जैसा कि पहले कहा गया है 'नाम है भैय्याजी' बेकार है और 'बेबी जानलेवाला है' भी ऐसा ही है । विजय वर्मा, अनमिक और लिटन का पृष्ठभूमि स्कोर लाउड है । विष्णु राव और कबीर लाल का छायांकन कुछ खास नहीं है । फिल्म उत्तर प्रदेश में स्थापित है लेकिन पृष्ठभूमि में मुंबई की गगन चूमती इमारते साफ़-साफ़ दिखाई देती है क्योंकि फ़िल्म के कई हिस्सों की शूटिंग मुंबई में की गई है । मुनेश सैप्पेल का उत्पादन डिजाइन काफी ठीक है । रुचिका पांडेय, मनीष मल्होत्रा और रिकी एस की वेशभूषा प्रीति जिंटा और अमिषा पटेल के लिए काफी आकर्षक हैं । संदीप फ्रांसिस का संपादन बहुत खतरनाक है । ऐसा लगता है कि फिल्म काफी लंबी थी और निर्माताओं ने अवधि कम करने की कोशिश की लेकिन अंतिम परिणाम खराब रहा ।

कुल मिलाकर, भैय्याजी सुपरहिट हाल के समय में सनी देओल की फ़्लॉप फिल्मों की सूची में शामिल होती है । यह पुरानी फ़िल्म सुस्त और असंगत निष्पादन, बुरे लेखन और अनफ़नी पलों से ग्रस्त है । बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म कोई कमाल नहीं दिखा पाएगी ।