अतरंगी रे एक लड़की की कहानी है जो दो आदमियों से प्यार करती है । रिंकू सूर्यवंशी (सारा अली खान) अपने विस्तारित परिवार के साथ बिहार के सीवान में रहती है । बड़े परिवार ने रिंकू के माता-पिता की हत्या तब कर दी जब वह छोटी थी । रिंकू सज्जाद (अक्षय कुमार) नाम के एक रहस्यमय व्यक्ति से प्यार करती है और उसके साथ कई बार भाग चुकी है । उसके नवीनतम असफल भाग जाने के बाद, उसकी नानी (सीमा बिस्वास) उससे तंग आ जाती है। वह अपने परिवार से कहती है कि उसकी शादी किसी भी उपलब्ध पुरुष के साथ करा देनी चाहिए, अधिमानतः बिहार से बाहर के किसी व्यक्ति से । उसके परिवार के सदस्यों ने अपने शहर में विशु (धनुष) को देखा है । वह मेडिकल का छात्र है जो एक कैंप के लिए सीवान आया है । उसकी प्रेमिका मंदाकिनी उर्फ मैंडी (डिंपल हयाती) के साथ उसकी शादी पहले से तय है और उनकी सगाई को कुछ ही दिन बाकी हैं । रिंकू का परिवार उसका अपहरण कर लेता है और उसे रिंकू से शादी करने के लिए मजबूर करता है। अगले दिन, वे दिल्ली जाने वाली ट्रेन में उनके लिए टिकट बुक करते हैं। ट्रेन में, विशु कल रात के विकास को लेकर अचंभित है। रिंकू विशु से कहती है कि वह सज्जाद से प्यार करती है और दिल्ली पहुंचने पर वह उसके साथ चली जाएगी । विशु को यह जानकर राहत मिलती है कि उसके लिए भी यह जबरन शादी है । वह दिल्ली पहुंचता है, जहां वह पढ़ता है । रिंकू उसे बताती है कि सज्जाद जादू का अध्ययन करने के लिए अफ्रीका गया है और वह 10 दिनों में वापस आ जाएगा । विशु को मदुरै के लिए प्रस्थान करना है। इसलिए, वह रिंकू को सज्जाद के लौटने तक अपने छात्रावास में रहने के लिए कहता है । या रिकू मदुरै में उसकी सगाई में शामिल हो सकती हैं। रिंकू उसके साथ मदुरै जाता है जहां विशु और मैंडी की सगाई हो जाती है । जब तक मैंडी विशु और रिंकू की शादी का वीडियो नहीं देखती , तब तक सब ठीक चल रहा है । आगे क्या होता है यह बाकी की फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलता है ।
हिमांशु शर्मा की कहानी नई तरह की और अपरंपरागत है । हालाँकि, स्क्रीनप्ले इस कमजोर कथानक को देखने योग्य बनाती है । लेखक ने कुछ बहुत ही मार्मिक और प्रभावशाली दृश्य जोड़े हैं । इसलिए, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, भले ही सब 'अतरंगी' चल रहा हो । हिमांशु शर्मा के डायलॉग, जैसा कि अपेक्षित था, फ़िल्म के हाई प्वाइंट्स में से एक हैं क्योंकि वे बहुत ही मजाकिया हैं और किरदार के लक्षणों के अनुरूप हैं ।
आनंद एल राय का निर्देशन शानदार है । उनकी कहानी कहने की क्षमता विकसित हुई है और यह कई दृश्यों में दिखाई देती है । उनकी सबसे बड़ी जीत यह है कि वह दर्शकों का ध्यान खींचने में कामयाब होते हैं और इस तरह की कहानी को अच्छे से हैंडल करते हैं । आनंद सफ़लतापूर्वक इस फ़िल्म को हैंडल करते हैं । वह मानसिक स्वास्थ्य पर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हैं । सेकेंड हाफ़ हालांकि थोड़ा और शार्प व सेंसेबल हो सकता था ।
अतरंगी रे की शुरुआत बहुत अच्छी होती है । फ़र्स्ट हाफ़ में कुछ दृश्य असाधारण हैं जैसे रिंकू और विशु की जबरन शादी, ट्रेन में उनकी बातचीत आदि । जिस सीक्वंस में विशु एक इमोशनल रिंकू के सामने तमिल में एक मोनोलॉग करते हैं वह देखने लायक है । इंटरमिशन प्वाइंट से कुछ मिनट पहले का दृश्य हैरान करने वाला है । इंटरवल के बाद भी फिल्म दिलचस्प बनी हुई है, हालांकि कुछ सीक्वंस को पचाना मुश्किल है । जिस तरह से रिंकू एक ऑल बॉयज हॉस्टल में शांति से रहती है और किसी को भी समझ में नहीं आता है, यह समझ के बाहर है । हालांकि सेकेंड हाफ़ में इससे भी ज्यादा समझ के परे सीन आते है । फ़िल्म का अंत एक ऐसे मोड़ पर होता है कि जहां रूढ़िवादी दर्शक इस तरह के परिणाम से खुश नहीं होंगे ।
अतरंगी रे बेहतरीन अभिनय से सजी फ़िल्म है । सारा अली खान ने लव आज कल [2020] में एक 'अतरंगी' का किरदार निभाया था, लेकिन वो कुछ काम नहीं कर पाया । लेकिन इस बार उन्होंने साबित कर दिया कि वह अपने दौर के कलाकारों में सबसे प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में से एक हैं । सारा का किरदार इतना आसान नहीं था और जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, तब पता चलता है कि सारा का किरदार कितना जटिल और कई रहस्यमयी होता जा रहा है । लेकिन सारा इसे बखूबी निभाती हैं । उम्मीद के मुताबिक धनुष कमाल का परफॉर्मेंस देते हैं । उन्होंने अब तक कई यादगार प्रदर्शन दिए हैं लेकिन फिर भी, इस फिल्म में उनके अभिनय को एक नए लेवल पर पहुंचा दिया है । इमोशनल मोनोलॉग, लू में उनका डांस जैसे उनके कुछ सीन बहुत प्रभावशाली है । लेकिन कुछ ऐसे सीन्स भी हैं जहां उनके कोई डायलॉग्स नहीं है लेकिन वह अपनी आंखों और खामोशी से काफ़ी कुछ बयां कर देतेहैं । सपोर्टिंग रोल में अक्षय कुमार अच्छे लगते हैं । वह फ़िल्म में एक खास अपील जोड़ते हैं । आशीष वर्मा (मधुसूदन) साइडकिक के रूप में भरोसेमंद हैं । सीमा बिस्वास और डिंपल हयाती अपनी छोटी भूमिकाओं में ठीक हैं । पंकज झा (रिंकू के मामा) और गोपाल दत्त (तलाक के वकील) शायद ही वहां हैं और वेस्ट हो जाते हैं । मन्नत मिश्रा (बेबी रिंकू) क्यूट है ।
ए आर रहमान का संगीत भावपूर्ण है और फिल्म की यूएसपी में से एक है । 'रैत जरा सी' फिल्म की थीम की तरह है । 'चका चक' फुट-टैपिंग और सबसे बेहतरीन है । 'तेरे रंग' और 'तूफान सी कुड़ी' एक सरप्राइज स्प्रिंग हैं और इन्हें अच्छी तरह से शूट किया गया है । 'तुम्हें मोहब्बत है', 'गरदा' और 'लिटिल लिटिल' उतने प्रभावशाली नहीं हैं । ए आर रहमान का बैकग्राउंड स्कोर शानदार है और यह कई दृश्यों को अच्छा टच देता है ।
पंकज कुमार की सिनेमैटोग्राफी बहुत अच्छी है । इस जॉनर की फिल्म में आउट-ऑफ-द-बॉक्स कैमरावर्क की उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेकिन कैमरामैन हैरान कर देता है । नितिन जिहानी चौधरी का प्रोडक्शन डिजाइन बहुत आकर्षक है । अंकिता झा की वेशभूषा वास्तविक फ़ील देती है । सारा अली खान के लिए मनीष मल्होत्रा का कॉस्ट्यूम ट्रेंडसेटिंग हो सकता है । शाम कौशल के एक्शन ठीक है । RedCillies.VFX का VFX रिच है । हेमल कोठारी की एडिटिंग और टाइट हो सकती थी ।
कुल मिलाकर, अतरंगी रे एक बहुत ही अपरंपरागत प्लॉट पर टिकी हुई फ़िल्म है । लेकिन यह एक जरूरी विषय, यानी मेंटल हेल्थ को संबोधित करती है, जिसे संवेदनशीलता के साथ दिखाया गया है । इसके अलावा कलाकारों का उम्दा प्रदर्शन, गाने और म्यूजिक और कई अच्छे तरह से हैंडल किए गए सीन्स फ़िल्म को देखने लायक बनाते हैं ।