कोरोना संकट के इस दौर में बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद प्रवासी मजदूरों के लिए फ़रिश्ता बनकर आए हैं । लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित दिहाड़ी मजदूरों का शहरों से पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है ऐसे में सोनू ने इन मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का जिम्मा लिया है । सोनू सूद ने प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए बसों का इंतजाम किया है । वह उन्‍हें घर पहुंचाने के साथ-साथ उनके खाने की भी व्‍यवस्‍था कर रहे हैं । सोनू अभी तक हजारों मजदूरों को उनके घर पहुंचा चुके हैं । सोनू के इस काम ने सभी का दिल जीत लिया है । ऐसे में सोनू ने बॉलीवुड हंगामा के साथ एक्सक्लूसिवली बात की जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें इस नेक काम को करने के लिए किसने इंस्पायर किया और सबसे पहले कैसे उन्होंने 350 प्रवासी मजदूरों को उनके घर कर्नाटक पहुंचाया ।

EXCLUSIVE: सोनू सूद ने बताया कि कैसे शुरू हुई उनकी प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की मुहिम

सोनू सूद प्रवासी मजदूरों के लिए फ़रिश्ता बनकर सामने आए

सोनू ने इस बारें में बात करते हुए कहा कि, ''हम इसके लिए तैयार नहीं थे, न ही हमने कभी सोचा था कि हम सभी इतने दिनों के लिए अपने घरों में बंद हो जाएंगे । लॉकडाउन के चलते हमने देखा कि प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल रहे हैं और उनमें से कई अपनी जान गंवा रहे हैं । ये वही लोग हैं जो हमारे लिए घर, ऑफ़िस और सड़के बनाते हैं, और आज ये ही लोग मजबूर हो गए हैं ।

छोटे-छोटे बच्चों के साथ प्रवासी मजदूर अपने घरों के लिए पैदल ही निकलने को मजबूर हो रहे हैं । जरा सोचिए, एक बच्चा एक ऐसी याद के साथ बड़ा होगा जिसमें वह अपने माता-पिता को दर्द से कराहते हुए देखा लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया । इसलिए हमने इन लोगों के लिए कुछ करने का सोचा । हम पहले ही 40 से 50 हजार लोगो को हर रोज खाना बांट रहे थे ।''

सबसे पहले 350 प्रवासी मजदूरों को उनके घर कर्नाटक पहुंचाया

सोनू ने आगे बात करते हुए कहा कि, ''जब मैंने एक मजदूर परिवार को अपने घर जाते हुए देखा तो मैंने सोचा कि मैं उनसे पूछूं कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे मैं उनकी मदद कर सकता हूं । इस बारें में जब मैंने उनसे बात की तो उन्होंने मुझे बताया कि वे कर्नाटक जा रहे हैं जो यहां से करीब 700-800 किलोमीटर दूर है और उन्होंने मुझसे कहा कि हम कुछ दिनों में वहां पहुंच जाएंगे ।

तब मैंने उनसे कहा कि मुझे एक या दिन का समय दे दो मैं तुम सभी लोगों के लिए बस सर्विस मुहैया कराने की परमिशन लेता हूं यदि परमिशन मिल जाती है तो अच्छा है लेकिन यदि नहीं मिलती हैं तो फ़िर आप लोग चले जाना । सौभाग्य से हमें मुंबई प्रशासन और कर्नाटक सरकार से इसके लिए परमिशन मिल गई और तब हमने लगभग 350 प्रवासी मजदूरों को उनके घर कर्नाटक पहुंचाया । और जब मैं उन्हें देखने गया तो सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे । उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें तो लगा था कि वे यहीं मर जाएंगे और फ़िर कभी अपने गांव वापस नहीं जा पाएंगे ।''

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सोनू ने आगे कहा कि ये तो अभी महज कुछ ही प्रवासी मजदूर हैं जिन्हें हमने उनके घर पहुंचाया है अभी तो कई सारे प्रवासी मजदूरों ऐसे हैं जिन्हें मदद की जरूरत है । इसके बाद मैंने अलग-अलग राज्यों से भी परमिशन लेना शुरू कर दिया जिसमें हम कामयाब हुए । एक बार जब सभी प्रवासी मजदूर सुरक्षित अपने घर पहुंच जाते हैं तब मुझे लगता है कि मेरा काम सार्थक हो गया ।''