Review Commando-2-2 (1)

रिलीज होगी बद्रीनाथ की दुल्हनिया, जो कि बीते साल रिलीज हुई फ़िल्म हम्प्टी शर्मा की दुल्हनियां का सीक्वल है । इस हफ़्ते सिनेमाघरों में रिलीज हुई है कमांडो 2, जो कि साल 2013 में कमांडो फ़िल्म का सीक्वल है । क्या कमांडो 2, बॉक्सऑफ़िस पर अच्छी प्रतिक्रिया पाएगी या फ़िर यह फ़िल्म धराशाही हो जाएगी, आईए समीक्षा करते हैं ।

कमांडो 2 एक कमांडो की वापस लाने के काले धन के निशान और twists और मुड़ता है कि उसकी 'वापसी' इस प्रकार की जांच करने के बारे में है। कमांडो 2, एक कमांडो की कहानी है जो काले धन से जुड़ी कड़ियों की जांच-पड़ताल करता है और उसके बाद की वापसी के बाद होने वाली उठा-पटक की कहानी को दर्शाती है । नोटबंदी के प्रचलित विषय और उसके बाद करनवीर सिंह डोगरा उर्फ करण (विद्युत जामवाल) के एक्शन सीन से भरे परिचय के साथ फ़िल्म की शुरूआत होती है । वहीं दूसरी तरफ़, भारत सरकार एक सर्वाधिक वांछित अपराधी विक्की चड्ढा, जिससे काला धन वसूलना है जो कि असल में भारत के गरीब और बेसहारा लोगों का है, को पकड़ने के लिए एक टीम तैयार करती है । काले धन और मलेशिया भाग गए विक्की चड्ढा को भारत वापस लाने के मिशन में अभय शर्मा (शेफाली शाह), 'केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के जांच प्रभाग के निदेशक', इंस्पेक्टर भावना रेड्डी (अदा शर्मा), एसीपी बख्तावर (फ्रेडी दारुवाला), जफर हुसैन (सुमित गुलाटी) और शरद पांडे की एक टीम को यह कार्य प्रदान करती है । और एक दिन अचानक कार्यक्रम में बदलाव हो जाता है और करण शरद पांडे को रिप्लेस कर देता है और टीम में शामिल हो जाता है । जब ये पूरी टीम मलेशिया पहुंचती है तब उनका सामना विक्की चढ्ढा और उसकी खूबसूरत पत्नी मारिया (ईशा गुप्ता) से होता है । करण में एक दोस्त और विश्वासपात्र को देखकर, मारिया करण को यह समाझाने की कोशिश करती हैं कि उनके पति विक्की को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जबरदस्ती फंसाया जा रहा है और कैसे उसके पति को आला अधिकारियों द्दारा बलि का बकरा बनाया जा रहा है । मारिया करण से उसे और अपने पति को बचाने का निवेदन करती है ताकि वो अपने मासूम बच्चे की मौत का बदला ले सके । जैसे ही करण मारिया और विक्की की मदद करता है, तभी कहानी में एक अचानक और अप्रत्याशित मोड़ आता है और उस दौरान करण और उसकी टीम को चौंका देने वाली बातें पता चलती हैं । इतना काफ़ी नहीं था कि, कर्तव्यनिष्ठ एसीपी बख्तावर करण के खिलाफ़ खड़ा हो जाता है । क्या करण अकेले कुख्यात अपराधी विक्की चड्ढा को भारत लाने में कामयाब हो पाता है, ऐसा क्या होता है जो करण को चौंका कर रख देता है, यह सब कुछ फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलता है ।

अभिनय में ख्याति हासिल करने और टीवी धारावाहिकों का निर्देशन करने के बाद, देवेन भोजानी कमांडो 2 के साथ एक निर्देशक के रूप में अपनी शुरूआत करते हैं । नवोदित निर्देशक के रूप में देवेन अच्छा काम करते हैं । देवेन भोजानी, जिसने फ़िल्म को मनोरंजक और रोचक तथ्यों के साथ सजाया है, आपको कुछ अनजान तत्त्वों द्दारा झकझोरने में कामयाब होते हैं । कई सारे टीवी शो में बतौर निर्देशक के रूप में इतना सारा काम करने के बावजूद यह बहुत दुख की बत है कि कमांडो 2 के कहानीकार के रूप में देवेन इतना सफ़ल नहीं हो पाते हैं । हालांकि फ़िल्म का फ़र्स्टहाफ़ फ़िल्म की रफ़्तार और सच में स्टाइलिश एक्शन दृश्यों के साथ किरदारों के परिचय के रूप में रफ़्तार बनाने में सफ़लतापूर्वक कामयाब होता है जबकि फ़िल्म का सेकेंड हाफ़, खींचना शुरू होता है और कई स्थानों में उम्मीद के मुताबिक सा बन पड़ता है । सेकेंड हाफ़, कई जगहों पर असंबद्ध लगता है, बिना सोचे समझे और अप्रत्याशित दिशाओं में चला जाता है और दर्शकों को भ्रमित कर देता है । कमांडो 2 में रितेश शाह का बेकार लेखन, एक आघात के रूप में लगता है, और ये वही लेखक है जिन्हें पिंक फ़िल्म के अपने बेहद शक्तिशाली और यथार्थपूर्ण लेखन के लिए खूब सराहना मिली थी । वहीं दूसरी ओर, ये देखकर बहुत हैरानी होती है कि फ़िल्म के मेकर्स को फ़िल्म में देशभक्ति का एंगल, जो फ़िल्म में जबरदस्ती का घुसाया हुआ लगता है, को उड़ेलने की क्या जरूरत थी । इन सबके बीच, फ़िल्म में ऐसे भी कुछ यादगार सीन है जैसे, मॉल के बाहर इंटरवल के बाद के एक्शन सीन, क्लाइमेक्स के दौरान मेसिव फ़ाइट और इंटरवल सीन भी ।

Review Commando-2-2 (2)

फ़िल्म में अभिनय की बात करें तो, यह पूरी फ़िल्म पूरी तरह से इस फ़िल्म के मुख्य अभिनेता विद्युत जामवाल के मजबूत कंधो पर विराजमान है । अपने रोल में विद्युत बहुत जंचते हैं और फ़िल्म में अपने 'कमांडो' के किरदार के साथ पूरा न्याय करते हैं । वह अपने हैरतअंगेज एक्शन सीन और अभिनय से आपको बांधे रखने में पूरी तरह से कामयाब होते हैं । इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस फ़िल्म के जरिए विद्युत एक अभिनेता के रूप में उभरे हैं । कमांडो 2, जैसा की फ़िल्म का नाम है, लोग इसमें ढेर सारे हैरत अंगेज एक्शन सीन की उम्मीद करते हैं । तो तथ्य यह है कि विद्युत एक्शन सीन के लिए हैं, फ़िल्म में वह काफ़ी खतरनाक स्टटं करते हुए नजर आते हैं । उनके अलावा, अदा शर्मा, जो फ़िल्म में विद्युत की लव इंटरेस्ट बनी हैं । अदा, जो पिछली बार 'हंसी तो फ़ंसी' फ़िल्म में नजर आई थी, फ़िल्म में अच्छा काम करती हैं । फ़िल्म में दर्शकों को उनके दक्षिण भारतीय लहजे को स्वीकारने में थोड़ा समय लगता है । अदा इस गंभीर फ़िल्म में हंसी का तड़का लगाती हैं । अपने हंसाने के अंदाज के अलावा वह हर किसी को अपने एक्शन सीन से भी प्रभावित कर जाती हैं । वहीं दूसरी तरफ़, फ़्रेडी दारूवाला, जिसने फ़ोर्स 2, और हॉलीडे जैसी फ़िल्में की, ने कमांडो 2 में ठीक ठाक काम करती है । फ़िल्म में जो बात चौंकाने वाली है वो है, ईशा गुप्ता, जो फ़िल्म में महत्वपूर्ण मोड़ पर सामने आती हैं । ईशा गुप्ता, जो रुस्तम फ़िल्म में नेगेटिव किरदार में नजर आईं थी, कमांडो 2 को अपने शानदार परफ़ोरमेंस से पूरी तरह एक अलग स्तर पर ले जाती हैं । उनके अलावा, शेफ़ाली शाह, जो बेहतरीन परफ़ोरमेंस करती हैं । और बाकी के कलाकार फ़िल्म को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं ।

फ़िल्म में केवल एक ही गाना है 'हरे कृष्णा हरे राम' (जो केवल फ़िल्म के अंत में सुनाई देता है) । वहीं दूसरी तरफ़, इस फिल्म का बैकग्राउंडस्कोर संगीत (प्रसाद साश्टे) प्रभावशाली है ।

फिल्म का छायांकन (चिरंतन दास) वास्तव में उल्लेखनीय है । जिस तरह से उन्होंने विदेशी लोकेशन को शूट किया है वह वास्तव में सराहनीय है । फिल्म का संपादन (अमिताभ शुक्ला, संजय शर्मा) औसत है । सांस रुका देने वाले एक्शन सीन के लिए एक्शन निर्देशक (फ्रांज स्पिलहाउस) का विशेष रूप से उल्लेख ।

कुल मिलाकर, कमांडो 2 उम्मीद के मुताबिक, मनोरंजक फ़िल्म है जो केवल लक्षित दर्शकों को ही आकर्षित करेगी । बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म अच्छा कारोबार करेगी ।