सीबीएफसी और उसके चेयरपर्सन प्रसून जोशी ने अपनी पूरी समझदारी से शाहरुख़ खान की फ़िल्म पठान केबेशर्म रंगगाने में दीपिका पादुकोण की ओरेंज बिकिनी जिसे भगवा बिकनी कहा जा रहा हैको फ़िल्म में रहने देने का फैसला किया है । इस पर पूर्व अभिनेत्री और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष आशा पारेख का कहना है कि वह पठान को लेकर चिंतित हैं ।हमारा उद्योग इतने बुरे दौर से कभी नहीं गुजरा है । मैं साठ से अधिक वर्षों से इसका हिस्सा रही हूं । मैंने इंडस्ट्री के इतिहास में इतना निचला दौर कभी नहीं देखा । पठान को बिना किसी रुकावट के रिलीज़ करने की जरूरत है । यशराज को हाल ही में कई झटके लगे हैं । वे दूसरे को अफोर्ड नहीं कर सकते ।

19686062-185b-437d-8604-2af1261f85a1

आशा पारेख ने बॉलीवुड के बुरे दौर पर चिंता जताई 

लोगों के निशाने पर आते बॉलीवुड के बारें में पूछे जाने पर आशाजी ने कहा, “पठान की रिलीज़ में कोई रुकावट न आए इसके लिए उन्हें गाने को हटा देना चाहिए । हालांकि मैं साफ तौर पर बता दूं कि मैं इस तरह की बुलिंग का पूरी तरह से विरोध करती हूं । क्या अच्छा है और क्या नहीं इस पर कुछ तत्व पूरे देश की ओर से फैसला क्यों करें ? आप फिल्म नहीं देखना चाहते, तो इसे मत देखिए । मैं फिल्म देखना चाहती हूं। तुम मुझे क्यों रोक रहे हो ?”

1960 के दशक में लगातार हिट फ़िल्में देने के लिए जुबली क्वीन के रूप में जानी जाने वाली आशाजी को लगता है कि सिनेमा व्यवसाय कगार पर है ।हमारे पास हिट होनी चाहिए । पठान और करण जौहर की रॉकी और रानी की प्रेम कहानी जैसी फिल्में फिल्म उद्योग को पुनर्जीवित कर सकती हैं ।

साथ ही आशाजी को लगता है कि एक कलाकार की स्वतंत्रता पर अंकुश को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए ।एक विशेष रंग पर मुहर क्यों लगाई जा रही है ? हर रंग उतना ही खूबसूरत होता है । नारंगी हम में से कई अभिनेत्रियों का पसंदीदा रंग था । कल्पना कीजिए कि कहा जा रहा है, इस रंग को मत पहनो उस रंग को मत पहनो । यह बदमाशी की पराकाष्ठा है । कोई समुदाय किसी भी रंग पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता ।