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शहजादा, एक ऐसे शख्स की कहानी है जो अपने परिवार के लिए लड़ रहा है । 25 साल पहले, बंटू और राज का जन्म एक ही दिन एक ही अस्पताल में हुआ था । राज का जन्म वाल्मीकि (परेश रावल) से हुआ है जबकि बंटू का जन्म रणदीप नंदा (रोनित रॉय) और यशु (मनीषा कोइराला) से हुआ है । वाल्मीकि रणदीप से ईर्ष्या करते हैं क्योंकि दोनों ने एक साथ अपने करियर की शुरुआत की थी । लेकिन रणदीप ने बहुत अमीर आदित्य जिंदल (सचिन खेडेकर) की बेटी यशु से शादी कर ली । इसके चलते रातों-रात रणदीप अमीर हो गया और इसी बात से वाल्मीकि नाराज हो गया । परिस्थितियाँ ऐसी पैदा हुईं कि वाल्मीकि ने बंटू और राज को उनके जन्म के दिन बदल देता है । नतीजतन, वह बंटू को घर ले जाता है, जबकि वाल्मीकि का बेटा राज जिंदल के घर में बड़ा होता है, कोई यह नहीं जानता है कि वह उनके कर्मचारी का बेटा है। वर्तमान समय में, बंटू (कार्तिक आर्यन) जीवन में निराश है क्योंकि वाल्मीकि ने हमेशा उसके साथ बुरा व्यवहार किया है । इस बीच, राज (अंकुर राठी) अपनी डिग्री पूरी करने के बाद विदेश से लौटा है और वाल्मीकि उसे अपने बेटे के रूप में प्यार करते हैं । बंटू समारा (कृति सनोन) द्वारा संचालित एक लॉ फर्म में नौकरी करता है । दोनों प्यार में पड़ जाते हैं । हालाँकि, समारा के पिता (राकेश बेदी), राज के साथ उसकी शादी तय कर देते हैं । बंटू समारा को रणदीप से मिलने और सच सामने लाने की सलाह देता है । उनकी मुलाकात से ठीक पहले, रणदीप पर प्रतिद्वंद्वी विक्रांत (विनय राणा) द्वारा हमला किया जाता है । विक्रांत ऑफिस की लिफ्ट को रोक देता है और सीढ़ी को लॉक कर देता है ताकि रणदीप अस्पताल न पहुंच सके । फिर भी, बंटू रणदीप को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करने और उसकी जान बचाने का प्रबंधन करता है । अस्पताल में, भाग्य के एक झटके से, उसे यह भी पता चलता है कि रणदीप वही है जो उसका असली पिता है । आगे क्या होता है इसके लिए पूरी फ़िल्म देखनी होगी ।

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शहजादा 2020 की तेलुगु ब्लॉकबस्टर ALA Vaikunthapurramuloo (त्रिविक्रम द्वारा लिखित और निर्देशित) की आधिकारिक हिंदी रीमेक है । त्रिविक्रम की कहानी बहुत ही आशाजनक है और एक आदर्श पारिवारिक मनोरंजन बनाती है । रोहित धवन की अनुकूलित पटकथा (त्रिविक्रम द्वारा मूल पटकथा) मज़ेदार है और इसमें कुछ अच्छे भावनात्मक और मज़ेदार क्षण शामिल हैं । हुसैन दलाल के डायलॉग फिल्म की ताकत में से एक हैं ।

रोहित धवन का निर्देशन ठीक है । वह फ़िल्म के स्कैल और मास एलिमेंट्स को अच्छी तरह से हैंडल करते है । वह इमोशनल सींस में भी निराश नहीं करते है । इसके अलावा, उन्होंने ओरिजनल फ़िल्म की पूरी कॉपी-पेस्ट नहीं की है । उन्होंने कुछ दृश्यों को कॉम्पैक्ट बनाया है और 152 मिनट पर अवधि को नियंत्रण में रखा है ।

वहीं उन्होंने ओरिजनल फ़िल्म से कुछ बड़े दृश्यों को नहीं लिया, जिनमें से कुछ बहुत ही यादगार थे । आदर्श रूप से, उन दृश्यों को शहजादा में होना चाहिए था क्योंकि यह फिल्म को दूसरे स्तर पर ले जाते । इसके अलावा, हास्य अधिक हो सकता था क्योंकि फिल्म में हंसी-मजाक का बहुत स्कोप है ।

शहजादा की शुरुआत एक दिलचस्प अस्पताल के दृश्य के साथ होती है जहां बच्चों की अदला-बदली होती है । कार्तिक आर्यन की एंट्री गुंडों से लड़ते हुए हीरो स्टाइल की है । वह दृश्य जहां वह कैफे में समारा के असभ्य ग्राहक से लड़ता है, दिलचस्प है । इंटरमिशन पॉइंट बहुत ही आकर्षक है । इंटरवल के बाद, सड़क पर बंटू और वाल्मीकि की बातचीत बड़े करीने से फिल्म को आगे ले जाती है । बंटू का पहली बार जिंदल मेंशन में प्रवेश यादगार है । राज के दृश्यों को ओरिजनल की तुलना में यहाँ बदल दिया गया है और यह काम करता है । साथ ही इंस्पेक्टर यादव (राजपाल यादव) का सीन और रणदीप और यशु के बीच ब्रेकअप वाला सीन भी काम करता है । क्लाइमेक्स दिल को छू लेने वाला है लेकिन थोड़ा कमज़ोर भी है ।

अभिनय की बात करें तो, कार्तिक आर्यन डैशिंग दिखते हैं और बेहतरीन परफ़ोर्म करने के लिए जी जान लगा देते हैं । वह अपने रोल के लिए उपयुक्त है । उम्मीद के मुताबिक, वह हास्य दृश्यों में बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन जब वह एक्शन करते हैं तो उसे भी नोटिस करने की ज़रूरत है । कृति सेनन तेजस्वी दिखती हैं और शानदार प्रदर्शन करती हैं । अफसोस की बात है, वह सेकेंड हाफ़ में शायद ही नज़र आती हैं । परेश रावल, हमेशा की तरह, भरोसेमंद हैं और एक कठिन भूमिका निभाते हैं । सचिन खेडेकर प्यारे लगते हैं । मनीषा कोइराला ग्रेसफुल हैं लेकिन उन्हें लिमिटेड स्कोप मिलता है । खासकर ब्रेकडाउन सीन में रोनित रॉय ठीक हैं। अंकुर राठी शानदार हैं और ओरिजनल फ़िल्म की तुलना में उनकी भूमिका बहुत बेहतर है । विनय राणा और सनी हिंदुजा (सारंग) खलनायक के रूप में ठीक हैं । राजपाल यादव बहुत मजाकिया हैं और लगता है कि फिल्म में उनके पास करने के लिए और भी कुछ होता । अश्विन मुशरन (कैलाश मामा), अली असगर (अरुण) और कुणाल विजयकर (कैडबरी) पास करने योग्य हैं । देबत्तमा साहा (निशा; बंटू की बहन) और राकेश बेदी बर्बाद हो जाते हैं ।

प्रीतम चक्रवर्ती का संगीत चार्टबस्टर किस्म का है । टाइटल ट्रैक, 'मेरे सवाल का' और 'छेड़खानिया' सभी में सबसे अच्छे हैं । 'मुंडा सोना हूं मैं' और 'कैरेक्टर ढीला 2.0' पिक्चराइजेशन की वजह से ज्यादा काम करते हैं । जूलियस पैकियम का बैकग्राउंड स्कोर उत्साहजनक है । फिल्म का विषय आकर्षक और व्यापक है।

सुदीप चटर्जी और संजय एफ गुप्ता की सिनेमैटोग्राफी उपयुक्त है । गणेश आचार्य और बॉस्को-सीजर की कोरियोग्राफी मनोरंजक है । कार्तिक आर्यन के लिए अकी नरूला की वेशभूषा आकर्षक है और उनके किरदार के अनुरूप है जो एक राजकुमार है लेकिन उस रूप में नहीं रह रहा है । कृति सेनन के लिए तान्या घावरी के कॉस्ट्यूम्स काफी हॉट हैं। 'छेड़खानियां' गाने में एक्ट्रेस खूबसूरत लग रही हैं । सुरेश सेल्वाराजन का प्रोडक्शन डिज़ाइन समृद्ध है । एएनएल अरासु का एक्शन बहुत अच्छा है और हिंसक या रक्तरंजित नहीं है । सिग्नेशिया एनिमेशन और फेमस स्टूडियोज का वीएफएक्स ठीक है । रितेश सोनी की एडिटिंग शार्प है ।

कुल मिलाकर, शहजादा एक फैमिली मास एंटरटेनर है और मजाकिया और इमोशनल पलों , एक्शन दृश्यों और कार्तिक आर्यन के शानदार प्रदर्शन के कारण प्रभावित करती है ।