/00:00 00:00

Listen to the Amazon Alexa summary of the article here

Review: गंगूबाई काठियावाड़ी एक दमदार कहानी से सजी आलिया भट्ट के करियर की अब तक की सबसे बेहतरीन अभियन से सजी फ़िल्म है जिसमें कुछ बेहद ही शानदार सीन्स है । रेटिंग : 3.5 स्टार्स

गंगूबाई काठियावाड़ी एक महिला के वेश्या से उत्पीड़ितों की मसीहा बनने तक के सफर की कहानी है । कहानी 50 के दशक की शुरुआत में शुरू होती है। गंगा हरजीवनदास (आलिया भट्ट) काठियावाड़ की रहने वाली है । उसके पिता एक बैरिस्टर हैं और वह एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखती है । गंगा एक अभिनेत्री बनना चाहती है और उसका प्रेमी, रमणीक (वरुण कपूर), उससे कहता है कि वह उसे एक बड़ी हिंदी फिल्म में भूमिका निभाने में मदद करेगा । वह उसके साथ बम्बई भाग जाती है । बॉम्बे में, वह उसे शीला (सीमा पाहवा) द्वारा संचालित एक वेश्यालय में ले जाता है । इसके बाद गंगा को बताया जाता है कि रमणीक ने उसे शीला को 1000 रुपये में बेच दिया है । पहले तो वह इसका विरोध करती है लेकिन बाद में देह व्यापार में शामिल हो जाती है । जब वह अपने पहले क्लाइंट के साथ सोती है, तो उसके अंदर कुछ बदल जाता है । वह अपना नाम गंगू रख लेती है । कुछ ही समय में, वह शीला की इच्छा के विरुद्ध, विद्रोही हो जाती है। एक दिन, सुबह-सुबह, शीला एक विजिटर, शौकत अब्बास खान से मिलती है। वह गंगू के लिए पूछता है। शीला को पता चलता है कि वह सही नहीं लग रहा है। फिर भी, वह उसे सबक सिखाने के लिए गंगू को शौकत के साथ सोने देती है। साथ ही, वह अपने गुर्गों को विदा करती है । शौकत गंगू पर हमला करता है और उसे बुरी तरह घायल कर देता है । गंगू को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है । गंगू को पता चलता है कि शौकत रहीम लाला (अजय देवगन) के गिरोह से संबंधित है, जो बॉम्बे का एक प्रसिद्ध डॉन है और शहर का काफी सम्मानित व्यक्ति भी है। गंगू उससे मिलती है और उसे सच बताती है। रहीम शौकत को पब्लिक में सबक सिखाता है । रहीम लाला जिस तरह से गंगू की मदद के लिए आगे आता है, उससे गंगू को बहुत प्रोत्साहन मिलता है। जल्द ही, शीला का निधन हो जाता है और गंगू पूरे कारोबार को संभाल लेती है। उसे पता चलता है कि रेड लाइट एरिया में रहने वाली 4,000 यौनकर्मियों की सवारी को मोड़ने के लिए उसे कमाठीपुरा एसोसिएशन का चुनाव जीतने की जरूरत है । हालांकि, ऐसा करना आसान नहीं होगा । गंगूबाई की प्रतिद्वंदी कोई और नहीं बल्कि बेहद ताकतवर रजिया बाई (विजय राज) हैं । आगे क्या होता है यह बाकी की फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है ।

Gangubai Kathiawadi Movie Review: ‘गंगूबाई’ को अपने अंदर समा लेती हैं आलिया भट्ट, दमदार वन लाइनर्स और इमोशन से सजी है गंगूबाई काठियावाड़ी

गंगूबाई काठियावाड़ी एस हुसैन जैदी की किताब 'माफिया क्वींस ऑफ मुंबई' के अध्याय 'द मैट्रिआर्क ऑफ कमाठीपुरा' से प्रेरित है । कहानी दिलचस्प है और कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाती है । संजय लीला भंसाली और उत्कर्षिनी वशिष्ठ की पटकथा मनोरंजक और नाटकीय है । अतीत में कई फिल्मों ने यौनकर्मियों के जीवन को छुआ है । लेकिन लेखक इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि दर्शकों को इस फ़िल्म में उन फ़िल्मों की झलक नहीं मिले । गंगूबाई का किरदार बहुत अच्छी तरह से तैयार किया गया है और वही अन्य सहायक किरदार के लिए जाता है । प्रकाश कपाड़िया और उत्कर्षिनी वशिष्ठ के डायलॉग दमदार हैं और हाल के दिनों में सर्वश्रेष्ठ में से एक हैं । कई सीन्स में ऐसे कई दमदार वन लाइनर्स हैं जो फ़िल्म के प्रभाव को बढ़ाते हैं ।

संजय लीला भंसाली का निर्देशन सर्वश्रेष्ठ है । वह इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि दर्शक गंगूबाई और कमाठीपुरा की दुनिया से रूबरू हों । उन्होंने अतीत में कुछ बेहद ही शानदार फिल्में दी हैं और इसलिए, उनसे किसी सामान्य फ़िल्म की उम्मीद नहीं की जा सकती है । इस संबंध में, वह निराश नहीं करते हैं । उन्होंने कहानी को खूबसूरती और संवेदनशील तरीके से गढ़ा है और भव्यता को भी उसी तरह से जोड़ा है । गंगूबाई का दर्द बहुत अच्छी तरह से सामने आता है और हर कोई उसके साथ सहानुभूति रख सकता है । वहीं, ज्यादातर हिस्सों में फिल्म परेशान नहीं करती है और काफी मेनस्ट्रीम है। हालाँकि, गंगूबाई और अफसान (शांतनु माहेश्वरी) के बीच का रोमांटिक हिस्सा छोटा हो सकता था क्योंकि यह तब होता है जब फिल्म थोड़ी धीमी हो जाती है । सेकेंड हाफ आकर्षक है लेकिन सिंगल स्क्रीन दर्शकों के लिए यह बड़े पैमाने पर मनोरंजन नहीं देता है । इसके अलावा, गंगूबाई को कई बार 'माफिया क्वीन' कहा जाता है, लेकिन उन्हें किसी भी तरह से माफिया के रूप में नहीं दिखाया गया है ।

गंगूबाई काठियावाड़ी के शुरुआती हिस्से थोड़े डार्क और परेशान करने वाले हैं । गंगा के गंगू बनने के बाद फिल्म और बेहतर हो जाती है । शौकत अब्बास खान और रजिया बाई का पूरा ट्रैक बेहद मनोरंजक है । रहीम लाला के सभी दृश्य कहानी में बहुत कुछ जोड़ते हैं । रोमांटिक ट्रैक हालांकि थोड़ा कमजोर है, लेकिन इसमें कुछ प्यारे पल हैं । इंटरवल के बाद, फिल्म कई जगहों पर फ़िसलती है लेकिन आजाद मैदान के भाषण के सीन में और आखिरी 15 मिनट में फ़िर रफ़्तार पकड़ लेती है।

आलिया भट्ट इस फ़िल्म में यकीनन अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देती हैं । कई लोगों ने कहा था कि वह इस रोल के लिए काफ़ी छोटी है । लेकिन आलिया ने सभी को खामोश कर दिया क्योंकि वह अपने रोल में पूरी तरह से फ़िट बैठती है । इसकी वजह ये है कि इस फ़िल्म में गंग़ूबाई को यंग दिखाया गया है । आलिया पूरी तरह से अपने किरदार में ढल जाती है, इससे पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया । इस फ़िल्म में अजय देवगन की उपस्थिति 10 मिनट की है और जिसमें वह शानदार लगते हैं । उनकी कास्टिंग भी स्पॉट-ऑन है । सीमा पाहवा यादगार हैं । छोटे से रोल में विजय राज बहुत जंचते हैं । शांतनु माहेश्वरी प्यारे लगते हैं और उन्हें इस रोल के लिए पसंद किया जाएगा । वरुण कपूर ठीक हैं । जिम सरभ (पत्रकार अमीन फैजी) बेहतरीन हैं । इंदिरा तिवारी (कमली) जो आखिरी बार सीरियस मेन [2020] में नजर आईं, इस फिल्म का एक सरप्राइज है । राहुल वोहरा (प्रधानमंत्री) ठीक हैं । मधु (गंगूबाई द्वारा बचाई गई लड़की), शौकत अब्बास खान, बिरजू, डेंटिस्ट आदि का किरदार निभाने वाले कलाकार ठीक हैं। 'शिकायत' गाने में हुमा कुरैशी अच्छी लगती हैं ।

संजय लीला भंसाली का संगीत निराशाजनक है। वह भावपूर्ण और हिट गीतों के लिए जाने जाते हैं लेकिन गंगूबाई काठियावाड़ी का एक भी गाना उस लेवल का नहीं है । 'ढोलिड़ा' सिर्फ फिल्मांकन की वजह से अच्छा लगता है । ऐसा ही कुछ 'मेरी जान' और 'जब सयान' के साथ भी है । 'शिकायत' और 'झुमे रे गोरी' भूलने योग्य हैं । संचित बलहारा और अंकित बलहारा का बैकग्राउंड स्कोर काफी बेहतर है ।

सुदीप चटर्जी की सिनेमेटोग्राफ़ी उम्दा है और कमाठीपुरा सेट के दृश्यों को खूबसूरती से कैप्चर किया गया है । सुब्रत चक्रवर्ती और अमित रे का प्रोडक्शन डिजाइन आंखों को भाता है और वास्तविक भी लगता है। शीतल इकबाल शर्मा की वेशभूषा आकर्षक है, खासकर आलिया द्वारा पहनी गई सफेद ड्रेसेस । शाम कौशल का एक्शन ठीक है । वीएफएक्स बढ़िया है । संजय लीला भंसाली की एडिटिंग कुछ जगहों पर और बेहतर हो सकती थी ।

कुल मिलाकर, गंगूबाई काठियावाड़ी एक दमदार कहानी से सजी आलिया भट्ट के करियर की अब तक की सबसे बेहतरीन अभियन से सजी फ़िल्म है जिसमें कुछ बेहद ही शानदार सीन्स है । बॉक्स ऑफ़िस पर यह फ़िल्म मल्टीप्लेक्स और महिला दर्शकों को ज्यादा लुभाएगी ।