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यह साल सीक्वल फ़िल्मों के नाम रहा । और इस साल सीक्वल फ़िल्मों की सूची में शामिल हैं ये फ़िल्में- तेरे बिन लादेन: डेड ऑर अलाइव, हाउसफ़ुल 3, रॉक ऑन 2, क्या कूल हैं हम 3, घायल वंस अगेन, राज रीबूट और एमएसजी : द वॉरियर लाइन हार्ट और विद्या बालन अभिनीत आगामी फ़िल्म कहानी 2 । इतना काफ़ी नहीं था कि इस हफ़्ते फ़िल्म तुम बिन 2, जो कि साल 2001 में आई हिट फ़िल्म तुम बिन का सीक्वल है, के साथ रिलीज हो गई फ़ोर्स 2 । क्या फ़ोर्स 2 बॉक्सऑफ़िस खिड़की पर दर्शकों की भीड़ को खींच पाएगी या धराशाही हो जाएगी, आइए समीक्षा करते हैं ।

फ़ोर्स 2 पूरी तरह से रॉ एजेंट और पुलिस के बीच की एक एक्शन ड्रामा फ़िल्म है, जिसमें दोनों एक ही मिशन से जुड़े हुए हैं लेकिन अलग-अलग मकसद से । फ़िल्म की शुरूआत होती है चीन में तीन महत्वपूर्ण भारतीय रॉ एजेंट की हत्याओं की एक श्रृंखला के साथ । यह हत्याएं न केवल इंडियन रॉ विंग को शॉक करतीं हैं बल्कि इस अपराध में शामिल संदिग्धों के बारें में उनमें खलबली मचा देती है और फ़िर उनका एजेंडा हत्याओं के पीछे छिपे राज का पता लगाना होता है । इन सब के बीच, उन्हें पता चलता है कि इन सबके पीछे बुडापेस्ट दूतावास में एक खबरी (मुखबिर / खबर का रिसाव) का हाथ है, जो चीनी सरकार को सभी महत्वपूर्ण जानकारी लीक कर रहा है और वो ये क्यों कर रहा है ये सिर्फ़ उसे ही पता है । इस खबरी का पर्दाफ़ाश करने के लिए रॉ के अधिकारी कमलजीत कौर उर्फ केके (सोनाक्षी सिन्हा) को ये काम सौंपते हैं । वह रॉ की एजेंट बन जाती है और इस दौरान वह मुंबई पुलिस विभाग के कठोर पुलिस ऑफ़िसर यशवर्धन उर्फ यश (जॉन अब्राहम) से जुड़ जाती है । यशवर्धन अपने सबसे अच्छे दोस्त (फ्रेडी दारुवाला), जो मारे

गए तीन प्रमुख रॉ एजेंट में से एक था, की मौत का बदला लेना चाहता है, और इसलिए वह उस मिशन में केके के साथ जुड़ता है । अपने मिशन के बीच, उस खबरी का पता लगाने के लिए, यश और केके के द्दारा किए गए कई सारे कठिन कार्यों के बीच, उस खबरी का पर्दाफ़ाश करना बहुत मुश्किल हो जाता है । तभी, जब यश और केके को लगता है कि उन्होंने इस केस को सुलझा लिया है एक ऐसी हिला देने वाली वारदात हो जाती है जो उस सुलझा लिए गए रहस्यों की संभावना को बंद कर देती है । यश और केके को हिला देने वाली वो ऐसी कौनसी घटना थी, ऐसी क्या चीज थी जो यश और केके की नजरों से बच जाती है और वो ही आगे चलकर एक मिस्ट्री बना देती है और वो कैसे इस रहस्य को सुलझाएंगे,

जब फ़ोर्स 2 के प्रोमो रिलीज हुए थे, तो उसमें वादे के अनुरूप रोमांचक एक्शन सीन की झलक देखने को मिली । और उस पहलू में, फ़ोर्स 2 आपको जरा भी निराश नहीं करती है । अब तक अनेक फ़िल्मों में चूहे-बिल्ली का पीछा करने वाला गेम देखने को मिला है, यहां भी ऐसा महसूस किया जाता है कि फ़ोर्स 2 की कहानी (परवेज शेख, जसमीत क्लीन) में कुछ भी नयापन नहीं है । लेकिन जो फ़ोर्स 2 को बाकी की फ़िल्मों से अलग बनाता है वो इसके अनपेक्षित ट्विस्ट एंड टर्न और वो भी अप्रत्याशित मोड़ पर । यही ट्विस्ट एंड टर्न अंत तक दर्शकों को फ़िल्म से तल्लीनता के साथ बांधे रखते हैं । फोर्स 2 की पटकथा (परवेज शेख, जसमीत क्लीन), दर्शकों को उनकी सीट से चिपकने के अलावा यह सुनिश्चित करती है कि फ़िल्म में एक भी जगह नीरस पल नहीं है । हालांकि फ़िल्म में रोमांस और संगीत, जो कि मसाला फ़िल्मों का अहम हिस्सा होता है, की कमी है । फ़िल्म का क्लाइमेक्स और भी दिलचस्प हो सकता था ।

जहां, फ़िल्म फ़ोर्स निशिकांत कामथ द्दारा निर्देशित की गई थी वहीं फ़ोर्स 2 अभिनय दियो ने निर्देशित की है । देली बेली से निर्देशन के क्षेत्र में उतरे और फ़िर गेम और उसके बाद 24 सीरिज को निर्देशित करने के बाद अभिनय दियो निश्चित रूप से थ्रिलर

फ़िल्म के लिए कोई नए नहीं हैं । फ़ोर्स की विरासत को आगे ले जाने में न्याय करने के अलावा अभिनय ने फ़ोर्स 2 में अपनी विशिष्टता को भी उडेला है । फ़िल्म फ़र्स्ट हाफ़ में ही अपने रोमांचक एक्शन सीन के साथ रफ़्तार पकड़ लेती है जो इंटरवल तक बरकरार रहती है । लेकिन सेकेंड हाफ़ में यह अपनी रफ़्तार खो देती है । लेकिन कुल मिलाकर फ़िल्म तेज रफ़्तार से दौड़ती है और एक भी नीरस क्षण देखने को नहीं मिलता जिसे देखकर आपको नींद आ जाए । फ़ोर्स 2 के निर्देशक के रूप में अभिनय ने शानदार काम किया है और 2 घंटे की फ़िल्म में बिना किसी स्क्रीन टाइम की बर्बादी के कसाव साफ़तौर पर देखा जा सकता है । हालांकि फ़ोर्स 2 के सभी सीन बहुत ही आनंददायक है लेकिन कुछ ऐसे चुनिंदा सीन है जिन्हें किसी भी कीमत पर मिस मत किजिए और वो हैं-जॉन का परिचय सीन, फ़िल्म के फ़र्स्ट हाफ़ के दौरान पीछा करने वाला सीन, फ़िल्म का मध्यांतर पल, और फ़िल्म का अप्रत्याशित रहस्य (जो एक आकस्मिक घटना के रूप में आती है ) जो पूरी तरह से फिल्म की दिशा में बदलाव ला देता है ।

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अभिनय की बात करें तो, यह फिल्म पूरी तरह से जॉन अब्राहम के मजबूत कंधों पर विराजमान है । हाल ही में रिलीज हुई एक्शन पैक्ड फ़िल्म ढिशूम की सफ़लता के बाद जॉन अब्राहिम फ़ोर्स 2 में एक बार फ़िर एक्शन से भरपूर प्रदर्शन करते हैं । फ़ोर्स 2 में जॉन का रोल, बिल्कुल उन्हीं के अनुरूप नजर आता है, जो, अब एक एक्शन के देवता बन गए हैं । वहीं दूसरी तरफ़, अपनी पिछली फ़िल्म अकीरा में दिलेरी भरे एक्शन सीन करने के बाद सोनाक्षी सिन्हा फोर्स 2 में एक रॉ एजेंट की अपनी भूमिका में जंची हैं । वह पर्दे पर जॉन अब्राहिम के साथ जंचती हैं । जो कि फ़िल्म में नजर आता है । सोनाक्षी सिन्हा, न केवल फ़ोर्स 2 में जॉन अब्राहिम के किरदार की पूरक हैं बल्कि वह जॉन के साथ फ़िल्म में कंधे से कंधे मिलाकर चलती हैं । ठेठ बॉलीवुड नायिका के विपरीत, फ़ोर्स 2 में सोनाक्षी का मजबूत किरदार दिखता है जो गुंडो को दिन में तारे दिखवा देती है । ताहिर राह भसीन, जिसने मर्दानी के साथ एक चिकने विलेन के रूप में अपने फ़िल्मी

करियर की शुरूआत की थी, फ़ोर्स 2 में भी अपने खलनायक छवि को दृढ़तापूर्वक रखते है । हालांकि फोर्स 2 में वह बेहद अच्छी तरह से अपने काम करते हैं, लेकिन उन्हें भविष्य में कुछ अलग तरह के रोल भी चुनने चाहिए, वरना हो सकता है कि वह इसी तरह की छवि में बंधकर रह जाएं । फ़िल्म की बाकी की कास्ट फ़िल्म को आगे बढ़ाने में मदद करती है ।

यह सच है कि इस शैली की फ़िल्म की कहानी को खींचने के लिए किसी भी प्रकार के चार्टबस्टर गानों की जरूरत नहीं है, फ़ोर्स 2 में जबरदस्ती का घुसाया हुआ एक भी गाना नहीं है सिवाय एक क्लब सॉंग के । फ़ोर्स 2 का संगीत (अमाल मलिक, गौरव रोशिन) कामचलाऊ है, ये तो फ़िल्म का जबरदस्त बैकग्राउंड स्कोर (प्रसाद साष्टे) है जो फ़िल्म को कसकर थामे हुए है ।

फिल्म का छायांकन (इमरे जुहाज़, मोहन कृष्ण) सर्वोत्तम है । वहीं दूसरी तरफ़, फ़िल्म का संपादन (अमिताभ शुक्ला, संजय शर्मा) खरा है और फ़िल्म किसी भी प्रकार के सुस्त पलों से रहित है । स्पेशल उल्लेख, फ़िल्म के एक्शन / स्टंट डायरेक्टर (फ्रांज स्पिल्हॉज) के लिए, जिसने ठीक शुरूआत से नॉन स्टॉप एक्शन जैसे पौष्टिक पंच फ़िल्म में डाले । इस फ़िल्म की खासियत इसके सांस रुका देने वाले एक्शन सीन है जो दोनों, मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन के दर्शकों को आकर्षित करेंगे ।

कुल मिलाकर, फ़ोर्स 2 रोमांच से भरी एक्शन थ्रिलर फ़िल्म है जो कि जोश और ताकत का एक सही मेल है । बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म, दर्शकों द्दारा सराही जाएगी । लेकिन फ़िल्म में चार्टबस्टर गाने और रोमांस की कमी, फ़िल्म का मजा खराब कर सकती है । सब मिलाकर, फ़ोर्स 2 देखने लायक फ़िल्म है !

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