एक समय था जब अक्षय कुमार को बॉक्स ऑफिस कागारंटी कुमारकहा जाता था । लेकिन कोरोना महामारी के बाद से अक्षय कुमार की जितनी भी फ़िल्में रिलीज हुई उनमें से ज़्यादातर फ्लॉप साबित हुई हैं । इतना ही नहीं अक्षय की हालिया रिलीज, बड़े मियां छोटे मियां से इंडस्ट्री को काफ़ी उम्मीदें थी लेकिन फ़िल्म ईद रिलीज के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा पाई और मेकर्स के लिए घाटे का सौदा साबित हुई । कोविड के बाद के दौर में उनकी फिल्मों का औसत लाइफटाइम कलेक्शन सिर्फ 78 करोड़ रू रहा ।

कोविड के बाद अक्षय कुमार की 9 फ़िल्में में से 6 फ्लॉप रहीं ; ट्रेड एक्सपर्ट्स ने डिकोड किया अक्षय की फ़िल्मों के गिरते बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को- “यदि कोई एक्टर ख़ुद को ओवरएक्सपोज़ करता है, तो वो नहीं चलेगा” 

अक्षय कुमार की फ़िल्मों का गिरता बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

कोविड के बाद अक्षय कुमार की 9 फ़िल्में रिलीज़ हुईं, जिनमें से 6 फ्लॉप रहीं - बेलबॉटम [ 30.63 करोड़ रू], बच्चन पांडे [49.98 करोड़ रू], सम्राट पृथ्वीराज [68.05 करोड़ रू], रक्षा बंधन [44.39 करोड़ रू], सेल्फी [16.85 करोड़ रू] और मिशन रानीगंज [33.74 करोड़ रू]। जबकि 2 फ़िल्में - सूर्यवंशी [196 करोड़ रू] और ओएमजी 2 [150.17 करोड़ रू] - सुपर हिट रही । वहीं राम सेतु [71.87 करोड़ रू] औसत कमाई करने वाली फिल्म साबित हुई थी । कोविड के बाद के दौर में उनकी फिल्मों का औसत लाइफटाइम कलेक्शन सिर्फ 78 करोड़ रू रहा । इसमें सूर्यवंशी और ओएमजी 2 शामिल हैं और यदि आप इन दो सफल फिल्मों को हटा दें, तो औसत लाइफ़टाइम कलेक्शन गिरकर 50 करोड़ रू रहा है । उनकी सभी फिल्मों के कुल लाइफ़टाइम कलेक्शन की बात करें तो, वह लगभग 700 करोड़ रू है जिसमें से लगभग 50% कलेक्शन [ सूर्यवंशी और ओएमजी 2 से 346.17 करोड़ रुपए आए हैं ।

हमने ट्रेड एक्सपर्ट्स से पूछा कि अक्षय, जो एक बेहतरीन कलाकार है और दर्शकों के बीच अच्छी खासी लोकप्रियता रखते हैं, के साथ ऐसा क्या हुआ कि उनकी कोई भी फ़िल्में नहीं चल रही हैं । इस पर दिग्गज ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने बताया, “चाहे वह अक्षय हों या शाहरुख खान या सलमान खान या आमिर खान या अजय देवगन, आप अपने पिछले शुक्रवार की तरह ही अच्छे या बुरे पहचाने जाते हैं । मुझे याद है कि मैं अमिताभ बच्चन से खुदा गवाह (1992) के सेट पर दरिया महल, वर्सोवा में मिला था । मैंने उनसे कहा, ‘अग्निपथ (1990) में आपके प्रदर्शन की सराहना की जा रही है ।’  उन्होंने उत्तर दिया, ‘लेकिन नंबर्स वो नहीं हैं ।फिर भी, आप अपने शुरूआती दिन, शुरूआती सप्ताह और लाइफटाइम बिजनेस से जाने जाते थे । इसलिए, जब आमिर खान लाल सिंह चड्ढा (2022) जैसी बेकार फिल्म देते हैं या शाहरुख खान पठान (2023) से पहले फ्लॉप फिल्मों की झड़ी लगाते हैं या अक्षय कुमार मौजूदा दौर में बैक-टू-बैक फ्लॉप फिल्में देते हैं, तो यह आपकी स्थिति को प्रभावित करता है । यह बॉक्स ऑफिस नंबरों द्वारा संचालित इंडस्ट्री है । स्टार रेटिंग या अभिनेता का प्रदर्शन कितना शानदार है, यह अप्रासंगिक साबित होता है ।

ट्रेड एनालिस्ट अतुल मोहन ने कहा, “अक्षय ने इससे काफी उम्मीदें लगा रखी थीं । मुझे लगता है कि लोग उन्हें प्रेरणादायक फिल्मों में देखना चाहते हैं, जिन्होंने अतीत में उनके लिए अच्छा काम किया है। साथ ही, कॉमेडी उनकी खासियत है ।

जयपुर में एंटरटेनमेंट पैराडाइज के मालिक राज बंसल का मानना है कि सिनेमाघरों के साथ-साथ ओटीटी पर बहुत अधिक रिलीज होना अक्षय के खिलाफ गया ।अगर कोई अभिनेता खुद को ओवरएक्सपोज़ करता है, तो वो नहीं चलेगा । एक अभिनेता को साल में दो फिल्में या ज्यादा से ज्यादा तीन फिल्में करनी चाहिए ।

अक्षय के लिए अभी उम्मीद बाक़ी है 

हालाँकि, अक्षय के लिए सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है। उनके पास सरफिरा, स्काईफोर्स और बहुप्रतीक्षित कॉमिक फिल्म, हेरा फेरी 3, वेलकम टू द जंगल जैसी रोमांचक फिल्में हैं । एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर कंटेंट दर्शकों को पसंद आता है तो ये फिल्में उनके लिए सब कुछ बदल सकती हैं ।

गिरीश जौहर ने तर्क दिया, “अक्षय कुमार जैसे सितारों के लिए, कुछ हिट और फ्लॉप से उनकी इक्विटी नहीं बदलने वाली । उनकी अगली फ़िल्म की उत्सुकता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है ; यह सब उस फ़िल्म पर निर्भर करता है । यदि ट्रेलर क्लिक करता है, तो वह वापस फॉर्म में आ जायेंगे । काफी चर्चा हो रही है कि उनका बुरा वक्त चल रहा है । लेकिन अक्षय जैसे अभिनेता इन सब से ऊपर हैं । उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं । यह सब उस एक शुक्रवार, उस एक ट्रेलर पर निर्भर करता है जिसे दर्शक पसंद करते हैं, और यह उनके लिए काम कर सकता है ।