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अब तक बॉलीवुड ऐसी कई फ़िल्मों का गवाह बना है जहां जिंदगी के एक हिस्से को दर्शाने की कोशिश की गई । इस हफ़्ते बॉक्सऑफ़िस पर रिलीज हुई शाहरुख खान और आलिया भट्ट अभिनीत डियर जिंदगी, जो कि इसी शैली की फ़िल्म है । क्या, डियर जिंदगी बॉक्सऑफ़िस पर जिंदगी की 'सांस' ले पाएगी या यह इसके मेकर्स के लिए 'प्रेमभरी' (डियरली) साबित होगी, आइए समीक्षा करते हैं ।

डियर जिंदगी, जिंदगी के एक हिस्से की कहानी से युक्त फ़िल्म है, जो हर इंसान के जीवन में आई विभिन्न चुनौतियों और उनसे लड़ने के बारें में आत्मविश्लेषी अंतर्दृष्टि देती है । फ़िल्म की शुरूआत होती है, बहुत ही प्रतिभाशाली सिनेमेटोग्राफ़र कायरा (आलिया भट्ट), के परिचय के साथ, जिसके लिए काम ही सब कुछ है और जिसकी काम में निपुणता, जिंदगी में सबसे ऊपर है । वह अपने काम में किसी भी तरह का समझौता नहीं करती, उसका सपना है कि वह एक दिन एक पूरी फ़िल्म का निर्देशन करे । एक दिन, वह राघवेंद्र (कुणाल कपूर) से, विदेशी सरजमीं पर एक प्रतिष्ठित फीचर फिल्म का सह-निर्देशन करने के लिए एक ऑफ़र प्राप्त करती है जो उसके सपने के सच होने जैसा होता है । चूंकि कायरा राघवेंद्र से प्यार तो करती ही है,इसके साथ-साथ वह यह सोच-सोच कर भी खुश होती है कि उसके साथ मिलकर काम करने में बहुत मजा आएगा । इससे पहले, कि उसका सपना पूरा हो, उसे ऐसी खबर मिलती है जिससे वह टूट जाती है । उसे पता चलता है कि राघवेंद्र विदेश में अपनी पूर्व प्रेमिका के साथ मंगनी किया हुआ है । यह खबर कायरा को पूरी तरह से तोड़ कर रख देती है । और तभी वह मशहूर-जानेमाने मनोचिकित्सक डॉ जहांगीर खान उर्फ जग (शाहरुख खान) से मिलती है । इसके बाद, उसका जग के साथ थेरेपी सेशन चलता है । इन्हीं थेरेपी सेशन के जरिए जग को पता

चलता है कि कायरा बचपन से चुपचाप कई सारे मुद्दों से पीड़ित है । धीरे-धीरे कई थेरेपी सेशन के दौरान जग और कायरा के बीच एक मजबूत रिश्ता बन जाता है, इतना कि वह खुलकर जग को अपने अतीत और वर्तमान की घटनाओं के बारें में बता देती है । ऐसा करते समय, कायरा को महसूस होता है कि वह जग से प्यार करने लगी है । अंत में कायरा के साथ क्या होता है, जिसे वह उसे अपने साथ जीवन बिताने के लिए चुनती है, क्या जग और कायर अके बीच कांउसलर-पेशेंट का रिश्ता एक प्यार के रिश्ते में बदलता है, यह सब फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलता है ।

डियर जिंदगी की कहानी और पटकथा (गौरी शिंदे) जिंदगी के एक हिस्से को दर्शाने वाली शैली की फ़िल्म में एक ईमानदार प्रयास है । गौरी शिंदे ने सच में एक सरल तरीके से जीवन की जटिलताओं को पेश करने की कोशिश की है । फिल्म की विडंबना यह है कि, फिल्म के किरदार रिलेटेबल होने के बावजूद,फिल्म की कार्यवाही बिल्कुल विपरीत हैं । जिसके कारण दर्शक इस फ़िल्म से जुड़ नहीं पाते हैं । वहीं दूसरी तरफ़, क्योंकि फिल्म के संवाद (गौरी शिंदे) एकदम सुस्पष्ट हैं, इसलिए इसकी गूंज दर्शकों के बीच निश्चितरूप से गूंजेगी । फिल्म में हास्य बरकरार है और सही मात्रा डाला गया है । फ़िल्म के इन सीन मिस मत कीजिए, और वो हैं, शाहरुख खान का परिचय, आलिया भट्ट और शाहरुख खान की पहली मुलाकात और क्लाइमेक्स से पहले सीन के दौरान आलिया भट्ट का भावनात्मक आवेग ।

जब गौरी शिंदे ने श्रीदेवी अभिनीत फ़िल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' से अपने निर्देशन करियर की शुरूआत की थी, तो उन्होंने अपनी योग्यता से बतौर निर्देशक, दर्शकों के दिलों को ही नहीं छुआ, बल्कि अपने कहानी कहने के अंदाज़ और निर्देशन क्षमताओं के साथ एक हलचल मचा दी थी । इंगलिश विंग्लिश की तरह ही डियर जिंदगी को बनाने का प्रयास किया गया, जो फ़िल्म के लगभग हर फ़्रेम में दिखाई देता है, लेकिन वो चीज जो फ़िल्म के लिए काम नहीं करती वो है इसकी लंबाई (ज्यादातर सेकेंड हाफ़ में) जो इसके दर्शकों

को फ़िल्म से अलग कर देती है और फ़िल्म की धीमी गति से चलने वाली कहानी । इतनी ही काफ़ी नहीं था कि अपने फ़र्स्ट हाफ़ में तेजी से शुरू होने के बावजूद, फ़िल्म उपदेशात्मक और प्रवचनवादी हो जाती है, जो कि दर्शकों के सब्र का इम्तिहान लेती है । वो सभी, जो आलिया भट्ट और शाहरुख खान को एक साथ देखने और उनके बॉंड को देखना चाहते हैं, उन्हें थोड़ी निराशा होती है, क्योंकि इसके सेकेंड हाफ़ में फ़िल्म की शुरूआत एक थेरेपी सेशन की तरह होती है । इन सब के बावजूद, इस बात से इंकार नहीं करना चाहिए कि निर्देशक फ़िल्म की पूरी कास्ट से उनका बेहतरीन परफ़ोरमेंस निकालवाने में कामयाब हुईं है ।

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अभिनय की बात करें तो, डियर जिंदगी सच में आलिया भट्ट और शाहरुख खान की फ़िल्म है । उड़ता पंजाब फ़िल्म में दमदार अभिनय के बाद आलिया भट्ट, ने एक बार फ़िर डियर जिंदगी के साथ ये साबित कर दिया कि क्यों वह बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक हैं । अपनी हर एक फ़िल्म के बाद आलिया भट्ट के अभिनय में निखार आता ही जा रहा है । आलिया ने जिस खूबसूरती से अपने किरदार में अपनी भावनाओं को उड़ेला है, उसके लिए फ़िल्म एक बार तो देखना बनती है । फ़िल्म में आलिया भट्ट एक भोली-भाली और निष्कपट लड़की का किरदार निभाती है । कुणाल कपूर, अली जफर, अंगद बेदी या आदित्य रॉय कपूर सहित अपने सभी सह-कलाकारों के साथ आलिया भट्ट की स्क्रीन पर कैमेस्ट्री कमाल की है । लेकिन, पर्दे पर जो दर्शकों का ध्यान सबसे ज्यादा खींचती है, वो है आलिया भट्ट की शाहरुख खान के साथ त्रुटिहीन कैमेस्ट्री । वहीं दूसरी तरफ़ शाहरुख खान ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है । शाहरुख खान अभिनीत फ़िल्मों से डियर जिंदगी को जो चीज अलग बनाती है वो है, एक हीरो होने बावजूद भी शाहरुख खान, का किरदार आलिया भट्ट के किरदार पर जरा भी हावी नहीं होता है । और यही वो पहलू है जो फिल्म के पक्ष में काफी काम करता है । इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि डियर जिंदगी में निश्चित रूप से शाहरुख खान

का चक दे इंडिया के बाद सबसे बेहतरीन और परिपक्व भूमिका है । फ़िल्म के बाकी के कलाकार (कुणाल कपूर, अली जफर, अंगद बेदी, इरा दुबे और आदित्य रॉय कपूर) अपनी भूमिकाओं में खूब जंचे हैं ।

डियर जिंदगी में किसी भी प्रकार का कोई भी उत्कृष्ट संगीत (अमित त्रिवेदी) नहीं है, फ़िल्म के गीत फ़िल्म को आगे बढ़ाने में मदद नहीं करते और न ही सीन में रोड़ा बनने का काम करते हैं । फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर (अमित त्रिवेदी) फिल्म को आगे बढ़ाने में एक अच्छा योगदान देता है । डियर जिंदगी का दूसरा पहलू यह है कि यह फ़िल्म चार्टबस्टर संगीत, रोमांस और एक्शन से रहित है । और इसलिए यह फ़िल्म इन सबके अभाव में जहां छोटे कस्बों और शहरों के दर्शकों को महसूस होगा कि यह फ़िल्म ऐसे किसी भी मनोरंजन से महरुम है ।

फिल्म का छायांकन (लक्ष्मण उतेकर) अच्छा है, लेकिन इसका संपादन (हिमांती सरकार) इंटरवल के बाद और भी सख्त किया जा सकता था ।

कुल मिलाकर, डियर जिंदगी धीमी गति की दिमाग लगाने वाली, आज की पीढ़ी की लड़कियों की तेजी से बदलते परिदृश्य का सामना करने की चुनौतियों के बारे में आज की जिंदगी की एक झलक है । बॉकऑफ़िस पर यह फ़िल्म, मनोरंजन की कमी और इसके साथ-साथ इसके जटिल और कठिन विषय के कारण यह मल्टीप्लेक्स दर्शकों के एक विशेष वर्ग को ही आकर्षित करेगी । इसलिए बॉक्सऑफ़िस पर यह फ़िल्म संघर्ष करेगी ।

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