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बॉलीवुड में कई सारी कॉमेडी फ़िल्में बनी हैं, लेकिन हॉरर कॉमेडी जैसी शैली की फ़िल्में बॉलीवुड में बमुश्किल ही बनाई गई है । भूल भूलैया एक ऐसा दुर्लभ प्रयास था और जिसे काफ़ी पसंद किया गया । हाल ही में, ग्रेट ग्रांड मस्ती हॉरर के साथ कुछ इसी तरह की फ़िल्म थी लेकिन यह हॉरर कॉमेडी से ज्यादा सेक्स कॉमेडी ज्यादा नजर आई । तूतक तूतक तूतिया को भी, खराब मार्केटिंग कैम्पेन की वजह से जागरूकता नहीं मिली और उम्मीद के मुताबिक बुरी तरह से पिट गई । और अब गोलमाल अगेन के मेकर्स ने दर्शकों को हंसाने और हॉरर के कॉम्बो को देने की चुनौती को लिया है । तो क्या यह दर्शकों को मजा दे पाती है ? या यह प्रभावित करने में नाकाम हो जाएगी ? आइए समीक्षा करते हैं ।

गोलमाल अगेन, पांच दोस्तों की कहानी है जिनका अजीबो-गरीब घटनओं से सामना होता है जब वह अपने अनाथालय जाते हैं । गोपाल (अजय देवगन), माधव (अरशद वारसी), लकी (तुषार कपूर), लक्ष्मण प्रसाद आपटे (श्रेयस तलपड़े) और लक्ष्मण शर्मा (कुणाल खेमु) अनाथ हैं जो जमनादास (उदय टिकेकर) के स्वामित्व वाले एक अनाथालय में बड़े हुए थे। बच्चों के रूप में, वे एक दूसरे के करीब थे लेकिन फिर वे प्रतिद्वंद्वियों बन गए । गोपाल और लक्ष्मण प्रसाद आपटे अलग हो गए जबकि माधव, लकी और लक्ष्मण शर्मा अपने रास्ते चले गए। जब वे सब बड़े हुए, तो वे भूमाफ़िया के साथ काम करना शुरू कर देते हैं और उनकी नौकरी जमीनों को खाली करने के इर्द-गिर्द घूमती है ।

यह उनके बीच और खटास पैदा करता है । लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि जमनादास मर गया है तो वे अपने मतभेदों को भूलाते हुए उनके सम्मान में उस अनाथालय में एक साथ जाने का फ़ैसला करते हैं । वे कर्नल चौहान (सचिन खेडेकर) बंगले में रहते हैं, जो जमनादास अनाथालय के पास स्थित है, जहां उनके बचपन की मित्र अन्ना (तब्बू) भी रहती हैं। अन्ना के पास एक विशेष शक्ति है -और वो कि वह मृतकों के साथ बात कर सकती है । कर्नल के बंगले में, गोपाल, केयरटेकर दमिनी (परिणीति चोपड़ा) की ओर आकर्षित हो जाता है । इसी बीच, वसु रेड्डी (प्रकाश राज) जो एक बिल्डर है और जमनादास का करीबी दोस्त हैं, ऐलान करता है कि जमनादास ने उन्हें जमीन सौंप दी थी जहां अनाथालय स्थित है । वह यह भी कहता है कि उसने बच्चों को बेंगलुरू में स्थानांतरित करने का फैसला किया है जहां वे उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान करेंगे। गोपाल भूत भयभीत व्यक्ति हैं और वह जजमनादास की मृत बेटी (अश्विनी कालसेकर) की आत्मा को देखना शुरू करता हैं। हालांकि सच कुछ और ही होता है जब पांचों दोस्त पता लगाते हैं, और यह उन्हें हैरान कर देता है । वो सच आखिरी क्या होता है, और आगे फ़िल्ममें क्या होता है, यह जानने के लिए पूरी फ़िल्म देखनी होगी ।

गोलमाल अगेन, पिछली गोलमाल फ़िल्मों से काफ़ी अलग है, न केवल हॉरर एलिमेंट्स की वजह से । इस फ़िल्म में कहीं ज्यादा ड्रामा है, भावुक पल हैं जो उम्मीद करेंगे । हालांकि यह कमोवेश काम करता है, हालांकि कुछ दृश्यों में पंचेज की कमी होती है, खासकर दूसरे घंटे में । फ़िल्म का फ़र्स्ट हाफ़ घंटे 1.30 लंबा है और इसमें कॉमेडी, पागलपन और हॉरर सब कुछ थोड़ा-थोड़ा शामिल है। फ़िल्म के उच्च श्रेणी के सीन में से एक है कि गोपाल, लक्ष्मण और लकी कैसे भूतग्रस्त हो जाते हैं और नाना पाटेकर की तरह बोलना शुरू करते हैं । यह निश्चित रूप से आपको हंसा-हंसा कर लोटपोट कर देगा । और भी सीन मजेदार हैं जहां पांचों दोस्त समोसा के लिए एक दूसरे से लड़ते है । लेकिन सबसे बेहतरीन इंटरवल के दौरान आता है- और यहां से फ़िल्म अलग स्तर पर पहुंच जाती है । सेकेंड हाफ़ थोड़ा सीरियस हो जाता है हालांकि पांडु (व्रजेसश हीरजी) का सीन हंसाता है । क्लाइमेक्स काफ़ी अच्छी तरह से संभाला गया है लेकिन दर्शकों के कुछ और ही विचार हो सकते हैं क्योंकि दर्शक थिएटर में इस तरह की फ़िल्मों को लेकर सिर्फ़ और सिर्फ़ कॉमेडी सोचकर ही घुसते हैं जिसमें सिर्फ़ मजाक मस्ती हो, न की कुछ सीरियस ।

रोहित शेट्टी की कहानी दिलचस्प है और बहुत सारे किरदारों के कारण थोड़ी जटिल है । लेकिन सभी को बहुत अच्छी तरह से पिरोया गया है । यूनुस साजवल की पटकथा इस जटिल कहानी को न्याय देती है । फ़िल्म का हॉरर दर्शकों को नहीं डराएगा । लेकिन इतना है कि, कामचलाऊ या कहे शौकिया भी नहीं है । इनके बीच यह संतुलन बनाए रखता है जो निश्चित रूप से प्रशंसनीय है । हालांकि, पिछले गोलमाल फिल्मों से कुछ दृश्यों को लिया जाता है, विशेष रूप से गोलमाल 3, हालांकि कुछ दर्शकों को यह पसंद नहीं आता है, क्योंकि चुटकुले दोहराए जातेद हैं ।फ़रहाद-साजिद के डायलॉग्स मजेदार हैं और हंसी लाते हैं । लेकिन हैरानी की बात है, कुछ जगहों पर यह बिखर जाते हैं । यह विशेष रूप से बबली (संजय मिश्रा) के शुरुआती हिस्सों में ज्यादा फ़ील होता है । रोहित शेट्टी का निर्देशन दिलचस्प है और यह देखना अच्छा लगता है कि वह कुछ अलग करने की कोशिश कर रहे है । सेकेंड हाफ़ में फ़्लैशबैक सीन पर ध्यान दें, जब मुख्य किरदार मार दिया जाता है और यह काले और सफेद रंग में दिखाया गया है । वहीं एक और सीन, जहां लकी, माधव और दो लक्ष्मण डायरी पढ़ रहे हैं जबकि गोपाल गुड़ों से लड़ रहा है । यह सीन काफ़ी अच्छी तरह से फ़िल्माए गए हैं और दर्शाते हैं कि रोहित काफ़ी विकसीत हुए हैं ।

अजय देवगन शानदार प्रदर्शन करते हैं और वह काम करता है, हालांकि ऐसा कुछ नहीं है जो उन्होंने पहले न किया हो । वह सेकेंड हाफ़ में कुछ ड्रामे वाले सीन में काफ़ी जंचते हैं । पहले सीन से ही परिणीति चोपड़ा का एक महत्वपूर्ण किरदार और, उनके किरदार के इर्द-गिर्द रहस्य क्रिएट करता है जो काफ़ी मजेदार है। वह सुंदर दिखती है और अच्छा काम करती है । अरशद वारसी अपने दुष्ट अवतार में काफी जंचते है । तुषार कपूर अपने मूक एक्ट के साथ प्रभावित कर जाते हैं और जैसा कि ऊपर कहा गया है, वह उस सीन में जहां वह भूतग्रस्त हो जातें हैं, दिल जीत लेते हैं । श्रेयस तलपड़े ने अपनी तुतलाहट से एक छाप छोड़ जाते हैं जो कई जगह हंसाने में योगदान देती है । कुणाल खेमु भीड़ में कुछ खो से जाते हैं, लेकिन फिर भी, उन्हें अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है। तब्बू को संयमित किया जाता है और वह अपने सयंत अभिनय को बखूबी निभाती है । नील नितिन मुकेश अपने नेगेटिव हिस्से में बहुत जंचते है। यह रोल उन पर बहुत अच्छी तरह से सूट होता है । प्रकाश राज ख़ुलनायक का किरदार बखूबी निभाते हैं और उनकी कॉमिक टाइमिंग शानदार है। एक सीन जहां वह एक पागलपन की तरह नृत्य करते हैं, वो निश्चित रूप से आपको अच्छा लगेगा । जॉनी लीवर भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं और मनोरंजन बढ़ाते हैं । जमनादास की तेरहवीं के दौरान उनकी स्पीच बहुत ही मजेदार है। संजय मिश्रा मजेदार है लेकिन कुछ जगहों पर ही । व्रजेश हीरजी अपना एक्ट दोहराते हैं लेकिन वो ठीक है । मुकेश तिवारी, अश्विनी कलासेकर, मुरली शर्मा, सचिन खेडेकर, उदय टिकेकर और विजय पाटकर अपने कैमियो के प्रदर्शन में अच्छे हैं।

फिल्म का संगीत कड़ाई से औसत है । शीर्षक ट्रैक रोमांचक है और उसी तरह से 'मैंने तुझ को देखा' गाना भी काम करता है। 'हम नाही सुधरेंगे' अच्छा है जबकि 'इतना सन्नाटा क्यों है' अंत में क्रेडिट के दौरान बजता है। अमर मोहिले का पृष्ठभूमि स्कोर खासकर अंतराल के बाद के दृश्यों में जान डाल देता है। बंटी नेगी का संपादन कुछ विशेष नहीं है, जोमॉन टी जॉन का छायांकन संतोषजनक है। सुनील रॉड्रग्स के एक्शन और रोहित शेट्टी के एक्शन डिजाइन दिल जीत लेती है हालांकि इनमें नयापन कुछ भी नहीं है । रोहित शेट्टी की पहले की फ़िल्मों में यह सब देखा जा चुका है । इसके अलावा रोहित की फ़िल्मों के कार उड़ाने वाले और विस्फ़ोट सीन, इस फ़िल्म से नदारद हैं । स्वप्निल भालेराव, ताजमुल शेख और मधुर माधवन की प्रोडक्शन डिज़ाइन बहुत अच्छी तरह से की गई है और ध्यान देने योग्य है। एन वाई वीएफएक्सवाल के विजुअल इफ़ैक्ट्स प्रभावपूर्ण हैं।

कुल मिलाकर, गोलमाल अगेन एक आदर्श मजेदार फ़िल्म है जो बिना किसी तर्क के पर्याप्त मनोरंजन देती है । पूरी तरह से मनोरंजक फ़िल्म, जो फ़ेस्टिव मूड को निश्चितरूप से बढ़ा देगी । बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म, एक हिट फ़िल्म के रूप में उभरती है, हालांकि फिल्म का वास्तविक परीक्षण सोमवार से शुरू हो जाएगा ।