प्रदर्शित : 17 जून 2016

 

निर्देशक : अभिषेक चौबे

 

कलाकार : शाहिद कपूर, आलिया भट्ट, करीना कपूर खान, दिलजीत दोशांजे, सतीश कोशिक

 

 

बॉलीवुड विविध शैली की फ़िल्मों का गवाह रहा है जिसने रूपहले पर्दे पर अपनी एक अलग जगह बनाई है । कॉमेडी फ़िल्म हाउसफ़ुल 3 की बिना-सिर पैर वाली कॉमेडी और अमिताभ बच्चन की रहस्य से भरी फ़िल्म तीन के बाद इस हफ़्ते सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई फ़िल्म उड़ता पंजाब । ये फ़िल्म पंजाब में बड़े पैमाने पर ड्रग्स के सेवन की समस्या को दर्शाती है । उड़ता पंजाब बॉक्स ऑफ़िस पर निर्माताओं के लिए एक रिटर्न साबित होगी या यह निराशा का सामना करेगी , आइए इसका विश्लेषण करते हैं ।

 

उड़ता पंजाब की शुरूआत होती है उस सीन से जब एक पाकिस्तानी आदमी भारत-पाकिस्तान की सीमा पर भारतीय खेमे में एक ड्रग्स का पैकेट फ़ेंकता है । इसी सीन के साथ रॉकस्टार टॉमी 'गबरु' सिंह (शाहिद कपूर) की एंट्री होती है और इसी के साथ उसकी 'नशे की लत'   वाली जीवन शैली का भी परिचय कराया जाता है । एक दिन टॉमी सिंह को उसके गाने की रिकॉर्डिंग में हुई देरी के कारण उसके निर्माताओं द्दारा निकाल दिया जाता है । यह ही काफ़ी नहीं था, टॉमी सिंह अपने जन्मदिन की पार्टी के बीच नशीली दवाओं के दुरुपयोग के आधार पर पंजाब पुलिस द्दारा गिरफ़्तार कर लिया जाता है । जब वह जेल से छूटता है तब वह घबराहट के बावजूद किसी भी तरह से बेसब्री से इंतजार कर रहे दर्शकों के सामने अपनी परफ़ोरमेंस देने के लिए तैयार हो जाता है । परफ़ोरमेंस के पहले, वह कुछ ऐसा बेहद अजीब करता है कि दर्शक उसके खून के प्यासे हो जाते हैं  । दूसरी तरफ़ पिंकी कुमारी जिन्हें मेरी जेन कि नाम भी जानते हैं  (आलिया भट्ट )  वह उत्तर प्रदेश से पंजाब पलायन करती है । उसकी पृष्ठभूमि से पता चलता है कि वह एक हॉकी खिलाड़ी थी, जो पैसे की तंगी के कारण मजदूर बनने को मजबूर हो गई । और तब से  वह पंजाब में रहने के लिए जगह खोजने की कोशिश कर रही है । एक दिन जब उसे 3 किलो ड्रग्स का पैकेट मिलता है तो वह इसे बेच कर  तेजी से पैसा बनाने की कोशिश में लग जाती है । ऐसा करते समय, जो उसके लिए सबसे अच्छे कारणों के लिए जाना जाता है, वो पूरी 3 किलो ड्रग्स को एक कुंए में फ़ैंक देती है , इस प्रकार वह नशीली दवाएं बेचने वालों के गुस्से का कारण बनती हैं ,क्योंकि वह उनके लिए एक मुनाफ़े का सौदा था । नशीली दवा बेचने वाले उसकी इस हरकत से बेहद नाराज़ होते हैं और वो सब न केवल मजबूर पिंकी कुमारी  के साथ बलात्कार करते हैं बल्कि उसे वह अपने साथ एक बंदी के रूप में रखते हैं ।  वह बार-बार उनके चंगुल से भागने के लिए प्रयास करती है लेकिन हर बार वो असफ़ल हो जाती है । फ़िल्म की कहानी का तीसरा एंगल है डॉ प्रीति साहनी (करीना कपूर खान ) जिनके तहत बल्ली सिंह, सरताज सिंह ( दिलजीत दोशांजे ) का छोटा भाई,  का ड्रग्स की ओवरडोज का शिकार होने के चलते इलाज किय जा रहा है । बल्ली के इलाज के दौरान सरताज सिंह विश्लेषण करता है और इसके नुकसान का एहसास करता है कि ये प्रतिबंधित पदार्थ लोगों के लिए बहुत हानिकारक हैं  । तब वह ड्र्ग्स के खिलाफ और ड्रग माफ़ियाओं को सामने लाने की उसकी मुहिम में  प्रीत साहनी के साथ हो जाता है ।

 

क्या रॉकस्टार टॉमी गबरु सिंह एक बार फ़िर अपनी खोई हुई पहचान वापस ले पाता है, क्या पिंकी कुमारी ड्रग माफ़ियाओं के चंगुल से छूटने में कामयाब हो पाती है< क्या होता है जब टॉमी सिंह और पिंकी कुमारी एक-दूसरे के रास्ते को क्रॉस करते हैं < क्या डॉ प्रीति साहनी और इंसपेक्टर सरताज सिंह पंजाब में ड्रग्स के खिलाफ और ड्रग माफ़ियाओं को सामने लाने की उसकी मुहिम में कामयाब हो पाते हैं , ये सब फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलता है ।

 

सबसे पहली बात, उड़ता पंजाब अंधकार से भरी एक गंभीर फ़िल्म है । फ़िल्म की पटकथा ( सुदीप शर्मा, अभिषेक चौबे ) एक ही समय में कई कहानीयों में उलझ जाती है और जो फ़िल्म को बहुत जटिल बना देती है । अभिषेक चौबे, जो अपनी पिछली फ़िल्में इश्किया और डेढ़ इश्किया के साथ अपने सर्वोच्च निर्देशन क्षमता की झलक देते हैं ,  उड़ता पंजाब फ़िल्म की  अंधेरे की कहानी को बयान करने में  चुनौती का सामना करते हैं । हालांकि फिल्म आगे बढ़ती है, लेकिन साथ ही ऐसा लगता है जैसे इसके कई हिस्से छूटते जा रहे हैं , विशेषरूप से मध्यांतर में  । अनेक कहानियों को एक साथ दिखाने के प्रयास में अभिषेक चौबे फिल्म के उत्तरार्ध में उलझाए रखने का संघर्ष करते हैं ।

 

अभिनय की बात करें तो, उड़ता पंजाब की सबसे बड़ी खूबी इसका बेहतरीन प्रदर्शन हैं । कभी-कभी अभिनेताओं को ऐसे चुनौतीपूर्ण किरदार देने पड़ जाते हैं जो पूरी तरह से उनके सुविधा क्षेत्र के बाहर होते हैं । शाहिद कपूर और उनका रॉकस्टार लुक जो इससे पहले उन्होंने कभी ट्राई नहीं किया , उनके प्रशंसकों के बीच एक बड़ी चर्चा, जिज्ञासा और कौतूहल बन गया था ।  फ़िल्म में ज्यादा आवश्यक हास्य के दौरान शाहिद अपने किरदार में जान फ़ूंकने में कामयाब रहते हैं अन्यथा फ़िल्म गंभीर है । फ़िल्म में उन्हें प्रतिभाशाली सतीश कौशिक का भरपूर साथ मिला है । दूसरी तरफ़ आलिया भट्ट, ,अपने रोल में उतनी आकर्षक नहीं लगती है । ये सही है कि आलिया ने फ़िल्म में अपने बिहारी किरदार को चित्रित करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी और उस हिस्से के साथ न्याय भी हुआ है । करीना कपूर अपने किरदार में अच्छी लगी । उड़ता पंजाब में एक नए पंजाबी अभिनेता दिलजीत दोशांजे की एंट्री हुई जिन्होंने फ़िल्म में एक प्रभावशाली इमेज छोड़ी और इसी के साथ ही एक प्रभावशाली बॉलीवुड डेब्यू भी किया ।  यदि अगर उड़ता पंजाब ,वह क्या करने में सक्षम है ,की एक मात्र झलक है तो दिलजीत वाकई वो नाम है जो बॉलीवुड में आगे भी दिखेगा । बाकी के अभिनेता फ़िल्म को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं ।

 

फ़िल्म के दो गाने चित्ता वे और इक कुड़ी के साथ फ़िल्म का सभ्य संगीत एक हिट संगीत एलबम बन सकता है और जो फ़िल्म की काफ़ी मदद कर सकता था । दूसरी तरफ़ फ़िल्म का बैकग्राउंड स्कोर (बेंडिक्ट टेलर, नारेन चंदावरकर) प्रभावशाली है और फ़िल्म को बयां करने में मदद करता है ।

 

फ़िल्म के संवाद (सुदीप शर्मा) मुख्य रूप से पंजाबी हैं और दर्शक जो इस भाषा को नहीं बोलते वो थोड़े इससे कट सकते हैं । फिल्म का छायांकन (राजीव रवि) औसत है, फिल्म का संपादन (मेघना सेन) और सख्त हो सकता था जो कई गुना फिल्म को मदद कर सकता था । निश्चित रूप से मानना है कि फिल्म की लंबाई इसकी खलनायक है ।

 

कुल मिलाकर, उड़ता पंजाब अंधकार से भरी एक गंभीर फ़िल्म है , जो कि पारंपरिक मनोरंजन प्रदान नहीं करती है  जिसकी दर्शक बॉलीवुड फिल्मों में तलाश करते हैं । एक ही समय में, यह फ़िल्म सभी अभिनेताओं के मजबूत प्रदर्शन के साथ बोल्ड और बहादुर है ।

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