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पिछले कई सालों से फ़िल्ममेकर्स की पहली पसंद बन गया है गोवा । रोहित शेट्टी ने भी गोवा की पृष्ठभूमि में कई फ़िल्में बनाई है । इसके अलावा बॉलीवुड में ऐसी कई फ़िल्में बनी हैं जिसमें गोवा ने अहम भूमिका निभाई है जैसे- हनीमून ट्रेव्ल्स प्राइवेट लिमिटेड, दिल चाहता है, कभी हां कभी न, गो गोवा गॉन, फ़ाइडिंग फ़ैनी इत्यादि । इसके अलावा साल 2011 में आई फ़िल्म दम मारो दम में गोवा का एक डार्क साइड दिखाया गया जिसमें यहां मौजूद ड्रग माफिया के बारे में बताया गया था । और अब मोहित सूरी ने इस हफ़्ते रिलीज हुई अपनी फ़िल्म मलंग में इसी विषय पर फ़ोकस किया है । तो क्या मलंग अपनी फ़िल्म से दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब हो पाएगी या वह इस प्रयास में विफ़ल होते है ? आइए समीक्षा करते है ।

Malang Movie Review: रोमांच और स्टाइलिश परफ़ोर्मेंस से सजी है आदित्य, दिशा, अनिल और कुणाल की मलंग

मलंग, प्यार और बदले की कहानी है । फिल्म में दो ट्रैक एक साथ चलते हैं । फ्लैशबैक ट्रैक में अद्वैत (आदित्य रॉय कपूर) की फ़ैमिली का परेशान कर देने वाला इतिहास दिखाया जाता है । गोवा जाते वक्त अद्वैत की मुलाकात लंदन से आई सारा (दिशा पटानी) से होती है । ड्रग्स और पुलिस से दूर भागते हुए, वे एक दूसरे से टकराते है । फ़िलहाल दोनों अपनी रिलेशनशिप को सामान्य रखना चाहते हैं लेकिन फ़िर चीजें गंभीर होती जाती है । वर्तमान ट्रैक में, पांच साल बाद, अद्वैत को जेल से रिहा कर दिया जाता है । अब उसके मन में बदले की आग जली हुई है और वह अब एक किलिंग मशीन बन गया है । जैसे ही वह मर्डर के लिए बाहर निकलता है, वह इंस्पेक्टर अंजाने अगाशे (अनिल कपूर) को फोन करता है और उसे सूचित करता है कि वह एक हत्या करने वाला है । अगाशे पहले इसे हल्के में लेता है लेकिन कुछ ही समय में अद्वैत एक व्यक्ति को मार देता है, वह भी विक्टर (वत्सल सेठ) नामक एक पुलिस निरीक्षक को । कुछ घंटों बाद, उन्होंने दो और पुलिसवालों को मार दिया - नितिन सलगांवकर (कीथ सिकेरा) और देवेन जाधव (प्रसाद जावड़े) । तीनों इंस्पेक्टर माइकल (कुणाल केमू) के अधीन काम करते हैं । माइकल ने टेरेसा से शादी की और दोनों की शादी अच्छी चल रही है । माइकल कानून को फ़ोलो कर इस मुश्किल को हल करना चाहता है और इसमें वह अगाशे के साथ अपना काम शुरू करता है लेकिन उसे केस सुलझाने में मुश्किल होती है । लेकिन फ़िर भी दोनों अपना काम करते हैं इससे पहले की अद्वेत किसी और को मार दे । अपनी जांच के दौरान, माइकल जेसी (एली अवराम) को फ़ोलो करना शुरू करता है, जो मानता है कि वह इस केस से जुड़ी हुई है । इस बीच, आगाशे का सामना अद्वैत से होता है । इसके बाद उन्हें किसी और को बचाने का मौका मिलता है लेकिन वह असफ़ल हो जाते है । इसके बाद अद्वेत अपनी इच्छा से आत्मसमर्पण कर देता है । इसके बाद आगे क्या होता है, ये आगे की फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है ।

असीम अरोरा की कहानी सभ्य है । लेकिन यह कई फ़िल्मों की भेलपुरी की तरह लगती है एक विलेन [2014], मर्डर [2014], मरजावां [2019], रेस [2008] इत्यादि । अनिरुद्ध गुहा की पटकथा, कई सारे सीन पुरानी फ़िल्मों का डेजावू नहीं देते है । फिल्म में बहुत कुछ हो रहा है और स्क्रिप्ट इस तरह से लिखी गई है कि वह दर्शकों को बोर न करे । असीम अरोरा के संवाद सूक्ष्म लेकिन तीखे हैं और अधिकांश स्थानों पर ओवर नहीं लगते है ।

मोहित सूरी का निर्देशन अच्छा है । उन्होंने अपनी पिछली फ़िल्मों से अपने निर्देशन में सुधार किया है । उनके निष्पादन में बहुत सारी शैली है जो फिल्म को एक नयापन और अच्छा फ़ील देती है । फ़िल्म में कई सारे किरदार और कहानियां है जो अच्छे से गूंथी गई है । इसके अलावा, मोहित अपने तरीके से फ़िल्म को हैंडल करते हैं जो कि अच्छा है । कुछ सीन को वो बहुत अच्छी तरह से हैंडल करते है विशेष रूप से वर्तमान के दृश्य । वहीं इसके विपरीत, कुछ घटनाक्रम ऐसे हैं जो दुविधा खड़ी करते हैं कि ये एक लव स्टोरी है या कुछ और । यहां तक की सारा और अद्वेत की कहानी भी अधपकी सी लगती है ।

मलंग की शुरूआत, काफ़ी बोझल सी होती है । वन-टेक एक्शन सीन काफ़ी मनोरंजक है । इसके बाद फ़िल्म फ़्लैशबैक मोड में चली जाती है जिसमें अद्वेत और सारा का रोमांस दिखाया जाता है । यह वर्तमान के रोमांचक भागों के साथ मिला हुआ है । यहां कुछ हिस्से शानदार है-जैसे कि अगाशे का नितिन सलगांवकर को ढूंढना और बेशक इंटरमिशन प्वाइंट । इंटरवल के बाद, फ़्लैश-बैक सीक्वंस फ़िल्म को धीमा बनाता है । अद्वैत का पुलिस शिकंजे में आ जाना फ़िल्म देखने के लिए उत्सुकता जगाता है । यहां एक ठोस मोड़ है को एक झटके के रूप में आता है, यह भी थोड़ा समझ के परे है ।

अभिनय की बात करें तो, इसमें हर कलाकार अच्छा परफ़ोर्म करता है । आदित्य रॉय कपूर फ़ुल फ़ॉर्म में नजर आते है । प्रतिशोध के साथ एक निडर व्यक्ति के रूप में वह जंचते है । कुछ महत्वपूर्ण दृश्यों में उनका अभिनय बेहतर हो सकता था लेकिन वह संभाल लेते है । दिशा पाटनी को उनके अभी तक के फ़िल्मी करियर में सबसे ज्यादा स्क्रीन टाइम मिला है । वह काफ़ी खूबसूरत लगती हैं और शानदार परफ़ोर्म करती है । अनिल कपूर फ़िल्म में हास्य को जोड़ते है । लेकिन उनका किरदार सिर्फ एक मजाकिया आदमी से बहुत आगे है और वह इसे बखूबी निभाते है । वह काफ़ी डेशिंग भी लगते है । कुणाल खेमू के किरदार के कई रूप हैं जिसे वह बखूबी निभाते है । एली अवराम अपना बेहतरीन देती है । उनकी डायलॉग डिलीवरी थोड़ी बेहतर हो सकती थी । वत्सल सेठ, कीथ सिकेरा और प्रसाद जावड़े ठीक हैं । देविका वत्स (वाणी अगाशे) एक कैमियो में अपनी छाप छोड़ती है ।

फिल्म का संगीत कमजोर है और इस तरह की फिल्म को सुपर-हिट संगीत मिलना चाहिए । टाइटल ट्रैक और 'हुई मलंग' बहुत अच्छा है और अच्छी तरह से शूट किया गया है । 'चल घर चलें', 'बंदे इलाही’, 'हमराह’ और 'फ़िर ना मिले कभी’ में रिपीट वैल्यू की कमी है । राजू सिंह का बैकग्राउंड स्कोर नाटकीय है ।

विकास शिवरामन की सिनेमैटोग्राफी आश्चर्यजनक है और हाल के दिनों में सर्वश्रेष्ठ में से एक है । पहला सीन [लंबा वन-टेक शॉट} कैसे कैप्चर किया गया, यह ध्यान देने योग्य है और सही समय से पहले आदित्य रॉय कपूर के चेहरे को न दिखाने के लिए जो सावधानी बरती है, वह काबिलेतारिफ़ है । गोवा और मॉरिशस के सीन को परफ़ेक्शन के साथ कैप्चर किया गया है । विनती बंसल और सिद्धांत मल्होत्रा का प्रोडक्शन डिजाइन थोड़ा नाटकीय है लेकिन काम करता है । आयशा दासगुप्ता की वेशभूषा सुपर स्टाइलिश है, विशेष रूप से आदित्य रॉय कपूर, दिशा पाटनी व अनिल कपूर द्वारा पहनी गई । जिस तरह से अनिल अपनी पुलिस की शर्ट को टी-शर्ट पर पहनते है और उसे बिना बटन लगाए रखते हैं, यह एक स्टाइल स्टेटमेंट बनता है । एजाज गुलाब का एक्शन भी बहुत ज़्यादा खूनखराबे वाला नहीं है इसलिए यथार्थवादी लगता है । NY VFXwaala का VFX ठीक है । देवेंद्र मुर्डेश्वर का संपादन सरल है ।

कुल मिलाकर, मलंग बेहतरीन शैली के परफ़ोर्मेंस और रोमांचक पल होने के कारण अच्छी है लेकिन कमजोर स्टोरीलाइन इसे औसत बनाती है । बॉक्सऑफ़िस पर कमाने के लिए इस फ़िल्म को एक हफ़्ते का खाली वक्त मिलेगा जिससे इसे बॉक्सऑफ़िस कलेक्शन में काफ़ी मदद मिलेगी ।