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Review: भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया भारतीय इतिहास से एक अविश्वसनीय कहानी को दर्शाती है । प्रदर्शन बेहतरीन है, सेकेंड हाफ में फ़िल्म का रोमांचक स्तर बढ़ जाता है, और उत्साहित क्लाइमेक्स फ़िल्म का हाई प्वाइंट है । रेटिंग : 3.5 स्टार्स

भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के एक अविश्वसनीय अध्याय की कहानी है । 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के निवासियों के उत्पीड़न से लाखों लोगों की मौत हुई । असंख्य लोग हत्याओं से बचने के लिए भारत की ओर पलायन करते हैं । इसलिए भारत भी इस संघर्ष में शामिल हो जाता है और अपने अधिकांश सैनिकों को पूर्वी सीमा पर तैनात कर देता है । इस स्थिति का फायदा उठाकर पाकिस्तान पश्चिमी तरफ भारत के डिफेंस बेस पर हमला करने लगता है । 8 दिसंबर 1971 को, पाकिस्तान वायु सेना ने अचानक भुज एयरबेस पर हमला किया, कमांडिंग ऑफिसर विजय कार्णिक (अजय देवगन) और बाकी सभी इससे हैरान रह जाते हैं । इस हमले में कई लोगों की जान चली जाती है और हवाई पट्टी भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती है । इस बीच, पाकिस्तान सूरजबाड़ी और बनासकठा पुलों और भुज की ओर जाने वाली पांच प्रमुख सड़कों को भी नष्ट कर देता है । नतीजतन, भुज और कच्छ देश के बाकी हिस्सों से कट जाते हैं । भारतीय वायु सेना के विमान भी नहीं उतर सकते क्योंकि हवाई पट्टी नष्ट हो गई है और इसकी मरम्मत करने वाले इंजीनियर भाग गए हैं । इस बीच पाकिस्तानी सेना ने भुज की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है और पूरे क्षेत्र पर कब्जा करने की योजना बना रही है । इस समस्या का एकमात्र उपाय यह है कि किसी भी कीमत पर रात भर हवाई पट्टी की मरम्मत की जाए । आगे क्या होता है यह बाकी की फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है ।

Bhuj – The Pride Of India Movie Review: रोमांच जगाती है अजय देवगन की भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया की अविश्वसनीय रियल स्टोरी

अभिषेक दुधैया, रमन कुमार, रितेश शाह और पूजा भवोरिया की कहानी आकर्षक है और अधिकांश लोगों को इस बारें में पता भी नहीं है । अधिकांश दर्शकों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस तरह की घटना हुई और आम नागरिकों ने भी युद्ध में सेना की मदद की । अभिषेक दुधैया, रमन कुमार, रितेश शाह और पूजा भावोरिया की पटकथा मिश्रित है । फ़र्स्ट हाफ में कहानी में ज्यादा विकास नहीं होता है । लेकिन सेकेंड हाफ़ में लेखक अपनी प्रतिभा दिखाते हैं । क्लाइमेक्स खासतौर पर बहुत सोच-समझकर बनाया गया है । अभिषेक दुधैया, रमन कुमार, रितेश शाह और पूजा भावोरिया के डायलॉग (मनोज मुंतशिर द्वारा अतिरिक्त संवाद) ताली बजाने योग्य हैं। ग्रामीणों को समझाते हुए अजय का मोनोलॉग दिल को छू लेने वाला है ।

अभिषेक दुधैया के निर्देशन में कुछ कमियां हैं लेकिन कुल मिलाकर यह ठीक है । खूबियों की बात करें तो वह फिल्म के पैमाने को बखूबी संभालते हैं । कुछ नाटकीय और एक्शन दृश्यों को अच्छी तरह से हैंडल किया गया है और यह प्रभाव को भी बढ़ाता है । इसके अलावा, कुछ वन-टेक एक्शन दृश्य मनोरंजन बढ़ाते हैं । फ़िल्म का क्लाइमेक्स उत्सुकता बढ़ाने वाला है और यह वास्तव में फिल्म को एक अलग लेवल पर ले जाता है । अब फ़िल्म की कमियों की बात करें तो, किरदारों को अच्छी तरह से समझाया नहीं गया है । सभी प्रमुख किरदारों का परिचय बहुत तेज है । एक आम आदमी के लिए, इतनी अधिक जानकारी स्टोर करना बहुत अधिक होगा । इसके अलावा, संभवत फ़िल्म की लंबाई कम करने के लिए जगह-जगह से कई सीन्स को काटा गया है जो आसानी से समझ आ जाता है । कई एक्शन दृश्यों में तर्क के लिए कोई जगह नहीं है । क्लाइमेक्स में खाई में रणछोड़ का दृश्य जनता को पसंद आएगा लेकिन इसे पचाना मुश्किल है। साथ ही, फ़र्स्ट हाफ में कुछ दिलचस्प दृश्य हैं लेकिन कुल मिलाकर, यह वांछित प्रभाव डालने में विफल रहते हैं ।

भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया के पहले 5 मिनट एक असेंबल के माध्यम से संदर्भ की व्याख्या करते हैं और साथ ही पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा उनकी दुष्ट योजना पर चर्चा करने के दृश्य के साथ शुरू होते हैं । इसके ठीक बाद थोड़ा ओवर हो जाता है लेकिन संघर्ष को समझने में मदद करता है । भुज एयरबेस पर हमले का दृश्य चौंकाने वाला है लेकिन जल्द ही फिल्म फ्लैशबैक मोड में चली जाती है । यहां, बहुत से किरदारों से परिचय कराया जाता है और यह भी कुछ ओवर सा लगने लगता है । हीना रहमानी (नोरा फतेही) का ट्रैक एक बड़ी राहत के रूप में सामने आता है । उनका वन टेक मिरर एक्शन सीन फिल्म के बेहतरीन सीन में से एक है । सेकेंड हाफ़ में, कहानी में एक निश्चित 'ठहराव' सा आता है । साथ ही सुंदरबेन (सोनाक्षी सिन्हा) का परिचय फिल्म में बहुत कुछ जोड़ता है । फ़िल्म के बेस्ट सीन्स लास्ट के 20-25 मिनट के लिए रिजर्व रहते हैं जिसमें से हवाई जहाज के लैंडिंग दृश्य बाजी मार ले जाता है ।

अजय देवगन ने एक आयामी किरदार निभाया है । लेकिन प्रदर्शन के लिहाज से, वह पहले दर्जे का है और कुछ दृश्यों का लेवल बढ़ाता है । उनका स्लो-मो वॉक विशेष रूप से काफी रोमांचक है और इससे सिनेमाघरों में हंगामा मच जाता । संजय दत्त भी एक ऐसा किरदार निभाते हैं, जिसकी पिछली कहानी को ठीक से समझाया नहीं गया है, लेकिन फ़िर भी वह अपने रोल में जंचते हैं, खासकर लड़ाई के दृश्यों में । सोनाक्षी सिन्हा ने देर से एंट्री ली लेकिन वह फिल्म का सरप्राइज है । नोरा फतेही अपने अभिनय और एक्शन से मंत्रमुग्ध कर देती हैं । उनका एक्शन सीन मुख्य आकर्षण में से एक है । शरद केलकर (आर के नायर) हमेशा की तरह भरोसेमंद हैं । एम्मी विर्क (विक्रम सिंह बाज) अच्छे लगते हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं । प्रणिता सुभाष (उषा), इहाना ढिल्लों (आर के नायर की पत्नी) और महेश शेट्टी (लक्ष्मण) को ज्यादा स्कोप नहीं मिलता । नवनी परिहार (इंदिरा गांधी) निष्पक्ष है । जनरल याह्या खान, हीना रहमानी के पति मोहम्मद हुसैन ओमानी, विंग कमांडर ए ए साहू, मुख्तार बेग और तैमूर रिज़वी की भूमिका निभाने वाले कलाकार ठीक हैं ।

संगीत ठीक है और इसमें गानों की ज्यादा गुंजाइश नहीं है । वास्तव में, 'रम्मो रम्मो', 'भाई भाई' और यहां तक कि प्रसिद्ध 'ज़ालिमा कोका कोला' ट्रैक जैसे कुछ गाने गायब हैं । 'हंजुगम' भूलने योग्य है लेकिन 'देश मेरे' दिल को छूता है । सोनाक्षी सिन्हा ('हे ईश्वर मालिक ही दाता') का भक्ति गीत शक्तिशाली है लेकिन थोड़ा हटकर लगता है । अमर मोहिले का बैकग्राउंड स्कोर शानदार है ।

असीम बजाज की सिनेमेटोग्राफ़ी प्रभावशाली है । कुछ शॉट्स असाधारण रूप से हैंडल किए जाते हैं । हीरोइनों के मामले में अर्चना मिश्रा की वेशभूषा वास्तविक और ग्लैमरस लगती है । नरेंद्र राहुरीकर का प्रोडक्शन डिज़ाइन विस्तृत है । आर पी यादव और पीटर हेन का एक्शन मनोरंजक और भव्य है । एनवाई वीएफएक्सवाला का वीएफएक्स एक अच्छे स्तर का है। कुछ दृश्य अच्छे नहीं थे लेकिन कुल मिलाकर, वीएफएक्स टीम प्रशंसा की पात्र है । धर्मेंद्र शर्मा की एडिटिंग थोड़ी तेज और बेतरतीब है ।

कुल मिलाकर, भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया भारतीय इतिहास से एक अविश्वसनीय कहानी को दर्शाती है । प्रदर्शन बेहतरीन है, सेकेंड हाफ में फ़िल्म का रोमांचक स्तर बढ़ जाता है, और उत्साहित क्लाइमेक्स फ़िल्म का हाई प्वाइंट है । इस पैमाने पर बनी फ़िल्म को सिनेमाघरों में रिलीज होना चाहिए था क्योंकि यह बड़े पैमाने पर बनाए दृश्यों से भरी होती है जो दर्शकों के बीच जबरदस्त क्रेज पैदा करती ।