फ़िल्म :- फ़तेह
कलाकार :- सोनू सूद, जैकलीन फर्नांडीज़, नसीरुद्दीन शाह
निर्देशक :- सोनू सूद
रेटिंग :- 3.5/5 स्टार्स
संक्षिप्त में फ़तेह की कहानी :-
फ़तेह साइबर अपराधियों से लड़ने वाले एक आदमी की कहानी है। फ़तेह सिंह (सोनू सूद) पंजाब के मोगा में रहता है और एक डेयरी फ़ार्म में सुपरवाइज़र के तौर पर काम करता है। गाँव में उसकी अच्छी प्रतिष्ठा है और वह ज़रूरतमंदों की गुप्त रूप से मदद करना पसंद करता है। गाँव में उसका पड़ोसी निमृत (शिव ज्योति राजपूत) है और उन दोनों के बीच बहुत अच्छा रिश्ता है। निमृत एक मोबाइल शॉप चलाती है और वह 'किश्त पे' नामक एक लोन ऐप की एजेंट भी है। उसके ज़रिए कई ग्रामीण जल्दी लोन लेते हैं और इस तरह फ़ायदा उठाते हैं। लेकिन बाद में, लोन चुकाने के बाद भी उन्हें ब्याज चुकाने में मुश्किल होती है। लोन एजेंट ग्रामीणों को धमकाते हैं और समय पर पैसे न चुकाने की स्थिति में उनके परिवार के सदस्यों की नकली नग्न तस्वीरें भी भेजते हैं। संधू (बिन्नू ढिल्लन) एक ऐसा ही परेशान ग्रामीण है जो लोन लेता है और फिर ब्याज चुकाने में असमर्थ हो जाता है। कोई दूसरा विकल्प न होने पर वह अपनी जान ले लेता है। इस बीच, निमृत गायब हो जाती है। फ़तेह उसे ढूँढने का फ़ैसला करता है। वह दिल्ली जाता है और जल्द ही लोन ऐप के जालसाज़ों से उसका सामना होता है। उन्हें नहीं पता कि फ़तेह कोई आम आदमी नहीं है। वह एक प्रशिक्षित हत्यारा है। इस बीच, फ़तेह को एथिकल हैकर ख़ुशी (जैकलीन फ़र्नांडीज़) से मदद मिलती है। आगे क्या होता है, यह फ़िल्म में दिखाया गया है।
फ़तेह मूवी रिव्यू :-
सोनू सूद की कहानी ठीक-ठाक है। सोनू सूद और अंकुर पजनी की पटकथा (संकल्प रावल, रुद्र आनंद, श्याम निर्मल द्वारा अतिरिक्त पटकथा) फुल स्पीड वाली है और कुछ पलों पर अच्छी तरह से विचार किया गया है। सोनू सूद और अंकुर पजनी के डायलॉग्स साधारण हैं ।
सोनू सूद का निर्देशन स्टाइलिश है। उन्होंने कुछ दृश्यों को स्टाइल के साथ इंटरकट किया है और इससे मज़ा बढ़ जाता है। कुछ दृश्य जो अलग हैं, वे हैं फ़तेह और चड्ढा (आकाशदीप साबिर) और उसके आदमी थिएटर में, फ़तेह की पहली बार पुलिस वाले निशित बिस्वास (दिब्येंदु भट्टाचार्य) से मुलाक़ात, एक भ्रष्ट पुलिस वाला यह बताना कि उसके लैपटॉप का पासवर्ड सत्यमेव जयते है आदि। साथ ही, 140 मिनट लंबी यह फ़िल्म एक पल के लिए भी बोर नहीं करती। इसके अलावा, यह पहली फ़िल्म है जो लोन ऐप की भयावहता के बारे में बताती है और यही फ़तेह को एक बेहद प्रासंगिक फ़िल्म बनाती है।
वहीं कमी की बात करें तो, ऐसा लगता है कि फिल्म ने एनिमल, जॉन विक आदि से बहुत कुछ उधार लिया है। वह दृश्य जिसमें फतेह एक तंग गलियारे में नकाबपोश लोगों से लड़ता है, रणबीर कपूर अभिनीत फिल्म से काफी मिलता-जुलता लगता है। दूसरी बात, दर्शकों को फतेह के लिए निमृत की भावनाओं के बारे में उलझन होगी। क्या वह उससे आकर्षित थी या उसे बस एक भाई के रूप में देखती थी? निर्माताओं को इस पहलू को सरल बनाना चाहिए था।
परफ़ॉर्मेंस :-
एक एक्टर के तौर पर सोनू सूद ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। उन्होंने अपने अभिनय को संयमित रखा है और एक्शन करते हुए शानदार दिखे हैं। जैकलीन फर्नांडीज ने ईमानदारी से काम किया है। हालांकि, रोमांटिक ट्रैक बहुत कमज़ोर है। नसीरुद्दीन शाह (रज़ा) की कास्टिंग फ़िल्म में बहुत कुछ जोड़ती है और वह हमेशा की तरह भरोसेमंद हैं। विजय राज (सत्य प्रकाश) एक बहुत ही अलग भूमिका में नज़र आते हैं और बढ़िया काम करते हैं। दिव्येंदु भट्टाचार्य ने एक बड़ी छाप छोड़ी है। आकाशदीप साबिर सिर्फ़ एक सीन के लिए हैं और बहुत अच्छे हैं। शिव ज्योति राजपूत, बिन्नू ढिल्लन, प्रकाश बेलावाड़ी (अयप्पा) और शीबा आकाशदीप (निर्मित की माँ) ने अच्छा साथ दिया है। साउंडस मौफ़ाकिर (रज़ा के सहायक) ठीक-ठाक हैं।
फ़तेह फ़िल्म का संगीत और अन्य तकनीकी पहलू :
संगीत आकर्षित करने में विफल रहा। 'फ़तेह कर फ़तेह' का ठीक से उपयोग नहीं किया गया है। 'निंदिया' और 'रोना तक़दीर' अच्छी रचनाएँ हैं, लेकिन इस तरह की फ़िल्म में वे थोड़ी बेमेल लगती हैं। 'कॉल टू लाइफ़' सबसे अच्छा है क्योंकि यह थीम गीत की तरह है। 'हिटमैन' को अंतिम क्रेडिट में बजाया गया है। जॉन स्टीवर्ट एडुरी के बैकग्राउंड स्कोर में सिनेमाई अपील है।
विन्सेन्ज़ो कोंडोरेली की सिनेमैटोग्राफी शानदार है, ख़ास तौर पर एक्शन दृश्यों में। ली व्हिटेकर, रामप्यारे रामधारी यादव, रियाज़ नासिर शेख़ और हबीब हाजी सईद के एक्शन बहुत ही ख़ौफ़नाक है, जैसा कि आजकल आम बात है। तारिक उमर ख़ान और नादिरी तारिक ख़ान का प्रोडक्शन डिज़ाइन और गोपिका गुलवाड़ी की वेशभूषा उचित है। यश पारिख की एडिटिंग संतोषजनक है।
क्यों देंखे फ़तेह ?
कुल मिलाकर, फ़तेह एक शानदार एक्शन एंटरटेनर है जो लोन ऐप्स की भयावहता को उजागर करती है, जो इस समय देश में एक ज्वलंत मुद्दा है। सोनू सूद इस फिल्म में एक अभिनेता और निर्देशक के रूप में प्रभावशाली लगते हैं । हालांकि सीमित चर्चा के कारण इसकी ओपनिंग प्रभावित होगी ।