कई बार, टूर गाइड, लोगों के यात्रा अनुभव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं । यदि हम किसी आकर्षक स्मारक पर या किसी पर्यटन स्थल पर जाएं और यदि एक गाइड हमको आवश्यक सही सूचना नहीं देता है, जिससे हमारा अनुभव और ज्यादा बढ़ जाए, तो हमारी यात्रा अधूरी सी लगती है । लेकिन क्या हमने कभी यह महसूस किया है कि क्या वह गाइड अपने जॉब में खुश है या नहीं ? हां, वे करते हैं, हममें से अधिकतर बहस करेंगे । आखिर, रोज-रोज शहर के बेस्ट जगहों को घूमने का मौका जो मिलता है, यह एक ड्रीम जॉब है । लेकिन एक ही जगह को बार-बार घूमना,  एक गाइड के लिए नया नहीं रह जाता ? क्या हो, यदि एक गाइड खुद को खो दे और उसे एक गाइडेंस की जरूरत हो ? जब हैरी मेट सेजल इस तरह के ही एक गाइड की कहानी और उसकी स्थिती को दर्शाने का प्रयास करती है । तो क्या, दर्शक गाइड के साथ जुड़ने में सक्षम होंगे या यह पूरा एक्सपीरियंस उबाऊ हो जाता है, आइए समीक्षा करते है ।

जब हैरी मेट सेजल एक बोर/उबाऊ टूरिस्ट गाइड की कहानी है, जिसकी जिंदगी तब बदलती है जब उसके जीवन में एक चिड़चिड़ी टूरिस्ट आ जाती है । हैरी (शाहरुख खान) पर्यटकों को कई यूरोपीय देशों की यात्रा पर ले जाता है । वह थोड़ा अलग और सख्त है, और उसके लिए लंबे समय तक रिश्तों को बनाए रख पाना मुश्किल है ।  सेजल (अनुष्का शर्मा) एक टूरिस्ट है, जिसने अपने पूरे परिवार के साथ हैरी की सेवाएं ली हैं । इसी ट्रिप के दौरान सेजल की सगाई रूपेन (कवि शास्त्री) से हो जाती है । दुर्भाग्य से, उसकी सगाई की अंगूठी खो जाती है और वह जब तक उसे खोज नहीं लेती, तब तक वह मुंबई वापस नहीं जाने का फ़ैसला करती है । वह हैरी से अपनी खोई हुई अगुंठी को खोजने में मदद करने के लिए मजबूर करती है और हैरी न चाहते हुए भी ऐसा करने के लिए सहमत हो जाता है । हैरी और सेजल एक दूसरे को और और खुद को 'मिशन' के दौरान कैसे खोजते हैं, यह सब बाकी की फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलता है ।

जब हैरी मेट सेजल तेजी से गति से शुरू होती है । हैरी की जिंदगी को विस्तार से दिखाने में कोई समय बर्बाद नहीं किया जाता है ।  एक गाइड के रूप में उनका उत्साह, अकेलेपन के अपने पल जब कोई नहीं देख रहा है और महिलाओं के साथ उसके परेशान संबंध, ये सब एक गाने 'सफ़र' में सिर्फ़ कुछ ही मिनटों में बता दिया जाता है । सेजल का परिचय भी बिना समय गंवाए हो जाता है और असली मजा तब शुरू होता है जब वह अपनी खोई हुई अगुंठी को ढूंढने की कोशिश करती है । हास्य बहुत अच्छी तरह से बाहर आता है और फ़र्स्ट हाफ़ एक उत्साही गति से चलता है । वो सीन, जहां सेजल प्राग के एक बार में परेशानी में फ़ंस जाती है और इसके बाद आता है फ़र्स्ट हाफ़ का सबसे रोमांचक हिस्सा । 'हवाएं' गीत को इंटरवल से पहले फ़िल्म के एक मर्मस्पर्शी और अच्छे से पल पर दिखाया जाता है । इंटरवल के बाद, फ़िल्म खींचने लगती है । मेकर्स भ्रमित से लगते हैं क्योंकि कहानी बिखर सी जाती है । अगुंठी से संबंधित कहानी में ट्विस्ट, दर्शकों के एक वर्ग को बचकाना लग सकता है । एक बिंदु पर आकर ये लगने लगता है कि, फ़िल्म आखिर जा कहां रही है । फ़िल्म का अंत भी एक मोड़ है लेकिन यह सबसे पहले की तुलना में बेहतर है । फिल्म एक अनुमान के मुताबिक घिसेपिटे तरीके से समाप्त हो जाती है ।

इम्तियाज अली की कहानी कमजोर है और शाहरुख खान की कुछ प्रमुख प्रेम कहानियों का एक पुर्वानुभव देती है । इम्तियाज अली की पटकथा खराब है और असंगत है । कुछ सीन को चतुराई से संभाला गया है और भावनाओं को लाया गया है । उस सीन को देखना बनता है, जब हैरी मासूमियत के साथ सेजल से गले मिलने के लिए कहता है । लेकिन इसके पीछे की कहानी को नहीं दिखाया जाता है, जैसे हैरी को अपना गांव क्यों छोड़ना पड़ा और उसका अपने परिवार के साथ कैसा संबंध था ? वह वापस अपने 'पिंड' कभी क्यों नहीं लौटा ? चर्च में हैरी का अभिभूत होना और चिल्लाना कुछ अजीब सा लगता है । और उसी तरह से उसका ईको सीक्वंस में लड़की का नाम जोर से चिल्लाना । यहां तक की सेजल के एक्शन भी न्यायसंगत नहीं लगते हैं । जिस तरीके से वह हैरी की प्रेमिका होने का दिखावा करती है और उसका ध्यान और  प्रशंसा पाने के लिए उसकी होड़ करना, इतना ज्यादा प्रभावपूर्ण नहीं दिखता है । यह भी आश्चर्यचकित करता है कि सेजल का परिवार उसे यूरोप में कैसे अकेला छोड़ देता है और उन्हें उसके बारें में कोई चिंता नहीं होती है । सेजल की खातिर कोई भी मुंबई लौटने की अपनी यात्रा को रद्द करने का फैसला नहीं करता है और उसे, उसी के हाल पर छोड़कर चला जाता है । इसके अलावा, जब इस बात का खुलासा होता है कि हैरी एक चरित्रहीन लड़का है, जिसे अपने क्लाइंट्स के साथ फ़िजिकल होते हुए पकड़ा गया, तब भी । वास्तव में, उसे एक और ऐसे केस के बाद देश छोड़ना था । लेकिन फिर भी, हैरी के बॉस को कोई दिक्कत नहीं होती जब सेजल जैसे हाई-प्रोफाइल क्लाइंट को उसके रहमोकरम पर छोड़ दिया जाता है । हालांकि इम्तियाज अली के संवाद जीवन से सीधे बाहर हैं और फिर भी अच्छी तरह से शब्दबद्ध हैं ।

इम्तियाज अली का निर्देशन, बिल्कुल स्क्रिप्ट की तरह, कमजोर है । जब वी मेट, लव आज कल, रॉकस्टार और हाईवे जैसी उम्दा फ़िल्म बनाने के बाद, लेखक-फिल्म निर्माता इसमें पूर्ण रूप में फ़ोर्म में नजर नहीं आते हैं

कलाकारों का अभिनय कमाल का है । शाहरुख खान बहुत शानदार दिखते हैं और बखूबी अभिनय करते हैं । वह बिना ओवर जाए, चिंता को बहुत ही खूबसूरती से लेकर आते है ।  इसके अलावा, फ़िल्म में कभी अलविदा न कहना और कल हो न हो, की उनकी ट्रेडमार्क स्टाइल कुछ सीन में नजर आती है जो कि काफ़ी अच्छी लगती है । हालांकि, उनके कुछ पंजाबी संवादों को समझना मुश्किल है । अनुष्का शर्मा इस फिल्म में एक और लेवल, ऊपर पहुंच जाती हैं । वह अपने किरदार में एकदम समा जाती हैं और उनकी स्माइल और ठहाकों से उनकी परफ़ोरमेंस और भी ज्यादा आकर्षक लगती है । चंदन रॉय सान्याल (गैस) की एक छोटी सी भूमिका है । अरु के वर्मा (मयंक) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और काफी अच्छा है । एवलिन शर्मा (मयंक की मंगेतर) को ज्यादा कुछ करने को ,मिलता नहीं है ।

प्रीतम चक्रवर्ती का संगीत कुछ अच्छे और औसत गानों का मिश्रण है । इसके गानों में 'राधा' सबसे अच्छा गाना है, खासकर जिस तरह से इसे शूट और प्लेस किया गया है वो ।  'हवाएं' इसका दूसरा अच्छा गाना है और इसे फ़िल्म में बहुत ही खूबसूरत क्षण में दिखाया गया है । 'सफर' एक अच्छा परिचयात्मक ट्रैक के रूप में कार्य करता है । 'बीच बीच मे' और 'रोला' वांछित प्रभाव नहीं बना पाते हैं । 'फ़ुर्र' को बैकग्राउंड में चलाया जाता है और इसे दूर किया जा सकता था । 'बटरफ़्लाई' पैर थिरकाने वाला गाना है, जिसे अंत में क्रेडिट देने के लिए बजाया जाता है । हितेश सोनिक का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के मूड के साथ एकदम फ़िट बैठता है ।

के यू मोहनन का छायांकन आश्चर्यजनक है । यूरोप की जगहों और इसके गलियारों को बहुत अच्छी तरह से कैप्चर किया गया है । आरती बजाज की एडिटींग और भी ज्यादा क्रिस्पी और सजह हो सकती थी । जिस तरह से 'बीच बीच मे' गीत, तुरंत अंतराल के बाद शुरू होता है, यह दर्शकों को भ्रमित कर देता है ।

कुल मिलाकर, जब हैरी मेट सेजल अपने आप में खास है । लेकिन फ़िल्म में कुछ खामियां हैं, जो फ़िल्म को कमजोर बनाती है, और इसकी वजह है बेकार स्क्रिप्ट । बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म शुरूआती हफ़्ते में अच्छी जा सकती है लेकिन दूसरे हफ़्ते में इसे संघर्ष करना पड़ेगा ।