हाल के समय में बॉलीवुड कई सारी बायोपिक का गवाह बना है, जो कि खेल की हस्तियों पर बनाया गईं । इसकी गवाह हैं भाग मिल्खा भाग (एथलीट मिल्खा सिंह पर आधारित), पान सिंह तोमर (एथलीट से डकैत बने पान सिंह तोमर पर आधारित), मैरीकॉम (बॉक्सर मैरी कॉम पर आधारित) और कई अन्य । इस हफ़्ते बॉक्सऑफ़िस पर रिलीज हुई महेंद्र सिंह धोनी, जो भारत के सबसे सफ़ल और लोकप्रिय क्रिकेटर है, के जीवन पर आधारित बायोपिक एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी । क्या एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी दर्शकों के बीच अपना चार्म बनाए रखेगी और बॉक्सऑफ़िस पर एक बड़ा स्कोर बनाने में कामयाब होगी, आइए समीक्षा करते हैं ।

फॉक्स स्टार स्टूडियोज की फ़िल्म एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी जैसा की फ़िल्म के टाइटल से पता चलता है, ये फ़िल्म महेंद्र सिंह धोनी के जीवन के अनकहे और अज्ञात पहलुओं के बारे में है । फ़िल्म की शुरूआत होती है, 2 अप्रैल, 2011 में भारत और श्रीलंका के बीच हुए आइकॉनिक मैच के साथ । इसके बाद फ़िल्म फ्लैशबैक मे जाती है जहां महेंद्र सिंह धोनी के जीवन को बताते हैं, जो अपने फ़ुटबॉल के जुनून के साथ बड़ा होता है । एक मैच के दौरान जब उसका खेल शिक्षक गोलकीपिंग में उसकी अवगुणरहित प्रतिभा को खोजता है । उनके आग्रह पर, शुरू में अनिच्छुक धोनी, बाद में क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं । जब धोनी को ये पता चलता है कि वह केवल विकेट रखे हुए है और बल्लेबाजी करने का अवसर नहीं मिल रहा है, तब वह एक अवसर पैदा करता है और सभी दिशाओं में गेंद को तोड़मरोड़ करना शुरू करता है, इस प्रकार एक_एक करके सभी को प्राभावित करता है । और फ़िर धीरे-धीरे चीजें धोनी के लिए आगे बढ़ती हैं सरकारी सगंठनों के लिए खेलने

के बाद धोनी खड़गपुर स्टेशन पर टीसी (टिकट कलेक्टर) बन जाते हैं और फ़िर रेलवे के लिए खेलना शुरू करते हैं । जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, धोनी को उनकी नौकरी शारीरिक और मानसिक रूप से थकाती है, और जिसकी वजह से उन्हें क्रिकेट के अभ्यास के लिए सीमित समय मिल पाता है । जब खेल का अभ्यास न करने की हताशा धोनी के दिमाग के चरम में पहुंच जाती है, तब धोनी रेलवे की नौकरी छोड़ देते हैं और वापस घर लौट आते हैं, और जो उनके पिता (अनुपम खेर) को नागवार गुजरता है और गुस्सा दिलाता है । इन सबके बीच, जब धोनी को भारत के लिए खेलने के लिए चयनकर्ताओं से एक कॉल आता है । अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच होने के बावजूद वह मैदान पर अच्छी तरह से नहीं खेलता है । इस दौरान वह प्रियंका (दिशा पटानी) से मिलते हैं जो उनका मनोबल बढ़ाती है और धोनी फ़िर से अपनी फार्म में आते हैं । जैसे ही धोनी की जिंदगी उड़ान भरना शुरू करती है, प्रोफ़ेशनली और पर्सनली, एक ऐसी दुखद घटना होती है जो धोनी को तोड़ कर रख देती है । और इस बार, धोनी की मुलाकात साक्षी (कियारा आडवाणी) से होती है । ऐसी क्या दुखद घटना थी जिसने धोनी को तोड़ कर रख दिया, क्या होता है जब प्रियंका और धोनी के बीच रोमांस फ़लता-फ़ूलता है, साक्षी का धोनी की जिंदगी में क्या रोल है, और किन हालातों में धोनी ने में विश्व कप में अपनी ऐतिहासिक जीत के लिए भारत का नेतृत्व किया, ये सब कुछ फ़िल्म देखकर ही पता चलेगा ।

जब से एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी के प्रोमो रिलीज किए गए तब से दर्शकों के बीच इस फ़िल्म को लेकर जिज्ञासा और भी ज्यादा बढ़ गई । इसका कारण था कि इस फ़िल्म की टैगलाइन, जो थी 'द अनटोल्ड स्टोरी', जिसने दर्शकों से वादा किया था कि वो धोनी की जिंदगी, जिसकी निजी जिंदगी बेहद परदे में रही, के अनकहे राज खोलेगी । इस फ़िल्म ने इस मामले में जरा भी निराश नहीं किया जैसा कि इसने वादा किया था ।

वो तथ्य जो फ़िल्म के पक्ष में काम करता है वो है फ़िल्म का टाइटल जो एकदम सत्य

और सटीक है । ये फ़िल्म धोनी की कोशिशें, पीड़ा, चुनैतियां, असफ़लताएं और अंततः सफलता के बारें में है, वो आदमी जिसने टी-20 वर्ल्ड कप और वन डे वर्ल्ड कप के रूप में देश को दो-दो बड़ी-बड़ी जीत दिलाई । दूसरी बायोपिक के विपरीत, एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी गॉसिप, स्कैंडल और किसी भी तरह की अफ़वाहों से परे हैं । इन सब फील गुड कारकों के कारण दर्शकों का धोनी की जिंदगी को बड़े पर्दे पर देखना और धोनी को और उनकी उपलब्धी को देखना बहुत गर्व महसूस करेंगे । ये फिल्म एक उपेक्षित व्यक्ति की कहानी है जो लाखों लोगों को प्रेरित करेगी ।

इस फिल्म की पटकथा (नीरज पांडे, दिलीप झा) बहुत अच्छी तरह से तैयार की जाती है और प्रेरणादायक है, जो दर्शकों को ठीक शुरूआत से बांधे रखती है । ये फ़िल्म एम एस धोनी के जीवन और जीवनशैली से पूरी तरह न्याय करती है साथ ही इसका स्क्रीनप्ले एक छोटे से शहर से एक अंतर्रास्ट्रीय स्टार बनने के उत्थान को भी सफ़लतापूर्वक दर्शाता है ।

अ वेडनसडे, स्पेशल 26 और बेबी जैसी ब्लॉकबस्टर फ़िल्में देने के बाद हर किसी का निर्देशक नीरज पांडे से उच्च स्तर की उम्मीद लगाना लाजिमी था । निर्देशक सभी उम्मीदों पर खरे उतरते हैं । फ़िल्म के फ़र्स्ट हाफ़ में जहां निर्देशक का बिना किसी गलती वाला निर्देशन देखने को मिलता है, वहीं फ़िल्म के सेकेंड हाफ़ में धोनी की प्रतिभा और टी20 और वर्ल्ड कप मैचों में धोनी की कप्तानी (रोमांटिक एंगल मौजूद होने के बावजूद भी ) हावी रहती है ।

यहां, यह भी कहना चाहिए कि एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी की शुरूआत काफ़ी कमजोर थी । दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, यह 'ए' लिस्टर सितारों से रहित थी यानी इस फ़िल्म में कोई बड़ा स्टार नहीं था, एक सर्वोत्कृष्ट बॉलीवुड मसाला स्क्रिप्ट और आकर्षक संगीत नहीं था । लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये फ़िल्म महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर आधारित थी, बजाए ऊपर उल्लिखित खाली स्थानों के भरने के । उस जगह जहां नीरज पांडे ने छोटे से शहर में जीवन को दिखाया है और कैसे इतने सारे लोगों का धोनी की प्रगति में उनके ठोस समर्थन की पेशकश करना वाकई

बहुत ही मार्मिक है ।

फ़िल्म में ऐसे कई सीन है जो आपके दिल को छू जाते हैं और भावनाओं को झकझोर कर रख देते हैं । उन दृश्यों में से मुख्य दृश्य हैं- धोनी का परिक्षा और मैच अभ्यास के बीच पीसना, रेलवे भर्ती अधिकारी गांगुली का धोनी को गेंदबाजी कराना, अनुपम खेर का निरंतर भयपूर्ण और अपने बेटे के प्रति चिंताग्रस्त होना, धोनी का अपनी प्रेमिका की मौत के बाद सड़क के बीचोंबीच टूटकर गिर जाना, युवराज सिंह के स्टाइलिश किरदार का परिचय कराना और वो सीन जहां धोनी सभी प्रयासों के बावजूद अपनी फ़्लाइट मिस कर देता है । हालांकि फ़िल्म 3 घंटे 10 मिनट लंबी है, लेकिन इसकी बांधे रखने वाली कहानी के कारण ये थकाऊ नहीं लगती ।

अभिनय की बात करें तो, ये फिल्म पूरी तरह से और अकेले सुशांत सिंह राजपूत से संबद्ध है, जिसने फ़िल्म के हर हिस्से में एमएस धोनी को साक्षात उतारा है । हालांकि सुशांत की पिछली फ़िल्म डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी भूल जाने योग्य थी, लेकिन सुशांत सिंह राजपूत ने अब ये सुनिश्चित कर दिया कि एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी में उनका रोल अविस्मरणीय है । फ़िल्म में ऐसा कई जगह आपको लगेगा कि वास्तव में सुशांत सिंह राजपूत एम एस धोनी में तब्दील हो गए हैं और फ़िल्म में एक अभिनेता है जो ये भूमिका निभा रहा है, ऐसा कभी महसूस नहीं होता । कुल मिलाकार कहा जाए तो, फ़िल्म एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी निश्चित रूप से सुशांत के करियर की सर्वश्रेष्ठ भूमिका के रूप में वर्गीकृत की जाएगी । हालांकि दिशा पटानी इस फ़िल्म के साथ बेहतरीन डेब्यू किया है वहीं कियारा आडवाणी फ़िल्म में औसत रहीं । भूमिका चावला फ़िल्म में अच्छी लगीं और इस फ़िल्म के साथ बॉलीवुड में कमबैक करती हैं । दिग्गज अनुपम खेर ने फिल्म में एक असाधारण भूमिका निभाई है । फ़िल्म में ऐसे कई किरदार हैं जिन्होंने बेहतरीन समर्थन दिया है और फ़िल्म को वास्तविक बनाया है । दर्शक इन सबके लिए कास्टिंग निर्देशक को पूरे में से पूरे नंबर देता है ।

हालांकि फिल्म का संगीत (अमाल मलिक, रोचक कोहली) औसत है, वहीं इस फिल्म का बेकग्राउंड स्कोर (संजय चौधरी) बांधे रखने वाला है, विशेष रूप से फिल्म के क्लाइमेक्स के दौरान ।

फिल्म के छायाकार (संतोष थुंडियाली) ने अच्छा काम किया है । फिल्म का संपादन (श्री नारायण सिंह) औसत है ।

एक विशेष उल्लेख फ़िल्म की वीएफ़एक्स टीम के लिए करना चाहिए जिसने फ़िल्म में मैच सीन के दौरान सुशांत के चेहरे पर धोनी की बॉडी लगाने का अच्छा काम किया विशेष रूप से फ़िल्म के सेकेंड हाफ़ में ।

कुल मिलाकार, एम एस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी अपनी आकर्षक कहानी और एक अद्भुत पटकथा के कारण एक लंबा छक्का लगाती है । एक ऐसे देश में जहां बॉलीवुड और क्रिकेट धर्म हैं, ये फ़िल्म बॉक्सऑफ़िस पर करिश्मा दिखाने के साथ नए रिकॉर्ड भी कायम करेगी । दुनिया में कुछ भी करने के लिए इस फ़िल्म को मत मिस मत किजिए । आउटस्टेंडिंग ।