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हेट स्टोरी एक सफ़ल फ़्रैंचाइजी रही है और हेट स्टोरी 3 ने तो बॉक्सऑफ़िस पर जबरदस्त कमाई की थी । और अब आई है इस फ़िल्म की चौथी किश्त, हेट स्टोरी IV, जो आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई है । तो क्या यह फ़िल्म अपने पुराने भागों की तरह दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब होंगी ? या हाल ही में आई एडल्ट फ़िल्मों की तरह धराशायी हो जाएंग़ी, आइए समीक्षा करते हैं ।

फ़िल्म समीक्षा : हेट स्टोरी IV

हेट स्टोरी IV, एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो दो भाइयों के बीच दरार का कारण बनती है । ताशा (उर्वशी रौतेला) एक अभिनेत्री बनना चाहती हैं लेकिन उसे सफ़लता नहीं मिल पाती है । लेकिन एक दिन जब वह राजवीर (करन वाही), जो पेशे से एक फ़ोटोग्राफ़र है साथ ही औरतों का शोकीन है, से मिलती हैं तो उसकी किस्मत पलटा खाती है । वह ताशा के ग्लैमर से आकर्षित हो जाता है और उसे अपने भाई आर्यन (विवान भतेना) और उसकी प्रेमिका व बिजनेस पार्टनर ऋषमा (इहाना ढिल्लो), जो अपने कॉस्मेटिक ब्रांड के लिए एक नए चेहरे की तलाश कर रहे होते हैं, से उसकी सिफ़ारिश करता है । ताशा उनकी कंपनी ज्वांइन कर लेती है और काफ़ी फ़ेमस हो जाती है । आर्यन और राजवीर, दोनो ही ताशा पर लट्टू हो जाते हैं और उसके करीब आने की कोशिश करते है । इसी बीच, उनके पिता विक्रम खुराना (गुलशन ग्रोवर) जो लंदन महापौर चुनावों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं, अपने दोनों बेटों को सलाह देते हैं कि वे ऐसा कुछ भी गलत न करें जो उनकी जीत की संभावनाओं में आड़े आए । बात तब बिगड़ने लगती है जब ताशा आर्यन और राजवीर, दोनों के साथ जुड़ने लगती है । इसी दौरान एक रहस्यमयी ब्लैकमेलर भी उभरकर सामने आता है, जिसके पास हत्याओं सहित सभी काले कारनामों के फोटो वाले सबूत है । इसके आगे क्या होता है, यह बाकी की फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है ।

हेट स्टोरी IV, साजिशभरे ओपनिंग क्रेडिट के साथ शुरूआत होती है और यह काफी अच्छी तरह से किया जाता है । फ़र्स्ट सीक्वंस अप्रत्याशित है क्योंकि फ़िल्म बीच में से शुरू होती है और फ़िर कहानी फ़्लैशबैक मोड में चली जाती है । हालिया रीलिज हुई कामुक फिल्मों में से कुछ विफल रही, क्योंकि उनके पास सेक्स का पर्याप्त डोज नहीं था जो प्रोमो में उन्होंने दिखाया था । लेकिन इस मामले में हेट स्टोरी IV एक अपवाद है । यह फ़िल्म पर्याप्त हॉट सीन व रोमांच से लबरेज है और जो लक्षित दर्शकों को उनके पैसे की कीमत देती है । कई सारे ट्विस्ट एंड टर्न के बावजूद, फ़िल्म की कहानी सरल है । इसके अलावा, सभी अंग्रेजी संवादों के दौरान हिंदी सब-टाइटल दिखाए गए हैं । इन प्रयासों से पता चलता है कि निर्माता यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि बी और सी केंद्रों में मौजूद दर्शक पूरी फिल्म का आनंद ले सकें ।

समीर अरोड़ा की कहानी थोड़ी कमजोर है और एक मोड़ पर कई सारे ट्विस्ट एंड टर्न में बदल जाती है । लेकिन समीर अरोड़ा और विशाल पंड्या की पटकथा सरल और कारगर है, हालांकि यह फ़िल्म की कहानी में कुछ खामियों को बड़े करीने से छिपाने में नाकाम रही है । मिलाप मिलान जवेरी के संवाद आकर्षक और बड़े हैं । लेकिन व्यावहारिक रूप से हर वाक्य में पंचलाइन होना उचित नहीं है । विशाल पंड्या का निर्देशन अच्छा है । वह यह सुनिश्चित करते हैं कि फिल्म एक पूरी कमर्शियल फ़िल्म के रूप में सामने आए ।

अभिनय की बात करें तो, निश्चितरूप से उर्वशी रौतेला फ़िल्म में उत्तेजक लगती हैं और यह बहुत अच्छी तरह से सामने आता है । यहां तक कि प्रदर्शन के मामले में भी, वह अच्छे और बुरे दोनों कामुक किरदारों को बखूबी निभाती हैं । करन वाही काफ़ी डेशिंग लगते हैं और अच्छा प्रदर्शन करते हैं । विवान भतेना की एक छोटी सी भूमिका है और वह अपने किरदार को उसकी जरूरत के अनुसार बखूबी निभाते हैं । इहाना ढिल्लन की स्क्रीन पर मौजूदगी सीमित है लेकिन वह इसके साथ न्याय करती हैं । गुलशन ग्रोवर काफी मनोरंजक प्रदर्शन देते हैं । टीया वाजपेयी (भावना) और शाद रंधवा (अश्विन चौधरी) स्पेशल रोल में जंचते हैं । मोहित छाबड़ा (रॉन) और रीता सिद्दीकी (मोनिका) औसत हैं ।

हेट स्टोरी IV का संगीत फ़िल्म की कहानी के साथ अच्छे से गूंथा हुआ है । 'आशिक बनाया आपने' सभी गानों में सबसे अच्छा है । 'बूंद बूंद में', 'बदनामियां' और 'तुम मेरे हो' ठीक-ठाक है और इन सभी गीतों में अंतरंग दृश्यों की भरमार है । दुख की बात है 'मोहब्बत नशा है' बेकार हो जाता है । सनी बावरा और इंदर बावरा का पृष्ठभूमि स्कोर काफी उत्साहजनक है और फ़िल्म में ड्रामे और रोमांच को जोड़ता है । सुनीता राडिया की सिनेमेटोग्राफी साफ है और फिल्म को इंग्लैंड के कुछ खूबसूरत जगहों और घरों में शूट किया गया है । मनीष मोरे का संपादन आकर्षक है, जबकि नीषा शर्मा और श्यामली अरोड़ा की वेशभूषा काफी ग्लैमरस है, खासकर लड़कियों द्वारा पहनी गई ड्रेस ।

कुल मिलाकर, हेट स्टोरी IV अंतरंगता और रोमांच, जो इस सीरिज की सफ़लता का मुख्य कारण थे, के मामले में न्याय करती है । बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म निर्माताओं के निवेश और रिटर्न पर विचार करने के लिए एक सुरक्षित शर्त साबित होगी ।