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चंडीगढ़ करे आशिकी एक मन को झकझोर देने वाली प्रेम कहानी है । मनिंदर उर्फ मनु मुंजाल (आयुष्मान खुराना) अपने पिता (गिरीश धमीजा) और दादा (आंजन श्रीवास्तव) के साथ रहता है और एक जिम ट्रेनर है । उसकी बहनें प्रीत (तान्या अबरोल) और मीत (सावन रूपोवली) शादीशुदा हैं और वे उसके जीवन और उसकी पसंद पर हावी होने की कोशिश करते हैं । इस बीच, उसके पिता उसे बॉडी बिल्डर बनने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वह ज्यादा कमाई नहीं कर रहा है । वह एक साथी बॉडी बिल्डर सैंडी (अभिषेक बजाज) से लगातार दो बार बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप हार चुका है । मनु टूर्नामेंट के आगामी संस्करण के लिए तैयार है, लेकिन वह अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं दिख रहा है। जिंदगी बहुत अच्छी नहीं चल रही लेकिन एक दिन उसकी मुलाकात मानवी बराड़ (वाणी कपूर) से होती है । उसने मनु के जिम में जुंबा क्लासेस चलाने के लिए एक खाली जगह किराए पर ली है । दोनों में जल्द ही दोस्ती हो जाती है । जब मनु जिम में खुद को घायल कर लेता है, तो मानवी उसे अस्पताल ले जाती है और उसे घर तक छोड़ देती है । उसके परिवार के सदस्य उसे एक लड़की के साथ देख उत्साहित हो जाते हैं क्योंकि वे शादी करने के लिए उसके पीछे पड़े हैं । मनु स्पष्ट करता है कि वह दोनों सिर्फ एक दोस्त है लेकिन वह नहीं सुनते हैं । इस बीच, मनु वास्तव में उसके प्यार में पड़ जाता है । होली के दिन वे इंटीमेट हो जाते हैं । इससे पहले कि वे सेक्स करें, मानवी उसे कुछ स्पष्ट करने के लिए एक सेकंड के लिए रोकती है। मनु उसे बोलने नहीं देता और उसे किस करता है । यहीं से दोनों के बीच रोमांटिक संबंध शुरू होते हैं । एक दिन मनु जब मानवी के घर पर होता है तो वह शादी का प्रस्ताव रखता है । इस बिंदु पर, मानवी अपने जीवन के बारे में एक चौंकाने वाला सच बताती है । आगे क्या होता है यह बाकी की फ़िल्म देखने के बाद पता चलता है ।

Chandigarh Kare Aashiqui Movie Review: महत्वपूर्ण संदेश देती है आयुष्मान खुराना और वाणी कपूर की चंडीगढ़ करे आशिकी

अभिषेक कपूर, सुप्रतीक सेन और तुषार परांजपे की कहानी प्रगतिशील, फ़्रेश और समय की मांग करती है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण संदेश देती है । सुप्रतीक सेन और तुषार परांजपे की पटकथा बेहद मनोरंजक और व्यावसायिक है । हालांकि सेकेंड हाफ में लेखन और मजबूत हो सकता था। सुप्रतीक सेन और तुषार परांजपे के संवाद ठीक-ठाक हैं और कहीं न कहीं हंसाते हैं । लगभग हर वाक्य में कुछ बेहतरीन पंचलाइन रखने का अवसर है लेकिन इस संबंध में, लेखक मात खा जाते हैं । हालांकि, कुछ डायलॉग्स शार्प हैं और इंटरवल पॉइंट पर वाणी कपूर का मोनोलॉग ताली बजाने लायक है ।

अभिषेक कपूर का निर्देशन साफ-सुथरा है । वह फिल्म को व्यावसायिक तरीके से पेश करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हालांकि विषय बोल्ड है, फिल्म बहुत मैन स्ट्रीम है । उनका निष्पादन भी आश्चर्यचकित करने वाला है क्योंकि यह उनकी पिछली फिल्मों जैसे रॉक ऑन [2008], काई पो चे [2013], फितूर [2016] और केदारनाथ [2018] के विपरीत है । कुछ दृश्य असाधारण हैं, खासकर मानवी और उनकी दुविधा से निपटने वाले । अभिषेक बधाई के पात्र हैं क्योंकि वह इसे बहुत संवेदनशील तरीके से संभालते हैं और यहां तक कि स्टीरियोटाइप को भी धता बताते हैं । वहीं दूसरी ओर, हालांकि फ़र्स्ट हाफ बेहतरीन है, सेकेंड हाफ में फिल्म थोड़ी गिरती है । मानवी के खुलासे के बाद ऐसा लग रहा था कि राइटर्स को समझ ही नहीं आ रहा था कि इंटरेस्ट को बरकरार रखने के लिए क्या किया जाए । वे कहानी को कुछ दिलचस्प दृश्यों के साथ जोड़ते हैं लेकिन यह पहले भाग के दृश्यों की तरह प्रभावशाली नहीं है । शुक्र है कि फिल्म प्री-क्लाइमेक्स से रफ्तार पकड़ती है ।

चंडीगढ़ करे आशिकी सिर्फ 117 मिनट लंबी है और किरदारों को बिना समय गंवाए बड़े करीने से पेश किया जाता है । उनके बीच जिस तरह से रोमांस पनपता है वह काबिले तारीफ है । प्रेम-प्रसंग के सीन्स तीव्र हैं, लेकिन बहुत अधिक बोल्ड भी नहीं हैं । जिस दृश्य में मानवी बड़ा कबूलनामा करती है वह आकर्षित करने वाला है लेकिन इससे भी अधिक प्रभावशाली है इंटरमिशन प्वाइंट । सेकेंड हाफ में, अस्पताल का सीक्वेंस है जहां से फिल्म वापस पटरी पर आती है । क्लाइमेक्स नेल-बाइटिंग है और दर्शकों को पसंद आएगा ।

आयुष्मान खुराना हमेशा की तरह बेहतरीन फॉर्म में नजर आते हैं । और इस बार भी, वह अपने किरदार में अपना 100 प्रतिशत देते हैं खासकर फ़िजिकल ट्रांसफ़ोर्मेशन में । वह अपनी फ़िल्मों के लिए रिस्की किरदारों और विषय चुनने के लिए जाने जाते हैं और चंडीगढ़ करे आशिकी इसमें कोई अपवाद नहीं है । वह एक बार फिर अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर एक ऐसी भूमिका निभाने के लिए बधाई के पात्र हैं, जिसे कई अभिनेताओं ने स्वीकार करने की हिम्मत नहीं की होगी । वाणी कपूर शानदार हैं और दर्शकों को सरप्राइज करने वाली हैं । उनका किरदार काफ़ी चुनौतीपूर्ण था लेकिन उन्होंने इसे बखूबी निभाया और सबसे महत्वपूर्ण संवेदनशीलता के साथ निभाया । वह इस भूमिका को करने के लिए सहमत होने के लिए भी प्रशंसा की पात्र हैं । इस फिल्म के बाद वह जरूर एक नई रोशनी में नजर आएंगी । कंवलजीत सिंह (ब्रिगेडियर मोहिंदर बराड़) प्यारे लगते है । करिश्मा सिंह (करिश्मा सिंह; मानवी की दोस्त) एक बड़ी छाप छोड़ती है। गिरीश धमीजा और अंजन श्रीवास्तव ठीक हैं । तान्या अबरोल इस भूमिका के लिए उपयुक्त हैं जबकि सावन रूपावली ने सक्षम सपोर्ट दिया है । अभिषेक बजाज और सतवंत कौर (नवजोत बराड़; मानवी की मां) सभ्य हैं । गौतम शर्मा (जोमो) और गौरव शर्मा (रिज़) जुड़वां भाइयों सह मनु की साइडकिक्स के रूप में ठीक हैं । योगराज सिंह (गुरुजी) औसत हैं ।

सचिन-जिगर का संगीत थिरकने वाला है । अंत क्रेडिट में प्ले कि्या गया शीर्षक गीत, अच्छी तरह से शूट किया गया है । 'खीच ते नच' सबसे बेहतरीन है । 'कल्ले कल्ले' और 'माफी' दिल को छू रहे हैं । 'तुम्बे ते जुंबा' अच्छा है । 'आकर्षण' को लवमेकिंग सीक्वेंस में प्ले किया गया है और इसे अच्छी तरह से चित्रित किया गया है । सचिन-जिगर का बैकग्राउंड स्कोर उपयुक्त है ।

मनोज लोबो की सिनेमैटोग्राफी साफ-सुथरी है । एलन अमीन और विशाल भार्गव का एक्शन वास्तविक सा लगता है । बिंदिया छाबड़िया का प्रोडक्शन डिजाइन आकर्षक है । श्रुति कपूर और अक्षय त्यागी की वेशभूषा ग्लैमरस है। चंदन अरोड़ा की एडिटिंग स्लीक है ।

कुल मिलाकर, चंडीगढ़ करे आशिकी एक साहसिक और वर्जित विषय को इमोशन के साथ संवेदनशील तरीके से दर्शाती है । आयुष्मान खुराना और वाणी कपूर का शानदार प्रदर्शन सोने पे सुहागा का काम करता है । इस फ़िल्म को जरूर देखिए ।