सेल्फी एक अभिनेता की अपने फ़ैन से लड़ाई की कहानी है । ओम प्रकाश अग्रवाल (इमरान हाशमी) भोपाल में स्थित एक आरटीओ इंस्पेक्टर हैं । वह अपनी पत्नी मिंटी (नुशरत भरुचा) और बेटे गब्बू (नीव आहूजा) के साथ रहता है । वह बॉलीवुड सुपरस्टार विजय कुमार (अक्षय कुमार) का बहुत बड़ा फ़ैन है और हमेशा उसकी फिल्म को फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखना पसंद  करता है । ओम को जब यह पता चलता है कि विजय कुमार अपनी फिल्मफलक तककी शूटिंग भोपाल में करेंगे, तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है  । वह और गब्बू एक सेल्फी क्लिक करने की उम्मीद में उससे मिलने जाते हैं । लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पाता है क्योंकि विजय कुमार के स्वागत के लिए हजारों प्रशंसक भी पहले से वहाँ पहुंच चुके हैं। लेकिन उसे एक और मौका मिलता है जब पार्षद विमला तिवारी (मेघना मलिक) ओम से विजय कुमार को ड्राइविंग लाइसेंस दिलाने में मदद करने का अनुरोध करती है, जिसे अभिनेता ने खो दिया है । ओम आसानी से सहमत हो जाता है और विजय के साथ एक तस्वीर क्लिक करने की इच्छा व्यक्त करता है । इसलिए, वह विजय को आरटीओ ऑफ़िस आने के लिए कहता है । विजय सहमत हो जाता हैं । जब वह आरटीओ ऑफ़िस पहुंचता है, तो विजय यह देखकर चौंक जाता है कि मीडिया पहले ही आ चुकी है । इस दौरान एक बात सामने आती कि विजय के पास कभी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और इतने सालों तक वह अवैध रूप से कार चला रहा था । यह मानते हुए कि ओम ने मीडिया को फोन किया, विजय ने उसे फटकार लगाई और चला गया । गुस्से में ओम उसे यह कहते हुए कार चलाने से रोकता है कि उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है । इस पल को मीडिया ने कैद कर लिया है । कुछ ही समय में, ओम प्रकाश अग्रवाल एक सेलिब्रिटी बन जाते हैं और एक शक्तिशाली, अभिमानी स्टार से टक्कर लेने के लिए उनकी प्रशंसा की जाती है । आगे क्या होता है इसके लिए पूरी फ़िल्म देखनी होगी । 

Selfiee Movie Review: अक्षय कुमार और इमरान हाशमी के बीच फ़ेस-ऑफ़ और डायलॉगबाजी ने सेल्फी को बनाया देखने लायक

सेल्फी 2019 में आई मलयालम फिल्म ड्राइविंग लाइसेंस का आधिकारिक हिंदी रीमेक है । ऋषभ शर्मा की पटकथा आकर्षक है और इसमें कुछ बेहतरीन नाटकीय और मजेदार पल हैं । हालांकि, कुछ सीक्वंस को पचा पाना मुश्किल है । ऋषभ शर्मा के डायलॉग फ़िल्म के सबसे अच्छे हिस्सों में से एक हैं । दिलचस्प बात यह है कि यहां डायलॉग मूल संस्करण की तुलना में मजेदार हैं और यह क्रेज़ीनैस को बढ़ाते है ।

राज मेहता का निर्देशन उनकी पिछली दो फिल्मों - गुड न्यूज (2019) और जुगजग जीयो (2022) की तरह ही शानदार है । उन्होंने कहानी को बेहद कमर्शियल तरीके से पेश किया है और यह फिल्म को मुख्यधारा की अपील देती है । इसके अलावा, उन्होंने समार्टली वास्तविक जीवन की घटनाओं जैसे बॉयकोट ट्रेंड, मीडिया ट्रायल आदि को शामिल किया है और यह फ़िल्म के प्रभाव को और बढ़ाता है ।

वहीं कमियों की बात करें तो,  जिस तरह से विजय कुमार को लगता है कि, मीडिया को कॉल करने के लिए ओम जिम्मेदार था, वह असभाविक सा लगता है । चूंकि यह संघर्ष का आधार था और कहानी को आगे बढ़ाता है, इसलिए बाद के घटनाक्रम भी पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं लगते । सेकंड हाफ थोड़ा खिंचा हुआ है और 143 मिनट लंबी यह फिल्म और छोटी हो सकती थी । अपने प्रशंसकों को हाथ लहराते हुए विजय के बहुत सारे स्लो-मोशन शॉट्स हैं और एक समय के बाद, यह बहुत अधिक हो जाता है ।

सेल्फी की शुरुआत कुछ खास नहीं होती क्योंकि ओम की एंट्री और विजय के लिए उसका प्यार काफ़ी फ़्लैट लगता है । विजय कुमार के भोपाल पहुंचने के बाद फिल्म बेहतर हो जाती है और उन्हें अपना लाइसेंस जमा करने के लिए कहा जाता है । आरटीओ ऑफ़िस में जमकर हंगामा हो रहा है । इंटरमिशन फिल्म में एक निर्णायक बिंदु पर आता है । सेकंड हाफ बहुत अच्छी तरह से शुरू होता है और कुछ दृश्य शानदार होते हैं, जैसे- विजय कुमार अपने होटल में मीडिया को संबोधित करते हैं, लर्नर लाइसेंस टेस्ट और अंतिम ड्राइविंग टेस्ट में ओम प्रकाश विजय के लिए मुश्किलें पैदा करते हैं । फिल्म एक प्यारे नोट पर समाप्त होती है।

अभिनय की बात करें तो, अक्षय कुमार अपनी फ़ॉर्म में नज़र आते हैं और काफी स्वाभाविक लगते हैं । वह अपनी कॉमिक टाइमिंग के साथ कई दृश्यों में जान डाल देते हैं और इसी के साथ इमोशनल सींस में भी शाइन करते हैं । इमरान हाशमी एक फ़ैन से दुश्मन बनने की भूमिका के लिए उपयुक्त हैं, और किरदार की आवश्यकता के अनुसार प्रदर्शन करते हैं । नुसरत भरुचा के पास लिमिटेड स्क्रीन टाइम है और ठीक है । यहां तक कि डायना पेंटी (नैना) के पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है लेकिन वह अपनी भूमिका को बखूबी निभाती हैं । नीव आहूजा ठीक हैं । मेघना मलिक ने एक बहुत बड़ी छाप छोड़ी है। आकाशदीप साबिर (धीरज जायसवाल) निर्माता के रूप में खूब हंसाते है, जो स्टार और फैन के बीच की लड़ाई में फंस जाता है। अभिमन्यु सिंह (सुपरस्टार सूरज) फिल्म में एक सरप्राइज है । महेश ठाकुर (नवीन) सक्षम समर्थन प्रदान करते हैं । कुशा कपिला (तारा; टैरो कार्ड रीडर), सुशील बोंथियाल (सुनील अवस्थी; ओम के सीनियर) और अजय सिंह पाल (पप्पी ड्राइविंग स्कूल के मालिक) ठीक हैं। अदा शर्मा (मीरा) एक कैमियो में शानदार हैं । एंट्री सॉन्ग में मृणाल ठाकुर काफी हॉट लगती हैं । 

गाने लुभाने में नाकाम रहे हैं और आदर्श रूप से फिल्म को चार्टबस्टर होना चाहिए था । 'मैं खिलाड़ी' अंत के क्रेडिट में बजाया जाता है और अच्छी तरह से ट्यून और शॉट किया जाता है । यही बात 'कुड़िये नी तेरी' पर भी लागू होती है। शीर्षक गीत और 'शेर' प्रभावित नहीं करता । जॉन स्टीवर्ट एडुरी के बैकग्राउंड स्कोर में सिनेमाई अहसास है।

राजीव रवि की सिनेमैटोग्राफी सीधी-सादी है । मुकुंद गुप्ता का प्रोडक्शन डिजाइन प्रथम श्रेणी का है । मंदिरा शुक्ला, जेनिफर गार्डिनर की वेशभूषा यथार्थवादी है और अक्षय कुमार के लिए कोमल शाहनी की वेशभूषा ग्लैमरस है। एक्शन न के बराबर हैं । रितेश सोनी की एडिटिंग और शार्प हो सकती थी ।  

कुल मिलाकर, सेल्फी अक्षय कुमार और इमरान हाशमी के बीच फ़ेस-ऑफ़, डायलॉगबाज़ी,प्लॉट, और अच्छे निर्देशन के कारण प्रभावित करती है । बॉक्स ऑफिस पर, फिल्म को अपनी पहचान बनाने के लिए मजबूत वर्ड ऑफ माउथ और स्पॉट बुकिंग पर निर्भर रहना होगा ।