फ़िल्म :- मिराई

कलाकार :- तेजा सज्जा, मांचू मनोज, रितिका नायक, श्रिया सरन

निर्देशक :- कार्तिक गट्टामनेनी

रेटिंग :- 3/5

Mirai Movie Review: तेजा सज्जा की बेहतरीन परफॉर्मेंस और माइथोलॉजिकल एलिमेंट के कारण देखने लायक बनती है मिराई

संक्षिप्त में मिराई का प्लॉट :-  

मिराई एक ऐसे इंसान की कहानी है जो दुनिया को बचाने निकलता है। वेद प्रजापति (तेजा सज्जा) एक अनाथ है, जिसे अपने माता-पिता के बारे में कुछ पता नहीं। वह हैदराबाद में रहता है और जीविका के लिए छोटे-मोटे काम करता है। उसकी जिंदगी तब बदलती है जब उसकी मुलाकात विभा (ऋतिका नायक) से होती है। विभा हिमालय से सिर्फ उसे खोजने आई है। वह वेद को बताती है कि वह महान अंबिका (श्रिया सरन) का बेटा है और उसका भाग्य है कि वह दुनिया को एक दुष्ट शक्ति से बचाए। यह दुष्ट शक्ति है महाभीर लामा (मनोज मांचू), जिसके पास खतरनाक शक्तियाँ हैं। महाभीर नौ दिव्य ग्रंथों की खोज में है, जिन्हें एक गुप्त योद्धा समाज ने छुपाकर सुरक्षित रखा है। वह बलपूर्वक 9 में से 8 ग्रंथ हासिल कर चुका है और अब आखिरी, नौवें ग्रंथ की तलाश में है। यहीं पर वेद की एंट्री होती है, क्योंकि संभव है कि उसे उस अंतिम ग्रंथ के स्थान के बारे में जानकारी हो। इसके बाद क्या होता है, यही फिल्म की बाकी कहानी है।

मिराई मूवी स्टोरी रिव्यू :-

कार्तिक गट्टमनेनी और मणिबाबू करनम की कहानी दिलचस्प है, जिसमें पौराणिक कथाओं और फैंटेसी का मिश्रण देखने को मिलता है। हालांकि, दोनों का स्क्रीनप्ले उम्मीद के मुताबिक असरदार नहीं बन पाता, भले ही कुछ सीन वाकई बहुत आकर्षक हैं। मणिबाबू करनम के डायलॉग्स सामान्य हैं, कुछ वन-लाइनर जरूर हंसी पैदा करते हैं।

कार्तिक गट्टमनेनी का निर्देशन अच्छा है। उन्होंने फिल्म के स्केल और भव्यता को बखूबी संभाला है। यह एक बिग-स्क्रीन फिल्म है और यह बात साफ झलकती है। विलेन का ट्रैक डरावना है और उसकी बैकस्टोरी काफी रोचक है। इंटरवल प्वाइंट बेहतरीन है, जबकि क्लाइमेक्स फाइट दर्शकों को बांधे रखती है। पौराणिक तत्वों को जिस तरह पेश किया गया है, वह काबिल-ए-तारीफ है।

वहीं, कमियों की बात करें तो मिराई ऐसे वक्त पर आई है जब दर्शक पहले ही कार्तिकेय 2, ब्रह्मास्त्र, काल्कि 2898 ए.डी. और यहां तक कि तेजा सज्जा की हनुमान जैसी कई यादगार फिल्में देख चुके हैं। इसलिए पूरी मेहनत के बावजूद यह फिल्म कहीं-कहीं रिपीटेड-सी लगती है। कुछ हिस्से सतही लगते हैं और ह्यूमर भी पूरी तरह से असर नहीं छोड़ पाता।

परफॉरमेंस :-

तेजा सज्जा ने वाकई बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है। उनका लुक, बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशंस इस किरदार को पूरी तरह सूट करते हैं। मनोज मांचू विलेन के तौर पर ठीक हैं, हालांकि कुछ सीन्स में थोड़ा ओवर हो जाते हैं। कार्तिकेया देव ने टीनएज महाभीर का किरदार कहीं बेहतर ढंग से निभाया है। श्रिया सरन का रोल पावरफुल है और उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस काफी दमदार है। ऋतिका नायक ने भी अच्छी सपोर्टिंग परफॉर्मेंस दी है। जयराम (अगस्त्य) और जगपति बाबू (अंगमबली) गहरी छाप छोड़ते हैं। गेटअप श्रीनु (मीमेश), राज ज़ुत्शी (बंशी) और पवन चोपड़ा (के. एन. बागची; महाभीर के साथ प्रोफेसर) ने ठीक-ठाक काम किया है। रघु राम (येसु डैडी) का किरदार बर्बाद सा लगता है। किशोर तिरुमाला (सी.आई. अशोक) का रोल मज़ेदार है लेकिन असर सीमित रहता है। तान्या केलर ने निर्दयी हत्यारी यूका के रूप में शानदार काम किया है।

मिराई का म्यूजिक और अन्य तकनीकी पहलू

गौरा हरी का म्यूजिक यादगार साबित नहीं होता। गाना ‘वाइब है बेबी’ फिल्म से गायब है। हालांकि गौरा हरी का बैकग्राउंड स्कोर उत्साहजनक और प्रभावशाली है।

कार्तिक गट्टमनेनी की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है। लंका संतोषी ने तेजा सज्जा के लिए स्टाइलिश कॉस्ट्यूम डिजाइन किए हैं, जबकि रेखा बोग्गरापु के कॉस्ट्यूम बाकी कलाकारों के लिए रियलिस्टिक नजर आते हैं। श्रीनागेंद्र तंगाला का प्रोडक्शन डिजाइन प्रामाणिक है। एक्शन सीक्वेंसेज़ ज्यादा खून-खराबे वाले नहीं हैं और प्रभावी लगते हैं। वीएफएक्स संतोषजनक हैं। ए. श्रीकर प्रसाद की एडिटिंग कुल मिलाकर साफ-सुथरी है, हालांकि और थोड़ी क्रिस्प होती तो बेहतर रहती।

क्यों देंखे मिराई ?

कुल मिलाकर, मिराई  अपने माइथोलॉजिकल एलिमेंट, विषय और तालियाँ बजवाने वाले इंटरवल ब्लॉक व क्लाइमेक्स की वजह से असर छोड़ती है । हिंदी वर्ज़न की शुरुआत भले ही सामान्य रहने की उम्मीद है, लेकिन इसकी रोचक कहानी और शानदार विज़ुअल्स के दम पर यह पॉज़िटिव वर्ड ऑफ माउथ से धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ सकती है ।