एक विलेन रिटर्न्स एक फ़रार हत्यारे की कहानी है । गौतम मेहरा (अर्जुन कपूर) मेहरा (भारत दाभोलकर) का बेटा है । वह क्रूर है और अपनी पूर्व प्रेमिका की शादी में बड़ा तमाशा करता है । उनका मेहमानों और सुरक्षा गार्डों की पिटाई का एक वीडियो वायरल हो जाता है । एक आने वाली गायिका, आरवी मल्होत्रा (तारा सुतारिया) एक पैरोडिकल गीत बनाने के लिए इस वीडियो के अंशों का उपयोग करती है । यह वायरल हो जाता है । रिवेल म्यूजिक फेस्टिवल में गौतम उससे मिलता है । एक प्रसिद्ध गायिका किरान (एलेना रोक्साना मारिया फर्नांडीस) उत्सव में कई दिनों तक प्रस्तुति देने के लिए पूरी तरह तैयार है । आरवी अपनी जगह फेस्टिवल में परफॉर्म करने की इच्छा जाहिर करती है। गौतम अपनी बुद्धि और दुष्टता का उपयोग करके किरन को बाहर निकालता है और उसे आरवी से बदल देता है । इससे आरवी को और मशहूर होने में मदद मिलती है । उसे गौतम से प्यार हो जाता है ।
चीजें तब अचानक मोड़ ले लेती हैं जब गौतम उसे पीठ में छुरा घोंपता है और इसलिए छोड़ देता है क्योंकि वह फ़ेम पाने के लिए उसकी वीडियो क्लिप का सहारा ले रही थी । छह महीने बाद, आरवी एक हाउस पार्टी कर रही है जब एक हत्यारा आता है और बाकी मेहमानों को घायल या मारते हुए उसे ले जाता है । घटना स्थल के एक वीडियो में आरवी हत्यारे को गौतम कहकर संबोधित करती है । पुलिस का कहना है कि गौतम अपराधी है । हालांकि, एसीपीवी के गणेशन (जे डी चक्रवर्ती) को अपना एक अलग शक है। वह कई संदिग्धों से सवाल जवाब करता है, जिनमें से एक भैरव पुरोहित (जॉन अब्राहम) है, जो एक कैबी है । वह एक रहस्यमय किरदार है, जिसे रसिका मापुस्कर (दिशा पटानी) से गहरा प्यार है । आगे क्या होता है इसके लिए पूरी फ़िल्म देखनी होगी ।
मोहित सूरी और असीम अरोड़ा की कहानी दिलचस्प है और पहली बार की तरह, रोमांस, दिल टूटने और हिंसा की एक हेल्दी डोज का वादा करती है । मोहित सूरी और असीम अरोड़ा की पटकथा कसी हुई है । फिल्म में दो ट्रैक हैं, दो प्रेमी हैं, और यह समानांतर चलता है और बड़े करीने से प्रतिच्छेद भी करता है । हालांकि फ़र्स्ट हाफ में यह कई जगहों पर कंफ्यूज हो जाता है । असीम अरोड़ा के डायलॉग फिल्म को यादगार बनाते है ।
मोहित सूरी का निर्देशन शानदार है । यह साफ़-साफ़ दिखता है कि वह एक कहानीकार के रूप में विकसित हुए हैं और यह उनकी कथा शैली और फ़िल्म को किस तरह से बनाया गया है, में देखा जा सकता है । इस तरह की फिल्म को हैंडल करना आसान नहीं होता । सबसे पहले तो, दोनों ट्रैकों को समान महत्व देने की आवश्यकता है । दूसरे, किरदारों में नैतिकता की कमी है । फिल्म में हर कोई विलेन है । ऐसी फिल्म से जुड़ना हर किसी के बस की बात नहीं होती । फिर भी, मोहित सूरी फिल्म को मैनस्ट्रीम टच देने में कामयाब होते हैं । दूसरी तरफ, फ़र्स्ट हाफ कई दर्शकों को हैरान कर सकता है । इसके अलावा, जिस तरह से कथा आगे और पीछे चलती है, वह फिल्म देखने वालों के एक वर्ग के लिए भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है ।
एक विलेन रिटर्न्स की शुरुआत धमाकेदार तरीके से होती है । वास्तव में, दर्शकों को किसी भी कीमत पर शुरुआत से नहीं चूकना चाहिए । म्यूजिक फेस्टिवल सीक्वेंस ओवर द टॉप है । भैरव का ट्रैक देर से शुरू होता है लेकिन एक बार ऐसा हो जाने के बाद, यह फिल्म सस्पेंस को और बढ़ा देता है ।
मेट्रो ट्रेन में एक फाइट सीक्वेंस है जो देखने लायक और रोमांचकारी है । इंटरमिशन प्वाइंट एक बड़ा शॉक लेकर आता है । इंटरवल के बाद, चीजें क्लीयर हो जाती हैं, खासकर फ्लैशबैक सीक्वंस के साथ । फिनाले की लड़ाई मजेदार है लेकिन जो बात क्रेजीनैस को बढ़ाती है वह है सस्पेंस । अधिकांश दर्शक इसका अनुमान नहीं लगा पाएंगे । और अगर आपको लगता है कि बस इतना ही है, तो आप गलत हैं क्योंकि अंतिम दृश्य आपको उत्साहित कर देगा ।
परफॉर्मेंस की बात करें तो जॉन अब्राहम शुरुआती सीन्स में थोड़े सख्त नजर आते हैं । हालांकि, जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वह बेहतर होते जाते है । सेकेंड हाफ में वह सहजता से अपनी भूमिका निभाते हैं । अर्जुन कपूर डैशिंग लग रहे हैं और निर्देशक ने उन्हें बड़े पैमाने पर मनभावन तरीके से प्रस्तुत किया है । उनका प्रदर्शन भी काफी अच्छा है । दिशा पटानी कमाल की दिखती हैं और परफॉर्मेंस के लिहाज से, वह काफी बेहतर हो गई हैं । तारा सुतारिया अपनी पिछली फिल्म, हीरोपंती 2 [2022] में अपने अभिनय से काफी बेहतर हैं । वह फ़र्स्ट हाफ में और सेकेंड हाफ में अस्पताल के बाहर के दृश्य में प्रमुखता से छाप छोड़ती हैं । जे डी चक्रवर्ती थोड़ा ओवर द टॉप लगते हैं । शाद रंधावा (इंस्पेक्टर राठौर) को प्रदर्शन करने का ज्यादा स्कोप नहीं मिलता । भरत दाभोलकर (गौतम के पिता), एलेना रोक्साना मारिया फर्नांडीस, शिवानी तुली (आरवी की दोस्त रुबीना), करिश्मा शर्मा (गौतम की पूर्व प्रेमिका, सिया), प्रसाद जावड़े (आशु) और दिग्विजय रोहिदास (भैरव के दोस्त केशव) ठीक हैं ।
फिल्म का संगीत उम्दा है । फिल्मांकन की वजह से 'गलियां रिटर्न्स' सबसे बेहतरीन है । इसके बाद 'दिल' , 'शामत' और 'ना तेरे बिन' आता है। राजू सिंह का बैकग्राउंड स्कोर प्रभावशाली है और प्रभाव को बढ़ाता है ।
विकास शिवरामन की सिनेमैटोग्राफी शानदार है । बहुत सारे शॉट रचनात्मक रूप से लिए गए हैं और यह प्रभाव को बढ़ाते है । रजत पोद्दार का प्रोडक्शन डिजाइन सिनेमाई है । एजाज गुलाब का एक्शन थोड़ा खूनी है लेकिन परेशान करने वाला नहीं है । आयशा दासगुप्ता की वेशभूषा ग्लैमरस है और दिशा पटानी द्वारा पहनी गई ड्रेसेज यादगार हैं । यूनिफी मीडिया का वीएफएक्स बेहतरीन है । देवेंद्र मुर्देश्वर की एडिटिंग शार्प है ।
कुल मिलाकर, एक विलेन रिटर्न्स अच्छे म्यूजिक, अमेजिंग विजुअल्स, रोमांचकारी सीन्स और दमदार फ़्रैंचाइजी वैल्यू का अच्छा मिश्रण है । बॉक्स ऑफिस पर, यह विशेष रूप से मास सेंटर्स में अपनी सफ़लता से हैरान कर देगी और एक बड़ी सफ़लता के रूप में उभरेगी ।