भारतीय लेखक चेतन भगत की लगभग हर पुस्तक को एक फीचर फिल्म में बदल दिया गया है और इस तरह यह एक प्रकार का ट्रेंड बन गया है । जबरदस्त सफ़ल रही 2 स्टेट्स, जिसमें अर्जुन कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई थी, के बाद एक बार फ़िर चेतन भगत ने अर्जुन कपूर के साथ बनाई हाफ़ गर्लफ़्रेंड । इस हफ़्ते रिलीज हुई फ़िल्म हाफ़ गर्लफ़्रेंड एक रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म है लेकिन इस बार यह विषय युवा संबंधों की बदलती परिभाषा से संबंधित है । क्या यह फ़िल्म दोनों की सफलता को बरकरार रखेगी या यह उन उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाएगी, आइए समीक्षा करते हैं ।

फ़िल्म की शुरुआत होती है हिंदी मीडियम से पढ़े माधव झा (अर्जुन कपूर) के दिल्ली में स्थित प्रतिष्ठित सेंट स्टीवसं कॉलेज में दाखिला लेने से जहां उसकी मुलाकात अंगेजी बोलने वाली मोर्डन लड़की रिया सोमानी (श्रद्दा कपूर) से होती है । कॉलेज के दिनों के दौरान दोनों की बॉंडिंग बास्केटबॉल खेलते समय और दिल्ली की गलियों में घूमने के दौरान गहराती है और माधव उसके प्यार में गिरफ़्त हो जाता जबकि उसका दोस्त शैलेश (विक्रांत मैसी) उसे लगातार इस मामले में चेतावनी देता है । जब वह रिया के सामने अपनी फ़ीलिंग्स शेयर करता है, तो रिया उस दोस्ती को एक कदम आगे ले जाने का फ़ैसला करती है लेकिन वह इस रिश्ते को एक नाम देने से डरती है इसलिए वह माधव की 'हाफ़ गर्लफ़्रेंड' बनने का फ़ैसला करती है । फ़िर एक दिन दोनों के बीच हुए एक विवाद के बाद, रिया अचानक माधव के हाथ में अपनी शादी का कार्ड थमा देती है । रिया अपने बचपन के दोस्त रोहन के साथ शादी करती है । रिया की शादी की खबर माधव को हिलाकर रख देती है और फ़िर वह अपने होम टाउन बिहार वापस जाने का फ़ैसला करता है जहां जाकर वह अपने मां के स्कूल में सुविधाओं को बढ़ाने का काम हाथ में लेता है । एक बार फ़िर माधव की मुलाकत रिया से होती है, जो अब एक तलाकशुदा है, और रिया माधव की मदद करती है लेकिन अचानक फ़िर से उसकी जिंदगी से गायब हो जाती

है और पीछे छोड़ जाती है अपने प्यार का इकरारनामे भरा खत । उसके द्दारा बार-बार ये करने के बाद, माधव उसे ढूंढ पाने में नाकाम होता है और हार मानकर न्यू यॉर्क जाने का फ़ैसला करता है क्योंकि रिया ने एक बाद उससे कहा था कि उसका न्यूयॉर्क जाकर लाइव सिंगर बनने का सपना है । एक बार फिर प्यार से डूबा हुआ माधव उसे न्यूयॉर्क में हमेशा अपने साथ रखने के लिए खोजता है । क्या वह अपने इस काम में सफ़ल हो पाता है और क्या उसे सच्चा प्यार मिल पाता है, यह सब फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलता है ।

आधुनिक संबंधों को फिर से परिभाषित करने के लिए, हाफ़ गर्लफ़्रेंड ऐसे कॉंसेप्ट या ऐसे रिश्ते को खंगालने की कोशिश करती है जो अपने आप में उलझा हुआ है । इसके अलावा, 2 स्टेट्स, जो अलग-अलग समुदायों को पारिभाषित करती है, के विपरित इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट अधपकी सी लगती है । भले ही फ़िल्म के मेकर्स ने इस फ़िल्म को रोमांटिक ड्रामा होने का दावा किया, लेकिन हम आपको बताते हैं कि फ़िल्म के अंत तक भी 'हाफ़ गर्लफ़्रेंड' का मतलब साफ़ नहीं हो पाता है ।

इसके अलावा, तुषार हीरानंदानी द्वारा लिखी गई पटकथा युवा भारतीय दर्शकों के लिए बहुत ओवर ड्रामेटिक अंदाज में दिखाई गई है और यह फिल्म का सबसे बड़ा दोष है । फ़िल्म की पटकथा दर्शकों को बांधे रखने में नाकाम होती है । हालांकि जैसे-जैसे फ़िल्म की कहानी आगे बढ़ती है, एडल्ट रोमांस, लीड किरदारों के बीच रोमांस दिखाना असरददायक और मनोरंजक नहीं होता है और यह दर्शकों को बांध नहीं पाती है जितना बांधना चाहिए । फिल्म में शायद ही ऐसे कोई दृश्य है जो एक भावनात्मक संबंध स्थापित करते हैं या आपके दिल को छूते हैं ।

स्क्रीन पर प्रदर्शित होने वाले अधिकांश ड्रामा अनुमान के बारे में है । उदाहरण के तौर पर, जब रिया अपनी असफ़ल शादी के बारें में बात करती है, यह दो किरदारों के बीच बातचीत अधिक है । यह कुछ हद तक किरदारों और उनके इमोशंस के साथ दर्शकों को डिस्कनेक्ट सा महसूस करती है । मुख्य किरदारों में गहराई की कमी है । साथ ही, किरदारों की समस्या से भरी जिंदगी परेशान करती है ।

एक विलेन, आशिकी 2 जैसी फ़िल्मों को बनाने के बाद, यहां मोहित सूरी पूरी तरह से इस विषय पर अपनी पकड़ खो देते है । असल में यह कहना गलत नहीं होगा कि फ़िल्ममेकर ने इस कहानी के साथ जरा सा भी न्याय नहीं किया है । असल में, फ़िल्म में ऐसे कई सीन ऐसे हैं जो हमें 90 के दशक के मेलोड्रामा और फ़्लॉप फ़िल्म हमारी अधूरी कहानी की याद दिलाते हैं ।

फ़िल्म का सेकेंड हाफ़ जबरदस्ती का खींचा हुआ लगता है, विशेषरूप से क्लाइमेक्स की ओर । फ़िल्म की अवधि 135 मिनट है, इस तथ्य के बावजूद फ़िल्म की कार्यवाही आपके धैर्य का टेस्ट लेती है और इसलिए वांछित प्रभाव पैदा करने में विफल रहती है । फ़िल्म की कमी को और बढ़ाते हैं वो हैं फ़िल्म के कुछ अविश्वसनीय दृश्य जैसे बिल गेट्स वाला सीन । भले ही वीएफएक्स टीम ने फिल्म में स्पेशल इफ़ेक्ट्स के जरिए बिल गेट्स की उपस्थिति को दिखाने का प्रयास किया है, लेकिन वे इसमें बुरी तरह से नाकाम होते हैं, इतने की, कुछ दिल को छू लेने वाले दृश्य भी तुच्छ कॉमिक सीन के जैसे जान पड़ते हैं ।

चूंकि यह फ़िल्म एक रोमांस शैली के अंतर्गत आती है, इसलिए यह पूरी तरह से अर्जुन कपूर और श्रद्दा कपूर के कंधों पर ही विराजमान होती है । हालांकि, फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा, उनकी कैमेस्ट्री या इसका अभाव, फिल्म के सबसे निराशाजनक पहलुओं में से एक है ।

अभिनय की बात करें तो, अर्जुन कपूर एक बिहारी लड़के के रूप में जंचते हैं लेकिन दोषपूर्ण स्क्रिप्ट और पटकथा के कारण, उन्हें परफ़ोर्म करने को बहुत कम मिलता है और उनके भाव भी सीमित हैं । श्रद्दा कपूर अपने किरदार, जो कि एक बास्केटबॉल खिलाड़ी भी है और सिंगर भी, के बीच उलझ कर रह जाती है । उनकी लिप-सिकिंग ऑफ़ ट्रेक है, उनकी आवाज में एक मजबूत अंतर्विरोध झलकता है जब वह यानी रिया अंग्रेजी गाना गाती हैं और हिंदी गाना गाती हैं । वहीं दूसरी तरफ़, विक्रांत मेसी शैलेश के रूप में अच्छा काम कर जाते हैं और बाकी के किरदार जैसे सीमा विश्वास व अन्य फ़िल्म को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं ।

मोहित सूरी की फ़िल्में उनके गानों को लिए जानी जाती हैं लेकिन ऐसा लगता है कि हाफ़ गर्लफ़्रेंड में मधुर संगीत की कमी है । 'बारिश' गाना चार्टबस्टर लिस्ट में जगह बनाने

की कोशिश करता है, बाकी का संगीत स्थितिजन्य है । मिथून, ऋषि रिच, फरहान सईद, तनिष्क बागची, राजू सिंह जैसे पांच संगीतकारों के होने बावजूद संगीत काफी निराशाजनक है । 'फ़िर भी तुमको चाहूंगा' और 'थोड़ी देर' के साथ इसका इंग्लिश वर्जन लगातार फ़िल्म में बैकग्राउंड स्कोर की तरह इस्तेमाल किए गए हैं, जो एक समय आकर परेशान करने लगते हैं ।

ईशिता मोइत्रा द्वारा लिखे गए डायलॉग बेहद नाटकीय हैं और बॉलीवुड के लिए भी बहुत फिल्मी हैं । देवेन्द्र मुर्देश्वर का संपादन और भी मजेदार बन सकता था क्योंकि इसमें ऐसे कई दृश्य थे जो हटाए जा सकते थे । सिनेमेटोग्राफर विष्णु राव स्थिति को सुधारने के लिए कुछ भी नहीं करते हैं ।

कुल मिलाकर, हाफ़ गर्लफ़्रेंड सिनेमाई काम के अत्यधिक नाटकीय पीस के रूप में सामने आती है जो कि वांछित प्रभाव पैदा करने में असफ़ल रहती है । बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म ओपनिंग वीकेंड के बाद बनी रहने में काफ़ी संघर्ष करेगी ।

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