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90 के दशक की एक खूबसूरत याद में शामिल है डिज्नी की द लायन किंग । उस दौर की सबसे लोकप्रिय कार्टून फ़िल्म में से एक रही द लायन किंग । 1994 में बनी हॉलीवुड फ़िल्म द लॉयन किंग को एक बार फ़िर मेकर्स एक नए अंदाज के साथ लेकर आए है । भारत में इस फिल्म की चर्चा शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन की वजह से है क्योंकि फ़िल्म के लीड किरदार मुफ़ासा और सिम्बा को शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन खान ने अपनी आवाज दी है इसलिए यह फ़िल्म भारत में खासी चर्चा में बनी हुई है ।

The Lion King (Hindi) Movie Review: मुफ़ासा और सिंबा के रूप में शाहरुख खान-आर्यन खान की आवाज दर्शकों को थिएटर तक खींचेगी

अफ़्रीकी सवाना में गौरव भूमि कहे जाने वाले जंगल के राजा शेर मुफासा, जो एक बहुत नेकदिल और प्रजा का ख्याल रखने वाला है, अपने बेटे सिंबा (आर्यन खान की आवाज) के साथ रहता है । सिंबा के पैदा होने के बाद यह कहा जाता है कि अगला राजा पैदा हुआ है । मुफासा के भाई स्कार (आशीष विद्यार्थी) को ये सब नहीं बर्दाश्त क्योंकि वो खुद राजा नहीं बन पाया । स्कार रणनीति बनाता है कि भाई और उसके बेटे को खत्म कर कैसे खुद राजा बने । वो अपनी योजना में कामयबा भी हो जाता है और सिंबा को चालाकी से भगा देता है । बाद में बड़े होकर सिंबा गौरव भूमि लौटता है और फिर कैसे सब कुछ सही करता है यह पूरी फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है ।

क्योंकि यह फ़िल्म 1994 में आई द लायन किंग का रीमेक है इसलिए इसमें दर्शक कहीं भी नया देखने की उम्मीद नहीं करते है । हालांकि कहा जा रहा है कि द लायन किंग अपनी ऑरिजनल फ़िल्म की तरह कसौटी पर खरी नहीं उतरती है । लेकिन इस फ़िल्म को नया बनाते हैं फ़िल्म में इस्तेमाल हुए फोटोरिअलिस्टिक कंप्यूटर से उत्पन्न एनिमेट्रॉनिक्स जिसने फ़िल्म को एक नया अनुभव दिया । इस रीमेक में आकर्षक विजुअल इफ़ैक्ट्स, रंगीन कलर की विविधता इसके एक मास्टरपीस बनाती है । दुख की बात है कि नई द लाइअन किंग में एक इमोशनल जुड़ाव की कमी लगती है । द जंगल बुक जैसा प्रभाव छोड़ती है उसके विपरीत यह ऐसा प्रभाव छोड़ने में नाकामयाब होती है । हालांकि यह इतनी बुरी नहीं है । मेकर्स ने द लायन किंग में हर बारीक से बारीक चीज का ध्यान रखा है ।

निर्देशन की बात करें तो, जॉन फेवरो ने ऑरिजनल फ़िल्म का रीमेक किया है । यह साल 1994 में द लाय्न किंग की एक फ्रेम टू फ्रेम कॉपी है, इसमें वो सभी दिल को छू लेने वाले और प्यारे सीन दर्शाए गए है । लेकिन यहां यह कहना होगा कि जो इमोशनल जुड़ाव इसकी ऑरिजनल फ़िल्म से था वो इसमें गायब नजर आया । कसी हुई एडिटिंग, और अच्छी तरह से निष्पादित सीक्वंस, जो दोहराव की तलाश के बिना शॉट के लिए मूल लगभग शॉट से मिलते जुलते हैं, निश्चित रूप से फेवेरू के लिए एक उच्च बिंदु है । मूल रूप से मुफ़ासा की आवाज के रूप में जेम्स अर्ल जोन्स को रिटेन करना एक ऐसी चीज है जो फिल्म की सापेक्षता को एक पायदान ऊपर ले जाती है ।

इसके हिंदी वर्जन में मुफ़ासा को शाहरुख खान ने अपनी शानदार आवाज दी है । शाहरुख खान की आवाज को इस रोल के हिसाब से गहराई दी गई है जो मुफासा को सूट कर रही है । जबकि मुफ़ासा के बेटे सिंबा को शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान ने अपनी आवाज दी है । आर्यन को फ़िल्म में सुनना काफ़ी प्रभावशाली है । आर्यन ने सिंबा की आवाज को बहुत ही शानदार ढंग से निभाया है । शाहरुख और आर्यन के अलावा फिल्म में जाजू के किरदार के लिए असरानी, टीमोन के किरदार के लिए श्रेयस तलपड़े, पुम्बा के किरदार के लिए संजय मिश्रा और स्कार के किरदार के लिए आशीष विद्यार्थी ने अपनी आवाज दी है और इन सभी का काम बेमिसाल है । खासकर आशीष विद्यार्थी की तारीफ होनी बनती है क्योंकि उन्होंने स्कार के किरदार में जिस तरह जान फूंकी है वो कमाल है ।

संगीत की बात करें तो बैकग्राउंड स्कोर और ट्रैक अच्छे है और फ़िल्म के साथ मेल खाते है । फेवेरू ने नए दौर के साथ ऑरिजनल फ़िल्म के चार्म को बरकरार रखने की पूरी कोशिश की ।

कुल मिलाकर, द लायन किंग में नया जैसा कुछ भी नहीं है और सही मायने में यह अपनी ऑरिजनल फ़िल्म से एक कदम दूर ही है । हालांकि यह बच्चों और युवा दर्शकों को जरूर आकर्षित करेगी । भारतीय बॉक्स ऑफिस पर यह फ़िल्म अपने हिंदी वर्जन के साथ दर्शकों को ज्यादा आकर्षित करेगी क्योंकि इसमें शाहरुख खान और आर्यन खान ने अपनी आवाज जो दी है ।