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राजनैतिक, अपराध और कई अन्य गंभीर मुद्दों पर थ्रिलर फ़िल्म बनाने के मामले में निर्देशक नीरज पांडे की रूचि साफ़-साफ़ देखी जा सकती है और वह अपने इस काम में पारंगत भी है । अतीत में नीरज पांडे द्दारा बनाई गई अक्षय कुमार अभिनीत स्पेशल 26 और बेबी को दर्शकों ने खूब पसंद किया और बॉक्सऑफ़िस पर भी इन फ़िल्मों ने काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया । एक अबार फ़िर नीरज पांडे अय्यारी के साथ वापस लौटें है, जो दमदार प्लॉटलाइन और दमदार परफ़ोरमेंस से सजी हुई है । मनोज बाजपेयी, सिद्धार्थ मल्होत्रा, विक्रम गोखले, रकुल प्रीत और निर्देशक के पसंदीदा अनुपम खेर व अति उत्साही नसीरुद्दीन शान के दमदार अभिनय से सजी अय्यारी इस हफ़्ते सिनेमाघरों में रिलीज हुई है । अक्षय कुमार की पैड मैन, जो पिछले हफ़्ते रिलीज हुई को दर्शकों द्दारा पसंद किया जा रहा है ऐसे में अय्यारी को उपयुक्त समय पर रिलीज किया गया है । क्या अय्यारी टिकट विंडों पर दर्शकों की भीड़ जुटा पाएगी या नहीं, आईए समीक्षा करते हैं ।

फ़िल्म समीक्षा : बिना प्रभाव छोड़े निराश करती हैं अय्यारी

सबसे पहले तो, यह सोचा जाना चाहिए कि आखिर अय्यारी का मतलब क्या है ? मेकर्स के अनुसार, यह शब्द एक सच्चे सैनिक के पास होने वाले सभी गुणों का एक प्रतीक है । एक सफल सिपाही वह है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है । इसलिए, अय्यारी का मतलब है कुशाग्रता,मजाकी/ हाज़िरजवाबी, चतुर, पल भर में रूप बदलने वाला और तकनीक का मुकाबला करने की क्षमता, जो एक सैनिक विजयी होने के लिए उपयोग करता है । यह फिल्म कर्नल अभय सिंह (मनोज बाजपेयी) और मेजर जय बक्क्षी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) जो दोनों ही सेना के अधिकारी हैं, के इर्द-गिर्द घूमती है । यह प्रमुख रूप से सेना के भीतर मौजूद भ्रष्टाचार पर ध्यान केंद्रित करती है और रक्षा प्रणाली के बारे में बदसूरत सच्चाई को जानने के बाद जय को बदनाम करने वाले सिस्टम को बदनाम करने का प्रयास करती है । हालांकि यह आदर्श सोसायटी घोटाले पर आधारित है, जिसने 2010 में देश को हिलाकर रख दिया था, लेकिन निर्माता पूरी फिल्म को इसके इर्द-गिर्द नहीं घुमाते है । इसके बजाय वह कई अलग-अलग तरह के प्लॉट्स जैसे रक्षा मंत्रालय में भ्रष्टाचार, जो एक विशाल मुद्दे बनाने के लिए एक साथ आते हैं, का इस्तेमाल कर तनाव बढ़ाते हैं । फ़िल्म का अन्तर्भाव सिंह और बक्क्षी के बीच जेनेरेशन गेप की तरफ़ बढ़ता है । दोनों दोस्त से दुश्मन बन जाते हैं । दोनों मुख्य किरदार अपने-अपने कार एंड माउस चेज से दर्शकों को बांधे रखते है ।

हालांकि निर्देशक नीरज पांडे ने सस्पेंस बनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन फ़िल्म के अनाड़ी लेखन और लंबे रन टाइम की वजह से, वह दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में नाकाम हो जाते है । फ़िल्म लगभग डेढ़ घंटे तक हथियार और गोला-बारूद घोटाले के बारे में बात करती है लेकिन अंत में फ़िल्म का पूरा ध्यान आदर्श सोसायटी घोटाले की तरफ़ मुड़ जाता है । फिल्म को सख्त संपादन से बचाया जा सकता था, लेकिन प्रवीण काथिकूलोथ उस मोर्चे पर पहुंचने में नाकाम रहे । अय्यारी एक कमजोर स्क्रिप्ट से ग्रस्त है लेकिन हमें कुछ डायलॉग्स काफ़ी पसंद आए जो भारतीय राजनीतिक सर्कस और बाद में भ्रष्टाचार का वर्णन करने योग्य है । उदाहरण के लिए, एक सीन में मनोज बाजपेयी कश्मीर मुद्दे के बारें में बात करते हैं और कहते हैं कि ये मुद्दा कभी खत्म नहीं हो सकता क्योंकि इससे कई लोगों के घर-दुकान चल रहीं है । कश्मीर एक मुद्दा नहीं है बल्कि एक इंडस्ट्री है । यह कड़वा है लेकिन सच है । फिल्म में नीरज पांडे फिल्म के सभी तत्व मौजूद हैं । लेकिन फ़िर भी यह किसी भी तरह से दर्शकों को जोड़ने में नाकाम होती है ।

सिनेमेटोग्राफ़ी के मामले में सुदीप पालसेन ने अच्छा काम किया है । फिल्म में सिद्धार्थ और मनोज के विभिन्न रूपों को बनाने में अद्भुत काम करने के लिए, मैकअप आर्टिस्ट और ड्रेस डिजाइनर फ़ाल्गुनी ठाकोर का विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए । अब्बास अली मोगल के एक्शन सीन ठीक-ठाक है लेकिन ईमानदारी से कहें तो, यह औसत दर्जे के हैं ।

अभिनय की बात करें तो, मनोज बाजपेयी हमेशा की तरह उत्कृष्ट हैं । वह फ़िल्म को अपने कंधों पर उठाने का कठिन प्रयास करते हैं, आखिरकार वह मुख्य किरदारों में से एक जो हैं । उनका शानदार अभिनय पूरी फ़िल्म में छा जाता है । ए जैंटलमैन, बार बार देखो और इत्तेफ़ाक के बॉक्सऑफ़िस पर पिट जाने के बाद इस फ़िल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा खुद को इससे उबारने का प्रयास करते हुए दिखाई देते है । रकुल प्रीत सिंह के साथ उनका रोमांटिक सीन कुछ काम नहीं करता है और जबरदस्ती का घुसाया हुआ लगता है । सहायल कलाकार- विक्रम गोखले, कुमुद मिश्रा, आदिल हुसैन, नसीरुद्दीन खान अपने-अपने किरदार में जंचते है ।

फ़िल्म का संगीत अच्छा है लेकिन असाधारण नहीं है । फ़िल्म में सिर्फ़ एक ही गाना है 'ले डूबा' जो रेडियो चार्ट पर है लेकिन इतना असरदार नहीं है ।

कुल मिलाकर, अय्यारी अपनी दोषपूर्ण स्क्रिप्ट और लंबे रन टाइम की वजह से असफ़ल होकर निराश करती है । बॉक्सऑफ़िस पर यह निराशाजनक कारोबार करेगी ।