कपिल शर्मा एक बार फ़िर अपनी पूरी टीम के साथ अपने लोकप्रिय कॉमेडी शो, द कपिल शर्मा शो के नए एपिसोड्स के साथ दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं । कोरोना लॉकडाउन के बाद कपिल शर्मा शो की शूटिंग में कोरोना संबंधी गाइडलाइंस का सख्ती से पालन किया जा रहा है । इस वीकेंड कपिल के शो में स्वानंद किरकिरे, मनोज मुंतशिर और अमिताभ भट्टाचार्य जैसे अवॉर्ड विनिंग गीतकार शिरकत करेंगे ।

The Kapil Sharma Show: संगीत की दुनिया के अनसुने किस्से- अमिताभ भट्टाचार्य ने कार में लिखा था ‘ऐ दिल है मुश्किल’

कपिल शर्मा शो में पता चलेंगे संगीत की दुनिया के अनसुने किस्से

कपिल के शो में हंसी-मजाके दौरान स्वानंद किरकिरे, मनोज मुंतशिर और अमिताभ भट्टाचार्य जैसे अवॉर्ड विनिंग गीतकार अपने सफर के बारे में कुछ अनसुने किस्से और बहुत-सी बातें बताएंगे । शो के दौरान पता चला कि अमिताभ भट्टाचार्य शुरू में एक काल्पनिक नाम से गाने लिखते थे । जब कपिल ने इस बारे में जानना चाहा तो अमिताभ ने बताया, “मैं यहां सिंगर बनने आया था और मुझे लगा कि अगर मैं लिरिक्स में अपना नाम दूंगा तो कहीं सिंगिंग का काम मिलने से ना रह जाए । मैं 90 के दशक के अंतिम वर्षों की बात कर रहा हूं, जब मैं यहां आया था । फिर धीरे-धीरे दौर बदला और लोग टैलेंट को स्वीकार करने और उसे बढ़ावा देने लगे ।”

इतना ही नहीं आगे एक और दिलचस्प बात पता चली । वैसे तो हम सभी ने ऐ दिल है मुश्किल का सुपरहिट टाइटल गाना बहुत एंजॉय किया है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ये गाना कैसे बना । यह अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखा था, जिसे प्रीतम ने कंपोज किया और अरिजीत सिंह ने गाया । हुआ यूं कि इस फिल्म के प्रोड्यूसर को दिखाने से कुछ देर पहले तक यह गाना लिखा ही नहीं गया था ।

The Kapil Sharma Show: संगीत की दुनिया के अनसुने किस्से- अमिताभ भट्टाचार्य ने कार में लिखा था ‘ऐ दिल है मुश्किल’

जब कपिल ने इस बारे में पूछा तो अमिताभ ने बताया, “प्रीतम दा के साथ होता यह है कि शाम को 6 बजे मीटिंग है तो वो कभी-कभी 5 बजे भी धुन दे देते हैं । तो धर्मा प्रोडक्शन के साथ हमारी मीटिंग थी और मैं सुबह से ही प्रीतम दा के संपर्क में था । मैं कह रहा था - दादा शाम को प्रेजेंटेशन देना है, आप धुन दे दो, मैं कुछ तो रफली लिख लूं ।

आखिरी तक वो मुझसे यही कहते रहे कि कुछ बना रहा हूं, मैं कुछ सोच रहा हूं, मैं दे रहा हूं वगैरह-वगैरह । जब हम मीटिंग के लिए निकले और जैसे ही कार में बैठे, तभी उन्होंने मुझे यह धुन दी । मुझे बताया गया कि यह फिल्म का टाइटल सॉन्ग रहने वाला है और इसमें बहुत शिद्दत होनी चाहिए । ओशिवारा से खार तक मैं उनकी कार की पिछली सीट पर बैठकर लिखता रहा और सौभाग्य से इसमें लय भी बन गई । ऊपर वाले की कृपा से ये गाना जैसा लिखा गया था, वैसा ही स्वीकृत हो गया ।”