समाज में आमूलचूल ढंग से बदलाव लाने‌ और बुराई पर अच्छाई की जीत के क्रांतिकारी विचारों को सशक्त तरीके से पेश करता फ़िल्म दशमी का टीज़र जिसे आज सोशल‌‌ मीडिया पर‌ जारी कर‌ दिया गया । उल्लेखनीय है कि महज़ 45 सेकंड का यह टीज़र समाज में व्याप्त मौजूदा 'कलयुग के रामराज्य' को बड़े ही सशक्त अंदाज़ में रेखांकित करता है । यह टीज़र दर्शकों को यथास्थिति की सोच से बाहर निकलकर‌ समाज को एक‌ नई दिशा देने‌ और 'रामराज्य की न‌ई शुरुआत' का आह्वान भी करता नज़र आता है ।

बाबरी मस्जिद के विध्वंस की बरसी पर निर्देशक शांतनु ताम्बे ने फ़िल्म दशमी के टीज़र के ज़रिए किया ‘रामराज्य की न‌ई शुरुआत’ का आह्वान

निर्देशक शांतनु ताम्बे की फ़िल्म दशमी का टीज़र

निर्देशक शांतनु ताम्बे ने दशमी के‌ रूप‌ में ऐसी फ़िल्म का निर्देशन किया है जो आज के‌ सभी आधुनिक रावणों को‌ सशक्त तरीके से सज़ा देने और उनका सर्वनाश करने की‌ बात करती है और 'रामराज्य की नई शुरुआत' की मज़बूती के साथ पैरवी करती नज़र आती है ।

फ़िल्म दशमी के निर्देशक शांतनु ताम्बे कहते हैं, “दशमी महज़ एक फ़िल्म नहीं है, बल्कि ये ऐसा आईना है जो हमें एक समाज के तौर पर अपना अक्स दिखाता है और हमारे सोचने के तरीके व दूसरे‌ के प्रति हमारे व्यवहार पर सवाल उठाता है ताकि हम आगे चलकर एक बेहतर व न्यायसंगत समाज का निर्माण कर सकें. आज जब अच्छाई को तरह-तरह की चुनौतियों से गुज़रना पड़ रहा है, ऐसे में ये फ़िल्म हमारे अंदर के राम को जगाने की बात करती है जिससे हम समाज में व्याप्त बुराइयों का नाश किया जा सके ।

ग़ौरतलब है कि फ़िल्म दशमी 12 जनवरी, 2024 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ की जाएगी जिसमें आदिल ख़ान, वर्धन पुरी, गौरव सरीन, मोनिका चौधरी, ख़ुशी हज़ारे व अन्य सितारे अहम भूमिकाओं में नज़र आएंगे ।

फ़िल्म‌ के टीज़र में अच्छाई और बुराई के फ़र्क़ को पुरज़ोर अंदाज़ में पेश किया गया है. यह फ़िल्म‌ दर्शकों को सोचने पर मज़बूर कर देगी और एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना की दिशा में लोगों को कुछ करने के लिए प्रेरित करेगी ।

उल्लेखनीय है कि फ़िल्म दशमी‌ असल ज़िंदगी में 'सत्यमेव जयते' व न्याय की बात करती है और लोगों को ऐसे वक्त की याद दिलाती है जहां मानवीय मूल्यों को सबसे अधिक तवज्जो दी जाती रही है ।

फ़िल्म दशमी की रिलीज़ की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और ऐसे में फ़िल्म को देखने को लेकर दर्शकों की उत्सुकता में दिनों-दिन बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. फ़िल्म में बुराई पर अच्छाई की जीत जैसे कालजयी मूल्यों को बड़े ही सशक्त अंदाज़ में पेश किया गया है जो फ़िल्म के ख़त्म होने के बाद भी दर्शकों पर अपना‌ असर बरकरार रखने में कामयाब साबित होगी ।